
Sahitya AajTak 2023: शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (शनिवार) कार्यक्रम का दूसरा दिन है. इसमें 'जांबाजों की अमर कहानियां' शीर्षक पर बलिदान के लेखक स्वप्निल पांडे, सोल्डरिंग ऑन द वारियर विडोज की लेखिका अंबरीन जैदी और कवि, उपन्यासकार एवं प्रकाशक सहाना अहमद ने विचार व्यक्त किए.
स्वप्निल पांडे ने कहा' सैनिक का मतलब है जोश जुनून और जज्बा. उसे बलिदान की शिक्षा दी जाती है. मेरी तीसरी किताब 'द फोर्स बिहाइंड द फोर्सेस' से लिखने के प्रेरित किया. ये किताब वार विडोज पर है. जब आप कहानियां लिखते हैं तो वो महज कहानी नहीं पूरी जिंदगी होती है'.
हम उस दर्द को हड्डियों तक महसूस करते हैं
'पार्थिव शरीर जब जवानों के घर पहुंचते हैं तो हम उस दर्द को हड्डियों तक महसूस करते हैं. सेना पर कुछ भी लिखना आसान नहीं होता है. मैं फौजी बैकग्राउंड से हूं. मेरी किताब 'बलिदान' लोगों को काफी बहुत पसंद आ रही है. इससे बड़े बात ये है कि मेरी ही किताबों ने मुझे बदलकर रख दिया'.
इस दौरान उन्होंने कैप्टन तुषार महाजन की जांबाजी का किस्सा सुनाया. बताते चलें कि फरवरी 2016 को आतंकियों ने पुलवामा जिले के पंपोर में JKEDI बिल्डिंग पर हमला किया था. इसमें कैप्टन महाजन ने जान पर खेलकर एक आतंकवादी को ढेर किया था. इस हमले में इस जांबाज ने सर्वोच्च बलिदान दिया था.
पूरी भारतीय फौज हमारा परिवार- सहाना अहमद
वहीं, कवि, उपन्यासकार एवं प्रकाशक सहाना अहमद ने कहा कि पूरी भारतीय फौज हमारा परिवार है. एक बार की बात है जब दिल्ली में पीजी से मुझे बाहर निकलने के लिए कह दिया गया. इसके बाद आर्मी से जुड़े एक परिवार के साथ मैं रही. ये बताता है कि पूरी आर्मी हमारा परिवार है. आर्मी से जुड़ी बहुत सारी ऐसी कहानियां हैं जो जोश भर देती हैं और प्रेरणा देती हैं.
ये बताता है कि हम लोगों में अवेयरनेस नहीं है- अंबरीन जैदी
सोल्डरिंग ऑन द वारियर विडोज की लेखिका अंबरीन जैदी ने बीते दिन आगरा में शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ये बताता है कि हम लोगों में अवेयरनेस नहीं है. हर भारतीय को हमारे जवानों के शौर्य के बारे में मालूम होना चाहिए. जवानों के परिवार की ताकत पर उन्होंने कहा कि बहुत सारी कहानियां हैं जो बताती हैं कि उन बेटों की मां और पत्नियों कितनी हिम्मती हैं.
एक घटना का जिक्र करते हुए जैदी ने बताया कि एक कश्मीरी जवान का परिवार श्रीनगर में रहता था. तीन बेटे थे. बड़ा बेटा 12वीं में था. वो घर से गाड़ी से निकला और एक्सीडेंट हो गया. इसके दो दिन बाद उसकी मौत हो गई. सभी बेहाल थे. मगर किसी को ये नहीं पता था कि उस बेटे का पिता जो सेना में है, उस पर आतंकियों की नजर है. बेटे की मौत की खबर सुनकर वो आया और आतंकियों ने मार दिया. उस दिन उस घर से दो अर्थियां उठीं. शहीद की पत्नी उस दिन से घाटी के शहीदों के परिवार की आवाज बन गई है.