
नई दिल्लीः आज की जवान हो चुकी पीढ़ी में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने समीर के लिखे गाने न गुनगुनाए हों. शीतला पाण्डेय उर्फ़ समीर बॉलीवुड के बड़े गीतकारों में से एक हैं. याद कीजिए आशिकी फिल्म के इन मेगा हिट गानों, 'सांसों की जरूरत है जैसे', 'मैं दुनिया भूला दूंगा' और 'नजर के सामने जिगर के पास'...को. इन गानों ने अपने दौर में हर जवान, बुजुर्ग को झुमाया था.
वही समीर इस बार साहित्य आजतक 2019 के मंच पर होंगे. समीर बॉलीवुड के वह एकलौते गीतकार हैं, जिन्होंने लगभग 650 फिल्मों में 4000 से अधिक गाने लिखे हैं, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है. इसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स और गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज़ है.
साहित्य आजतक में समीर की यह पहली भागीदारी होगी. जाहिर है जब उन्होंने इतने अधिक गाने लिखे हैं, तो उनके अनुभव का संसार भी काफी बड़ा होगा. इश्क की बीट पर उनके तरानों ने समूचे देश को हिलाये रखा है. 'दिल' फिल्म का ये गाना 'मुझे नींद ना आये...' जहां मोहब्बत की बेचैनी का अहसास कराता है, वहीं साजन फिल्म का गाना 'देखा है पहली बार साजन की आंखों में प्यार...' प्रेम मिलन की मासूम बानगी दिखाता है.
साहित्य आजतक में हमारे दौर के इस प्रतिष्ठित गीतकार की मौजूदगी उनके इन गीतों की याद भी दिलाती है. 'तुम पास आए, यूं मुस्कुराए... 'ये लड़की है दीवानी, है दीवानी...' समीर के शब्दों में, गानों में रोमांच की कही अनकही दास्तान का बड़ी बारीकी से बयान होता है...चाहे वह प्रेम में मिलन हो या बिछड़न या फिर बिछड़ कर मिलने की तड़प... समीर के गाने हर प्रेम कहानी को मुकम्मल आशियाना मुहैया कराते हैं.
ऐसा नहीं है कि समीर ने केवल पुरानी फिल्मों में गीत लिखे व चालीस की उम्र के लोगों में ही लोकप्रिय हैं. साहित्य आजतक के मंच पर पधार रहे गीतकार समीर ने खुद को बदलते वक़्त के साथ भी बदला है. वह नई पीढ़ी की सोच को समझ कर और उनकी नब्ज़ पकड़ कर उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप भी गाने लिखते रहे हैं. उदाहरण कई हैं. फ़िल्म 'फ़ालतू' का 'चार बज गए लेकिन पार्टी अभी बाकी है' और फ़िल्म 'धूम 2' का 'क्रेज़ी किया रे...' जैसे गाने भी उन्हीं के लिखे हैं.
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