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साहित्य आज तक 2022 में साधो बैंड का फ्यूज़न सुनने के लिए हो जाइए तैयार

साहित्य आजतक 2022 के मंच की शोभा बढ़ाने आ रहा है साधो बैंड. यह दिल्ली का ऐसा म्यूज़िक बैंड है, जिसने युवाओं के बीच तेजी से अपनी पहचान बनाई है.

साधो बैंडः सूफ़ी, पारंपरिक और रॉक गीतों के उस्ताद साधो बैंडः सूफ़ी, पारंपरिक और रॉक गीतों के उस्ताद
संजीव पालीवाल
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:20 PM IST

साहित्य आज तक 2022 की तैयारियां जोरों पर हैं. अभी हम आपको गीत-संगीत जगत से जुड़ी उन हस्तियों के बारे में बता रहे हैं, जो साहित्य, शब्द और संस्कृति के इस महाकुंभ में अपना जलवा बिखेरेंगे. देश में भारतीय भाषाओं के साहित्य के सबसे बड़े मंच 'साहित्य आज तक 2022' की घोषणा के साथ ही आपके मन में यह कयास शुरू हो गया होगा कि इस साल इसमें कौन कब शिरकत करेगा. 
हम आपको इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सहमत साहित्यकारों, गीतकारों और कलाकारों की जानकारी यहीं दे रहे हैं. आपको इतना तो हम बता ही चुके हैं कि देश की राजधानी दिल्ली के केंद्र में स्थित मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में यह मेला इस साल 18 नवंबर से 20 नवंबर तक होने जा रहा है.
हर साल की तरह इस साल भी हमारे अतिथियों की फेहरिस्त ज़रा लंबी है. इसी कड़ी में साहित्य आज तक 2022 में जिस मेहमान  की हम जानकारी दे रहे हैं, वे कोई एक या दो व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी टीम हैं. जी हां साहित्य आजतक के मंच की शोभा बढ़ाने आ रहे हैं साधो बैंड. यह दिल्ली का ऐसा म्यूज़िक बैंड है, जिसने युवाओं के बीच तेजी से अपनी पहचान बनाई है. ये कलाकार सूफ़ी, पारंपरिक और रॉक गीतों को अपनी ही धुन, अपने ही अंदाज़ में पेश करते हैं.
साधो बैंड की शुरुआत धनंजय ने की थी. आज इस समूह में नौ कलाकार जुड़े हुए हैं. जैसा कि हमने बताया कि साधो की जड़ें दिल्ली से हैं. दिल्ली जो देश का दिल है, और केवल सियासत ही नहीं, सभ्यता, विरासत और संगीत का भी केंद्र है. धनंजय, साधो बनाने का मकसद आज की युवा पीढ़ी को भारतीय शास्त्रीय संगीत, पारंपरिक संगीत, सूफी, लोक संगीत में रुचि पैदा करना या कहें इस संगीत को युवाओं से रूबरू करवाना बताते हैं. 
साधो बैंड की विशेषता यह है कि ये केवल लोक में प्रतिष्ठित या लोक में व्यवहरित गानों, गीतों और भजनों को अपने अंदाज़ में रचता है और उसे प्रस्तुत करता है. 
संक्षेप में कहें, तो साधो शास्त्रीय, पारंपरिक, सूफी, फ्यूजन और बॉलीवुड का मिश्रण है. दिल्ली के साथ-साथ भारत के अन्य शहरों में इनके कार्यक्रम होते रहते हैं. इनके कुछ प्रचलित गानों में काली काली ज़ुल्फ़ों के, पसूरी और नगरी हो अयोध्या सी आदि शामिल हैं.  
याद रहे कि हर बार की तरह इस साल भी 'साहित्य आज तक कला, सिनेमा, संगीत, थिएटर, राजनीति और संस्कृति से जुड़े दिग्गजों से टेलीविजन के बड़े एंकर उनकी किताबों, प्रस्तुतियों, काम, समसामयिक विषयों पर खुले मंच पर चर्चा करेंगे. इस दौरान नाट्य, संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी रखी गई हैं.
साहित्य आज तक के पिछले संस्करणों में जिन गायकों ने हिस्सा लिया है उनमें शुभा मुद्गल, वडाली ब्रदर्स, मालिनी अवस्थी, हंस राज हंस, कैलाश खेर, नूरा सिस्टर्स, निज़ामी बंधु, रेखा भारद्वाज, विद्या शाह, मैथिली ठाकुर, उस्ताद राशिद अली, उस्ताद  शुजात हुसैन खान, रुहानी सिस्टर्स, स्वानंद किरकिरे, अनूप जलोटा, पंकज उधास, इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, संदीपनाथ, शैली के अलावा सलमान अली आदि शामिल हैं.
'साहित्य आज तक' के मंच पर अब तक जावेद अख्तर, अनुपम खेर, कुमार विश्वास, प्रसून जोशी, पीयूष मिश्रा, अनुराग कश्यप, चेतन भगत, आशुतोष राणा, कपिल सिब्बल, नजीब जंग, हंस राज हंस, मनोज तिवारी, अनुजा चौहान, रविंदर सिंह, चित्रा मुद्गल, अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश, मालिनी अवस्थी, दारेन शाहिदी, उदय माहुरकर, हरिओम पंवार, अशोक चक्रधर, पॉपुलर मेरठी, गोविंद व्यास, राहत इंदौरी, नवाज देवबंदी, राजेश रेड्डी, स्वानंद किरकिरे, नासिरा शर्मा, मैत्रेयी पुष्पा, शाज़ी ज़मां और देवदत्त पटनायक जैसी हस्तियां शामिल हो चुकी हैं.
साहित्य आज तक यानी शब्द, संगीत और संस्कृति के इस महाकुंभ में गायन, वादन, चर्चा, बहस,  साहित्यिक परिचर्चा के अलावा मुशायरा और कवि सम्मेलन भी हो रहा है. तो कौन, कहां, कब, किस मंच की शोभा बढ़ाएगा, इसकी जानकारी आपको आने वाले दिनों में इसी जगह मिलती रहेगी, पर असली सूची रजिस्ट्रेशन की लाइन ओपेन होने के बाद ही पता चलेगी. 
 

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