
साहित्य आजतक के मंच पर बॉलीवुड को लीक से हटकर फिल्में देने वाले फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने शिरकत की. अनुराग कश्यप ने इस फेस्टिवल के सत्र 'नया सिनेमा नई ज़ुबान' में सिनेमा और साहित्य पर अपने तजुर्बे से जुड़े कई दिलचस्प विचार रखे. अपने फिल्ममेकिंग करियर की शुरुआत के दिनों को याद करते हुए अनुराग कश्यप ने कहा कि शुरुआती दौर में फिल्म बनाने को लेकर उनमें काफी बचपना था. जानें साहित्य आजतक में उनकी 10 खास बातें...
1. जब अनुराग ने पहली बार कविता लिखी थी तब वह स्कूल में थे और स्कूल ने उनकी कविता को मैगजीन में छापने से मना कर दिया था.
2. अनुराग ने बताया कि हम लोग ऐसे माहौल में पले-बढ़े हैं जहां अगर सेक्स या धर्म पर कोई सवाल पूछ लिया जाए तो डांट पड़ जाती थी कि कहां सुना कहां से ये सब सीख रहे हो. मुझे भी ऐसा ही माहौल मिला.
3. अनुराग कश्यप ने कहा लोगों ने साहित्य पढ़ना बंद कर दिया है.
4. मौजूदा दौर में सिनेमा ने साहित्य की जगह ले ली है लेकिन फिल्मों में साहित्य तो सिर्फ 10 परसेंट ही नजर आता है बाकी तो मस्तराम है.
5. अनुराग बोल 'Ugly' जैसी फिल्म बनाने का उद्देश्य उसका अंत ही था.
6. फिल्म बनाकर मैं कोई सन्देश नहीं देना चाहता, मैं बस सवाल पूछना चाहता हूं.
7. मैं काशीनाथ को बहुत बड़ा साहित्यकार मानता हूं और ऐसे भी बहुत बड़े साहित्यकार हैं जो छपते ही नहीं हैं. हर इंसान का खुद की बात को बयां करने अपना एक तरीका होता है एक स्टैंडअप कॉमेडियन भी जो बोलता है उसका भी एक साहित्य है, मैं उसे भी साहित्यकार मानता हूं.
8. बचपन से ही अनुराग को ऐसी ही चीजों और विचारों को बयां करने का शौक रहा जिसके ऊपर कोई बात नहीं करना चाहता.
9. मेरा मानना है जो आपको सोचने पर मजबूर करे, सोन ना दे वही साहित्य है और वही सिनेमा है. हम हमेशा भांड नहीं हो सकते कि हर वक्त बस एंटरटेन ही करते रहें.
10. अनुराग ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि 'दाऊद इब्राहिम' को फिल्म में दाऊद इब्राहिम नहीं बोल सकते, 'शिवसेना' को शिवसेना नहीं बोल सकते थे. मुझे तो बस इतना पता कि जो बात मेरे जेहन है मुझे वैसी ही बयां करना है.