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'दोस्तों ने दोस्ती में मोहब्बत चाही, मोहब्बत ने पता नहीं क्या-क्या चाहा', साहित्य आजतक में लेखकों ने प्रेम पर की खुलकर बात

रश्मी भारद्वाज ने कहा, हमारा प्रेम चिट्ठियों वाला था. हम उस ज़माने में बात करने के लिए तरसते थे. आज तुरंत बात हो जाती है. आज ऑप्शन हैं, हमारे पास ऑप्शन नहीं था. हम किसी एक के प्रति डेडिकेटेड थे. लेकिन आज का प्रेम क्षण भर का होता है.

साहित्य आजतक में शामिल मनीषा कुलश्रेष्ठ, रश्मी भारद्वाज और सुषमा गुप्ता साहित्य आजतक में शामिल मनीषा कुलश्रेष्ठ, रश्मी भारद्वाज और सुषमा गुप्ता
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:37 AM IST

शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (रविवार ) कार्यक्रम का तीसरा दिन है. इसमें लेखक, कवि, बिहारी पुरस्कार से सम्मानित मनीषा कुलश्रेष्ठ, लेखक, कवि, अनुवादक, संपादक रश्मी भारद्वाज और तुम्हारी पीठ पर लिखा मेरा नाम की लेखक सुषमा गुप्ता ने 'थोड़ा सा रूमानी हो जाएं' टॉपिक पर अपने विचार व्यक्त किए. सुषमा गुप्ता ने प्रेम पर कहा कि  प्रेम के शेड्स टाइम के साथ बदल जाते हैं. दोस्तों ने दोस्ती में मोहब्बत चाही. मोहब्बत ने पता नहीं क्या-क्या चाहा. इसलिए दोस्ती और प्रेम में एक लकीर होनी चाहिए. दोनों की एक सीमा है. दोस्त के साथ दोस्ती में ही रहें, प्रेम में कन्वर्ट न करें. वहीं, मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा, प्रेम पर ही मेरी पहली कहानी प्रेम कामना थी. उन्होंने कहा कि प्रेम हम बच्चों से करते हैं, प्राकृतिक से करते हैं, अपनी धरती से करते हैं. प्रेम हम किसी से भी कर सकते हैं.
 
प्रेम को दर्ज करने की कोई सीमा नहीं होती
मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा, सबसे पहले लेखक के सामने यही सवाल आता है कि पाठक उस कहानी में खुद को ढूंढता है. मेरी एक कहानी है 'लिली के फूल' जो तीन लोगों की कहानी है. लेखक को कहानी लिखने के बाद कहानी से बाहर निकल जाना चाहिए. आगे का काम पाठक का है. प्रेम को दर्ज करने की कोई सीमा नहीं होती है. जहां भी जिस कोने में प्रेम पल रहा हो वहां प्रेम को अभिव्यक्त होना जरूरी है. जहां भी जिस किसी से भी प्रेम हो रहा है, उसे दर्ज होना जरूरी है. एक लड़का एक लड़की दोस्त हो सकते हैं. दोस्तों से प्रेम नहीं करना चाहिए. दोस्त को संभाल कर रखना चाहिए. कई बार दोस्ती भी प्रेम में बदल जाती है. सबका अपना अलग अलग सोचना है. 

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स्त्री पुरुष बहुत अच्छे दोस्त हो सकते हैं. हम अपने पुराने प्रेम से नए प्रेम में बहुत कुछ सीख लेते हैं. प्रेम की एक एक्सपायरी डेट होती है. जब दो लोग प्रेम कर रहे होते हैं तो एक नई भाषा गढ़ते हैं. लेकिन आज की जेनरेशन ये भाषा भी भूल जाती है. हर प्रेम मौलिक होता है. मनीषा ने अपनी कविता की एक पांति सुनाई...एक नंबर हुआ करता था फोन में, जिसके साथ मुस्कुराहट जुड़ी करती थी.

आज का प्रेम व्हाट्सएप और सोशल मीडिया है
साहित्य आज तक में शिरकत करने वाली वहीं रश्मी भारद्वाज ने प्रेम पर कहा, प्रेम हमारे भीतर जन्म से ही होता है. लेकिन रूमानियत हम खोज लेते हैं. हमें अपने भीतर प्रेम बचाकर रखना चाहिए, प्रेम है तो हम लिख पा रहे हैं. प्रेम को हम बचा लेते हैं किसी तरह. प्रेम सबसे पहले अपने आप से होता है. आज के दौर के प्रेम पर उन्होंने कहा कि जो प्रेम आज का है वो व्हाट्सएप और सोशल मीडिया है, जो मैसेज खोलने से ही खत्म हो जाता है.

हमारा प्रेम चिट्ठियों वाला था
रश्मी भारद्वाज ने कहा, हमारा प्रेम चिट्ठियों वाला था. हम उस ज़माने में बात करने के लिए तरसते थे. आज तुरंत बात हो जाती है. आज ऑप्शन हैं, हमारे पास ऑप्शन नहीं था. हम किसी एक के प्रति डेडिकेटेड थे. लेकिन आज का प्रेम क्षण भर का होता है. दोस्ती और प्रेम का घालमेल बॉलीवुड ने किया. प्रेम टूट जाता है दोस्ती चलती है. पुरानी पीढ़ी ज्यादा भावुक थी. आज की पीढ़ी इतनी भावुक नहीं है. आज की जेनरेशन बहुत प्रैक्टिकल है. हम इतने प्रैक्टिकल नहीं थे.

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उन्होंने अपनी कविता की कुछ पंक्तियां सुनाईं...जिनमें पहला, याद रखना था, जो चीज जहां की है उसे वहीं सलीके से धरो रही...इसके अलावा एक जाती हुई औरत ले जाती है अपने साथ अतीत की चुंबन...जैसी कविता पंक्तियां पढ़ीं. 

उन्होंने कहा कि हर किसी को जीवन में कभी न कभी प्रेम हुआ है. लेकिन कई बार कहने का साहस नहीं होता. एक डर बना रहता है. इसलिए कई बार न कहने का भी अपना मजा है. आप उस प्रेम में जीते हैं. 

प्रेम में जिनके लिए हम जान देते थे, पांच साल बाद वही लोग बोरियत लगते हैं
साहित्य आज तक में शामिल लेखक सुषमा गुप्ता ने कहा कि प्रेम में जिनके लिए हम जान भी देते थे पांच साल बाद वही लोग बोरियत लगते हैं. इसलिए रूमानियत बचा लेना जरुरी होता है. किसी भी उम्र के प्रेम का एक वक़्त होता है. फिर उसके बाद वो बिखरने लगता है. आज के ज़माने में प्रेम में पवित्रता ख़त्म हो गई है. क्या एक वक़्त में एक ही व्यक्ति से प्रेम हो सकता है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ये अलग-अलग वक़्त में अलग व्यक्ति से हो सकता है. प्रेम किसी से कभी भी हो सकता है. क्लास दसवीं में एक लड़का रास्ते में रोक कर मुझे I love you बोला. मैं घर आकर रोई.

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