Advertisement

'छोड़ दो तुमसे बगावत नहीं होनी...', संगीतमयी हुआ साहित्य आजतक का माहौल, झूम उठे दर्शक

शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (रविवार ) कार्यक्रम का तीसरा दिन है. आज के कार्यक्रम 'अल्फ़ाज़ और आवाज़- एक संगीतमयी शाम' में कवि एवं गीतकार अजय साहब, गायक राजेश सिंह और कवियत्री ज्ञानिता द्विवेदी ने शिरकत की.

साहित्य आजतक में बाएं से कवियत्री ज्ञानिता द्विवेदी, गायक राजेश सिंह और लेखक गीतकार अजय साहब साहित्य आजतक में बाएं से कवियत्री ज्ञानिता द्विवेदी, गायक राजेश सिंह और लेखक गीतकार अजय साहब
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (रविवार ) कार्यक्रम का तीसरा दिन है. आज के कार्यक्रम 'अल्फ़ाज़ और आवाज़- एक संगीतमयी शाम' में कवि एवं गीतकार अजय साहब, गायक राजेश सिंह और कवियत्री ज्ञानिता द्विवेदी ने शिरकत की. कार्यक्रम की शुरुआत अजय साहब ने साहिर साहब के शेर हम भी देखेंगे से की. इसके बाद उन्होंने फैज़ साहब का जिक्र करते हुए, हम देखेंगे, लाजिम है कि हम देखेंगे...पंक्तियां पढ़ीं. अजय साहब सभी गीत लिखते हैं जिन्हें राजेश सिंह और ज्ञानिता द्विवेदी अपनी आवाज देते हैं.

Advertisement

गायक राजेश सिंह ने महफ़िल की शुरुआत पहले गाने अब वो आंखों की शरारत नहीं होने वाली, अब वो धड़कन की बगावत नहीं होने वाली...से की. इसके बाद कवियत्री ज्ञानिता द्विवेदी ने गाया, मेरी आंखों ने तुझे कैद किया है ऐसे, अब कभी तेरी जमानत नहीं होने वाली. 
छोड़ दो तुमसे बगावत नहीं होने वाली
साथी मैं जाम पियूं और न देखूं तुझको
मुझसे इतनी भी शराफत नहीं होने वाली...

अजय साहब ने शेर पढ़ा
जिसको चाहा है उसको टूटकर चाहा है साहब 
हमसे उल्फत में किफ़ायत नहीं होने वाली

इसके बाद गायकों ने महफ़िल में अगला गीत गाया जिस पर श्रोता झूम उठे. अगला गीत 

मुमकिन नहीं है वक़्त की रफ़्तार रोक लें
कुछ पल ठहर के इक शाम जी तो लें
फिर जिंदगी में आपका ये साथ हो न हो
शायद इस जन्म में फिर मुलाकात हो न हो
लग जा गले कि फिर ये हंसी रात हो न हो...

Advertisement

दर्शकों को दोनों गायकों ने अगला गीत सुनाया...
ये वक़्त की फितरत है, माहौल बदल देगा
खुशियों ने जो छोड़ा है तो दर्द भी चल देगा
खुशियों के आंसू हों, सब कुछ यहां पानी है
जिन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है
इक प्यार का नगमा है, मौजो की रवानी है

एक के बाद एक गीतों पर दर्शकों ने कार्यक्रम का खूब लुत्फ़ उठाया.

हमारा चांद भी तुम हो
हमारी रौशनी तुम हो
हमारी चैन भी तुम हो
हमारी बेकली तुम हो
तुम्हारे बिन कोई अपना नहीं हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें...
हमारी सुबह तुमसे है हमारी रात तुमसे है...

लेखक अजय साहब ने हर गीत को अपने ढंग से लिखा है, उसमें नई पंक्तियां जोड़ी हैं.

इसके बाद दोनों गायकों ने अगला गीत पेश किया.  

अभी जाओ न छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं.
तू मेरी पहली इबादत है, पहली पूजा है
तू मंदिरों का कोई फूल है मुक्कदर सा
खुदा की लब से जो निकला हो ऐसा नगमा है
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है...

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement