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जो बहुत टैलेंटेड होते हैं, वे सबसे ज्यादा झिझकते हैं... साहित्य आजतक में बोलीं लेखिका अनुजा चौहान

दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का आज दूसरा दिन है. यह कार्यक्रम 26 नवंबर तक होना है. यहां किताबों की बातें की जा रही हैं, फिल्मों की महफिल सज रही है. सियासी सवाल-जवाबों के साथ तरानों के तार भी छिड़ रहे हैं.

साहित्य आजतक के मंच पर उपस्थित लेखिका अनुजा चौहान. साहित्य आजतक के मंच पर उपस्थित लेखिका अनुजा चौहान.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

Sahitya Aaj Tak 2023: राजधानी दिल्ली में 24 नवंबर से सुरों और अल्फाजों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' शुरू हो चुका है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आज दूसरा दिन है, जिसमें कई जाने-माने लेखक, साहित्यकार व कलाकार शामिल हो रहे हैं. साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' के दूसरे दिन 'ये दिल मांगे मोर सेशन' में लेखिका, स्क्रीन राइटर अनुजा चौहान शामिल हुईं. इस दौरान अनुजा ने अपने विचार रखे.

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अनुजा का हाल ही में सीक्वल आया है, जो एसीपी भवानी सिंह पर आधारित है. इसमें फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी, सारा अली खान, संजय कपूर आदि कलाकार रोल कर रहे हैं. अनुजा की हाल ही में आई किताब में व्रत को लेकर कुछ बातें नए ढंग से कही गई हैं. उन्होंने कहा कि बचपन में मुझे लगता था कि अगर मम्मी ने करवाचौथ का व्रत तोड़ दिया तो मेरे पापा को कुछ हो जाएगा. करवाचौथ को लेकर कई सारी बातें कही जाती हैं. मेरी किताब आई है, जिसमें इस व्रत को लेकर लिखा गया है. 

अनुजा के लिखे ये स्लोगन हुए काफी मशहूर

विज्ञापन के बैकग्राउंड से आने के बाद लेखन में आईं. अनुजा ने कहा कि मैंने अपने 17 साल में 200 लाइनें लिखीं, जिनमें महज 9 ही मशहूर हुईं. इनमें ठंडा मतलब कोकाकोला, डर के आगे जीत है, ये दिल मांगे मोर, टेढ़ा है पर मेरा है जैसी पंक्तियां फेमस हुईं. प्रोडक्ट को लेकर लिखे गए ये स्लोगन लोगों के बीच चमक गए. मुझे लिखना था, इसी को लेकर मैंने जीवन में कुछ बदलाव किए. 

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इस दौरान अनुजा ने बताया कि कई स्क्रिप्ट और स्लोगन ऐसे भी लिखे, जो पसंद नहीं किए गए. अनुजा ने बताया कि किताब लिखने के लिए एक साल से ज्यादा लग जाता है, इसमें मैं उसके टाइटल बदलती रहती हूं. मैं टाइटल के साथ ही कवर पर बहुत सोचती हूं.

अनुजा ने कहा कि मैं आर्मी बैकग्राउंड से हूं, मेरी मदर इन लॉ राजनीति में हैं. इन सारी बातों को लेकर मुझे काफी कुछ जानने सीखने को मिलता है. मुझे हास्य और सोशल कॉमेंट्री काफी पसंद है. मेरी आदत है कि मैं बेड पर लिखती हूं. अनुजा ने कहा कि पदमावत फिल्म के दौरान मैंने एक आर्टिकल लिखा था, तब काफी लोगों ने मुझ पर अजीब तरह के कॉमेंट किए थे. सोशल मीडिया पर कॉमेंट करने वाले जहां हैं, वहीं पर बने रहते हैं.

'सोशल मीडिया फ्रस्ट्रेशन निकालते हैं लोग'

पदमावत फिल्म के समय विरोध किया गया था. भारत में लोग बेरोजगार हैं. उनके पास काम नहीं है. इसीलिए सोशल मीडिया पर फ्रस्ट्रेशन निकालते रहते हैं. अनुजा ने कहा कि मैं राजपूत हैं, मेरा समाज मुझे सपोर्ट करता है. अनुजा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मेरे प्रकाशक बहुत अच्छे हैं. मेरी पहली किताब में प्रकाशक ने कहा कि ये किताब लंबी हो गई है, इसे छोटा कीजिए. तब मैंने उसमें 8-9 हजार शब्द कम किए थे.

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डीपफेक के मुद्दे पर क्या बोलीं अनुजा चौहान?

डीपफेक के मुद्दे पर अनुजा ने कहा कि मैं ऐसी किसी चीज पर भरोसा नहीं करती. अजीब अजीब वीडियो आते हैं, अब लगता है कि ये सब फेक होंगे. मुझे ऐसी हर चीज फेक लगती है. मुझे इन चीजों से फर्क नहीं पड़ता. अनुजा ने कहा कि मैं कई सेमिनार्स में जाती हूं, तो वहां जो सवाल किए जाते हैं, कैसा भी सवाल हो मैं हमेशा उसे बेहतर तरीके से हैंडल करने की कोशिश करती हूं. किसी की आलोचना से अब मुझे डर नहीं लगता, लेकिन जो भी बोलती हूं सोच समझकर बोलती हूं.

नए लिखने वालों के लिए अनुजा ने कही ये बात

अनुजा चौहान ने कहा कि जो भी लोग लिखना चाहते हैं, वे खूब पढ़ें, खूब सारी किताबें पढ़ें, जो भी भाषाएं आती हैं, उनमें पढ़ें, फिर पूरी किताब लिखें. अगर आप लिखते रहते हो, तभी आप लेखक हो. जो बहुत टैलेंटेड होते हैं, वे सबसे ज्यादा झिझकते हैं, सबसे ज्यादा घबराते हैं. मैं ऐसे लोगों से कहना चाहती हूं कि वे ऐसा न करें. खुलके अपनी बात कहें.

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