Advertisement

साहित्य आजतक कोलकाता: बंग भूमि पर दिखेगा साहित्य और सुरों का महाकुंभ, जानें 17-18 फरवरी का पूरा शेड्यूल

दिल्ली के बाहर पहली बार किसी दूसरे महानगर में पहुंचे 'साहित्य आज तक कोलकाता 2023' को लेकर अतिथियों और साहित्य-कला प्रेमियों में अभूतपूर्व उत्साह है. 17-18 फरवरी को कोलकाता के स्वभूमि, द हैरिटेज में दो अलग-अलग विशाल मंचों पर एक साथ बांग्ला और हिंदी साहित्य की कई नामचीन राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के बीच संगीत जगत के जाने-माने सितारों की परफॉर्मेंस इस साहित्य महोत्सव का एक अलहदा आकर्षण है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST

साहित्य और सुरों का महाकुंभ अब पहुंच बंग भूमि गया है. 'साहित्य आजतक कोलकाता' अपने दो मंचों पर साहित्यिक विमर्श, चिंतन, सुर और संगीत के साथ बंगाली संस्कृति और सभ्यता को भी मान दे रहा है. यह इंडिया टुडे समूह द्वारा संचालित देश के सर्वाधिक लोकप्रिय और विश्वसनीय चैनल 'आज तक' द्वारा भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने की उसकी पहल का एक हिस्सा है, जिसका दर्शन राजधानी दिल्ली की जनता पिछले कई सालों से कर रही है.

Advertisement

दिल्ली के बाहर पहली बार किसी दूसरे महानगर में पहुंचे 'साहित्य आज तक कोलकाता 2023' को लेकर अतिथियों और साहित्य-कला प्रेमियों में अभूतपूर्व उत्साह है. 17-18  फरवरी को कोलकाता के स्वभूमि, द हैरिटेज में दो अलग-अलग विशाल मंचों पर एक साथ बांग्ला और हिंदी साहित्य की कई नामचीन राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के बीच संगीत जगत के जाने-माने सितारों की परफॉर्मेंस इस साहित्य महोत्सव का एक अलहदा आकर्षण है. इसके अलावा समूह तीसरे मंच पर 'माइक के लाल' कार्यक्रम कर उन प्रतिभाओं को मौका दे रहा है, जहां कोई भी आकर अपनी प्रस्तुति कर सकता है. 

बांग्ला और लोक संगीत के बीच बाउल, भजन, सूफियाना कलाम और बॉलीवुड संगीत की जो प्रस्तुतियां यहां होनी हैं, अगर केवल उनकी ही बात करें तो भजन सम्राट अनूप जलोटा की प्रस्तुति से कार्यक्रम का आगाज होगा. भारतीय पॉप की महारानी उषा उथुप भी यहां अपने सुर और अनुभवों को साझा करेंगी. वे देश-दुनिया की बाईस भाषाओं में गा चुकी हैं.

Advertisement

संगीत में शायरी सत्र में ये हस्तियां होंगी शामिल

इस महाकुंभ में 'संगीत में शायरी' सत्र में पियानोवादक, गायक और संगीतकार जोड़ी सुरेंद्रो-सौम्यजीत भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है. यह जोड़ी वर्तमान में संगीत जगत में एक खास किस्म की प्रयोगात्मक शैली का बड़ा नाम है, जो लघु शास्त्रीय, अर्ध-शास्त्रीय, ग़ज़ल, ठुमरी, नई रचनाओं और गीतों को एक नए रूप की गायिकी में विकसित कर युवाओं के बीच लोकप्रिय करने की कोशिश कर रही है. पहले दिन की आखिरी संगीतमय प्रस्तुति उदित नारायण की है. जाने-माने गायक जावेद अली भी अपनी प्रस्तुति देंगे. 

कार्यक्रम में उपस्थित होने वाली खास शख्सियतों में 'खामोश...' सत्र में अपने प्रशंसकों के बीच 'शॉटगन' के नाम से मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा उपस्थित होंगे. 'शब्दयोगी..' सत्र मनोज मुंतशिर शुक्ला के नाम है. गीतकार, कवि और पटकथा लेखक मनोज 'गलियां', 'तेरे संग यारा', 'कौन तुझे', 'दिल मेरी ना सुना', 'फिर भी तुमको चाहूंगा' और फिल्म 'केसरी' का 'तेरी मिट्टी' गीत के लिए मशहूर हैं और यश भारती पुरस्कार, आईफा पुरस्कार और रेडियो मिर्ची संगीत पुरस्कार पा चुके हैं. 

ओडिसी डांसर डोना गांगुली देंगी विशेष प्रस्तुति

नृत्य प्रस्तुति की बात करें तो ओडिसी डांसर डोना गांगुली अपनी टीम के साथ विशेष प्रस्तुति देंगी. गांगुली ने महज़ 3 साल की उम्र में अमाला शंकर से नृत्य सीखना शुरू किया. बाद में गुरु गिरिधारी नायक के मार्गदर्शन में वे ओडिसी की तरफ झुकीं और केलुचरण महापात्रा से नृत्य सीखने के बाद इसे अपने जीवन में उतार लिया. 

Advertisement

चर्चा सत्रों में पहले दिन ही 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' सत्र बाबुल सुप्रियो के नाम है. जाने माने पार्श्वगायक, जीवंत कलाकार, टेलीविजन होस्ट, अभिनेता, राजनेता  सुप्रियो ने 2014 में चुनाव जीतने के बाद एनडीए सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने. 31 जुलाई, 2021 को भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र देते हुए उन्होंने राजनीति से अवकाश की घोषणा की थी, पर 18 सितंबर, 2021 को ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली.

'चकदहा' नामक सत्र में पूर्व क्रिकेटर झूलन निशित गोस्वामी हिस्सा लेंगी. यदि आप क्रिकेट के फ़ैन हैं तो आपके लिए ये नाम अनजाना नहीं होगा. लगभग 20 वर्षों के शानदार करियर में झूलन महिला एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की सूची में शामिल हैं. झूलन मिताली राज से पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं. 

बंगाल की माटी में कविता सत्र का भी आयोजन 

पहले दिन कविता विमर्श पर आधारित 'बंगाल की माटी में कविता' सत्र में जो कवि और अनुवादक अपने विचार रखेंगे, उनमें अकादमिक शख्सियत सोमा बंद्योपाध्याय और गौतम सान्याल प्रमुख हैं. सोमा बंद्योपाध्याय पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ़ टीचर्स ट्रेनिंग, एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन की कुलपति रहने के अतिरिक्त 35 किताबें, 15 अनुवाद किताबें और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में 140 से अधिक आलेख लिख चुकी हैं. उन्हें साहित्य अकादमी अनुवाद सम्मान, प्रयाग साहित्य सम्मेलन सम्मान, मीरा स्मृति सम्मान, राजभाषा गौरव सम्मान मिल चुका है. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काव्य संग्रह का संपादन भी किया है. बिहार के मधेपुरा में जन्मे गौतम सान्याल अंग्रेजी ,बांग्ला, हिन्दी और भोजपुरी भाषाों के जानकार हैं. उनकी शताधिक रचनाएं हिन्दी, बांग्ला की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. 

Advertisement

'साहित्य, कला, सरोकार और बिजनेस' विषय पर पश्चिम बंगाल के प्रख्यात उद्योगपति संजय बुधिया अपने विचार रखेंगे. पैटॉन ग्रुप के उप चेयरमैन व प्रबंध निदेशक बुधिया अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और कला के साथ-साथ सेवा की गतिविधियों के लिए भी जाने जाते हैं. बुधिया विश्व भारती यूनिवर्सिटी के सम्सद यानी कोर्ट के रूप में नामांकित हैं.  इसके अलावा आप सीआईआई की इंटरनेशनल ट्रेड पॉलिसी एंड एक्सपोर्ट्स की राष्ट्रीय समिति के उप-चेयरमैन; ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन की राष्ट्रीय काउंसिल के सदस्य और कोलकाता में मलेशिया के मानद कौंसुल जनरल भी हैं. 

सरहद पार का प्रेम विषय पर ये रखेंगे अपने विचार

'सरहद पार का प्रेम' विषय पर जो साहित्यकार अपना मत रख रहे हैं, उनमें साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित अलका सरावगी, बिहारी पुरस्कार से सम्मानित मधु कांकरिया और जन आंदोलनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता विजय शर्मा शामिल हैं. 

कार्यक्रम के अगले दिन 18 फरवरी को दूसरे दिन की शुरुआत बंगाली, हिंदी और भोजपुरी की मशहूर पार्श्वगायिका और लोक गायिका कल्पना पटवारी की गायिकी से होगी. मात्र चार साल की उम्र से ही सार्वजनिक कार्यक्रम करने वाली पटवारी दुनिया भर में कार्यक्रम कर चुकी हैं. 

इसके बाद का सत्र 'पश्चिम बंगाल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विरासत' पर स्वपन दास गुप्ता और डॉ अनिर्बान गांगुली अपने विचार रखेंगे. कोलकाता, दिल्ली, लंदन और ऑक्सफोर्ड से पढ़े स्वपन दास गुप्ता द स्टेट्समैन, द डेली टेलीग्राफ, द टाइम्स ऑफ इंडिया, द इंडियन एक्सप्रेस और इंडिया टुडे में बड़े संपादकीय पदों पर रहे. स्वतंत्र लेखक, स्तंभकार और नेता के रूप में आपकी अपनी पहचान है. वहीं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के मानद निदेशक डॉ अनिर्बान गांगुली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और भाजपा की पश्चिम बंगाल राज्य इकाई की कोर कमेटी के सदस्य हैं. 

Advertisement

ये कवि कार्यक्रम में ले रहे हैं हिस्सा

इसी दिन 'आज के दौर में कविता' में जो कवि अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे, उनमें कवि, स्तंभकार, गीतकार, लोक संगीतकार और आईपीएस सभी शामिल हैं. इन लोगों में मृत्युंजय कुमार सिंह, यतीश कुमार, गीता दुबे, आनंद गुप्ता और कवयित्री पूनम सोनछात्रा शामिल हैं. 'साहित्य का स्त्री पक्ष' पर शर्मिला जालान, निर्मला तोदी और पल्लवी पुंडीर अपने विचार रखेंगी.

इस कार्यक्रम में 'रिक्शा, राजनीति और लेखक' विषय पर लेखक और विधायक मनोरंजन ब्यापारी अपने विचार रखेंगे. ब्यापारी का खुद का जीवन किसी रोमांचक कथा से कम नहीं है. उन्होंने चौबीस साल की उम्र में जेल में थे, तब  पढ़ना-लिखना सीखा. रिक्शा चालक, सफाई कर्मचारी और कुली और कुक का काम भी किया. वे और उनकी कृतियां हिंदू पुरस्कार, गेटवे लिट फेस्ट राइटर ऑफ द ईयर प्राइज, जेसीबी पुरस्कार, डीएससी पुरस्कार, क्रॉसवर्ड पुरस्कार, मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर पुरस्कार पा चुके हैं. वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी हैं.

एक सत्र 'बंगाल में नवजागरण और हिंदी' विषय पर है, जिसमें लेखक और आलोचक प्रोफेसर अरुण होता, प्रो अमरनाथ शर्मा और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ पार्थ बनर्जी अपने विचार रखेंगे.

'बांग्ला साहित्य और हिंदी' विषय पर आधारित सत्र में जो कवि और आलोचक अपने विचार रखेंगे उनमें प्रियंकर पालीवाल, श्यामल भट्टाचार्य, प्रेमशंकर त्रिपाठी शामिल हैं. 'ओटीटी के दौर में रंगमंच की चुनौतियां' विषय पर डॉली बसु, उमा झुनझुनवाला और प्रेम कपूर अपने विचार रखेंगे. 

Advertisement

मुशायरा में ये हस्तियां ले रही हैं हिस्सा

इन आयोजनों के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुशायरों की शान रहे बड़े शायरों का एक शानदार मुशायरा भी होगा, जिसमें जितेंद्र धीर, नंद लाल रौशन, विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ', अनवर हुसैन अंजुम, फ़े सीन एजाज़, नसीम अज़ीज़ी, मुश्ताक अंजुम और आसिम शाहनवाज शिबली जैसे शायर शिरकत कर रहे हैं.

'कोलकाता साहित्य आज तक' में बंगाली भाषा पर आधारित सत्रों में 'बंगाली बैंड ए बिमुख! सोलो-ए भोरशा होलो?' सत्र में भूमि बैंड की लग्नजिता और सुरजीत संवाद करेंगे, तो 'बंगालियों में दुर्गा हैं, राम नहीं' सत्र में चर्चा के लिए मौजूद होंगे लेखक, चिंतक नरसिंह प्रसाद भादुड़ी. 'कला की स्वास्तिका'  सत्र में अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी मौजूद होंगी, तो 'डिजिटल युग और प्रेम की कविता' सत्र में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक और कवि अनुत्तमा बनर्जी, कवि, विद्वान और स्तंभकार अभिरूप मुखर्जी, कवि, लेखक और बच्चों की पत्रिका 'मेघमुलुक' के संपादक सौविक गुहा सरकार और कवि तन्मय भट्टाचार्जी अपनी कविताएं सुनाएंगे.

'सिनेमा की राजनीति, राजनीति का सिनेमा' सत्र में कमलेश्वर मुखर्जी और अरिंदम सिल के साथ रुद्रनील घोष की बातचीत होगी. 'सर्बगुणी अंजन' नामक सत्र में गायक, गीतकार और निर्देशक अंजन दत्त अपने विचार रखेंगे, तो 'रवींद्रसंगीत के स्वर्ण युग की प्रतिपादक सुमित्रा सेन को श्रद्धांजलि' वाले सत्र में चर्चा के लिए मौजूद होंगी सुमित्रा सेन की बेटी सरबोनी सेन और इंद्राणी सेन. इनके साथ चर्चा करेंगी जयति चक्रवर्ती.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement