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सियासत, समाज या सरकार, आशुतोष राणा के इन व्यंग्य बाण का कौन है शिकार?

अपनी किताब के बारे में बताते हुए आशुतोष राणा ने कहा कि सीधे-सीधे किसी बात को कहने में उतना मजा नहीं है. उन्होंने अपनी किताब में कुछ निजी पहलुओं को भी उकेरने की कोशिश की है. किताब में जादुई वाक्य भी लिखे गए हैं जिनका जिक्र करते हुए आशुतोष राणा ने कई व्यंग्य पढ़कर भी सुनाए.

साहित्य आजतक में आशुतोष राणा (फोटो- चंद्रदीप कुमार) साहित्य आजतक में आशुतोष राणा (फोटो- चंद्रदीप कुमार)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

  • व्यंग्य बाणों से मंच पर छा गए आशुतोष राणा
  • राणा की किताब मौन मुस्कान की मार लॉन्च
  • समाज और सरकार किस पर किया तंज?

साहित्य आजतक 2019 के मंच पर अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा के व्यंग्य संग्रह 'मौन मुस्कान की मार' का विमोचन किया गया. यह किताब प्रकाशित होने के साथ ही बेस्ट सेलर बन चुकी है. इस मौके पर आशुतोष राणा ने कहा कि अपनी बात कहने का सबसे बढ़िया तरीका व्यंग्य होता है क्योंकि इससे समाज के विकृत अंग को ऐसे प्रस्तुत किया जाता है जिससे उसे पता भी चल जाए और बुरा भी नहीं लगता.

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अपनी किताब के बारे में बताते हुए आशुतोष राणा ने कहा कि सीधे-सीधे किसी बात को कहने में उतना मजा नहीं है. उन्होंने अपनी किताब में कुछ निजी पहलुओं को भी उकेरने की कोशिश की है. किताब में जादुई वाक्य भी लिखे गए हैं जिनका जिक्र करते हुए आशुतोष राणा ने कई व्यंग्य पढ़कर भी सुनाए.

कैसे दूर हो बड़ी समस्या?

उन्होंने कहा कि बड़ी समस्या को खत्म करने का उपाय है कि उससे छोटी समस्या को ज्यादा बड़ा और खतरनाक करके उसके सामने खड़ा कर दीजिए, फिर बड़ी समस्या हमें दिखाई ही नहीं देगी. किसी चीज का दिखाई न देना उसके न होने का प्रमाण होता है, भगवान और भूत को छोड़कर, यह भटक-भटका का सूत्र है. इस लाभ है कि आपकी मूल समस्या जस की तस बनी रहेगी और अपनी सुविधा के अनुसार आप बाद में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

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आशुतोष राणा ने दूसरा सूत्र बताते हुए कहा कि अपनी विफलता से बचने का आसान तरीका है कि किसी दूसरे की विफलता को चर्चा का केंद्र बना दीजिए. अगर परिवार में कोई आपकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करे तो आप दादाजी के काम पर सवाल खड़े कर दीजिए, जिससे घर के 75 फीसदी लोगों का ध्यान आपकी कार्यशैली से हट जाएगा और वह आपकी विफलता के लिए दादाजी को जिम्मेदार व दोषी मान लेंगे. बहुमत की आवाज सच की आवाज होती है यहां यह वाला सिद्धांत फिट हो जाएगा क्योंकि 75 फीसदी लोग आपको दया की दृष्टि से देखने लगेंगे और आप सत्य के ध्वजवाहक बन जाएंगे. ऐसे में सच परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं.  

दुश्मन को ऐसे दें मुंहतोड़ जवाब

राणा ने किताब के कुछ अंश पढ़ते हुए कहा कि अगर आप दबंग छवि के बावजूद मोहल्ले में किसी से पिट कर आए हैं तो फिर मुंहतोड़ जवाब दीजिए. यहां मुंहतोड़ का मतलब मुंह तोड़ने से बल्कि नहीं मुंह से जवाब देने से है. इसके लिए जादुई वाक्य बोलिए कि बेटा जित्ती तुमाई उमर है न उत्ती हमाई कमर है. दूसरा, इतनी गोली चलिहें कि छर्रा बीनत-बीनत करोड़पति हो जएऔ. तीसरा, बेटा सज के आओ हो, बज के जएहो. विश्वास रखिए शब्द में शक्ति होती है बशर्ते वे सिद्दत से बोले जाएं.

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मौन मुस्कान की मार किताब का विमोचन (फोटो- चंद्रदीप कुमार))

किताब के अंश पढ़ते हुए आशुतोष राणा ने कहा कि अगर कोई आपको सवालों को घेरे में खड़ा कर दे तो घबराएं नहीं बल्कि उसकी बातों को भावनात्मक मोड़ दे दीजिए. भावना वो ब्रह्मास्त्र है जो जमीनी सच्चाई को हवा में उड़ाकर उसके चीथड़े उधेड़ देता है. भावना हमेशा व्यवहार पर शासन करती है. अगर आप घर के मुखिया हैं फिर भी घर का कोई व्यक्ति प्रगति नहीं कर पा रहा है तो याद रखें एक बार कोई व्यक्ति ट्रेन में बैठने के बाद ट्रेन छोड़ता नहीं है. रुकी हुई ट्रेन के यात्रियों से आशावान इस संसार में कोई नहीं है. ट्रेन के लेट होने पर यात्री इसका दोष सिस्टम को देते हैं इंजन ड्राइवर को नहीं. आप सिर्फ बीच में हॉर्न बजाते रहिए जिससे यात्रियों में उत्साह बना रहे कि अब ट्रेन चलने वाली है.

शेर का शिकार, गीदड़ से दूरी

राणा ने कहा कि अगर आप अच्छे शिकारी के नाम से विख्यात होने पर भी किसी हालात में शेर का शिकार नहीं कर पाते तो वो पहले गीदड़ को शेर बनाकर प्रतिष्ठित करिए, फिर गीदड़ को शेर की मौत मारिए. इससे श्रेष्ठतम शिकारी होने की आपकी प्रतिष्ठा बची रहती है. उन्हें पता है कि संसार यह देखकर प्रभावित नहीं होता कि शिकारी ने कैसे शिकार किया है बल्कि यह देखकर प्रभावित होता है कि शिकारी ने किसका शिकार किया. अगर आप शेर हैं तो गीदड़ से मत उलझिए, इससे आपकी प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है. साथ ही आप शेर हैं तो शेर से भी बिल्कुल मत उलझिए, इससे आपकी जान को खतरा है.

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अपनी किताब से मनोवैज्ञानिक सच के बारे में बताते हुए राणा ने कहा कि आजकल व्यक्ति के कद का अंदाजा उसके दोस्तों से नहीं बल्कि उसके दुश्मनों को देखकर लगाया जाता है. मतलब जितना बड़ा आपका दुश्मन उतने बड़े आप, इसलिए अपने से छोटे लोगों को अपना दुश्मन मन बनाइये. इससे वो छोटा आदमी बड़ा हो जाएगा और आप बड़े होते हुए भी बहुत छोटे हो जाएंगे.


आशुतोष राणा की अगली किताब राम राज्य आने वाली है. इस पर बात करते हुए राणा ने कहा कि राम हमारे चिंतन और चर्चाओं में शामिल हैं, साथ ही वह हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं. रामायण में एक वृत्तांत का जिक्र करते हुए राणा ने कहा कि ऐसा कहा गया कि सरस्वती देवी ने कैकेयी की बुद्धि भ्रष्ट की थी लेकिन मैं ज्ञान की देवी के बारे में ऐसा विचार मानने को तैयार नहीं हूं. राम राज्य किताब की शुरुआत इसी किस्से की वजह से हुई है.

राणा ने अपनी किताब में देशभक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि अगर बदलाव कल्याणकारी हो यह मैं नहीं मानता और हर कल्याणकारी चीज के लिए बदलाव की जरूरत है, यह भी नहीं माना जा सकता. राणा ने कहा कि नित नए विस्तार से हमारा संबंध हैं क्योंकि विस्तार से ही निस्तार है.

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मित्रों की प्रजातियां

मित्रों की श्रेणी पर बात करते हुए आशुतोष राणा ने कहा कि आज के तकनीक दौर में मित्र की परिभाषा बदल चुकी है. वैसे मन के दुखों को दूर करने वाले को मित्र कहा जाता है. लेकिन देश, काल, परिस्थति के मुताबिक मित्र की परिभाषा बदल गई है अब जो हमारे प्राण लेले वह हमारा मित्र होता है.

राणा ने कहा कि मित्र की कई प्रजातियां होती हैं जैसे मित्रों की चाल ही हमारी गति, सुगति और दुर्गति का कारण होती है. बालसखा बचपन के मित्र होते हैं जिनमें से बाद में चलकर कुछ कालसखा बन जाते हैं जो आपको काम सिद्ध होने पर दूध की मक्खी की तरह बाहर फेंक देते हैं.

एक मित्र पालसखा भी होता है जिसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी हमारी होती है. यह आपके द्वारा दुत्कारे जाने और भगाए जाने का बुरा नहीं मानते, यह मान-अपमान से ऊपर उठे हुए होते हैं. एक मित्र होते हैं ढाल सखा, यह आपके कुकर्मों को अपने ऊपर झेल लेते हैं. आपकी हर गलती को यह तुरंत ठीक करते हैं, आप इन्हें अपनी मम्मी का विकल्प भी मान सकते हैं. एक श्रेणी है जालसखा, यह आपके चारों ओर जाल बिछाने का काम करते हैं, इनके द्वारा आप बंधन मुक्त होने की कल्पना करते हैं लेकिन यह आपको एक से निकालकर दूसरे जाल में फंसा देते हैं.

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