
साहित्य आजतक लखनऊ की शुरुआत हो चुकी है. साहित्य आजतक के मंच पर बातचीत करते हुए मशहूर शायर और गीतकार शकील आजमी ने अपनी किताब 'राम का वनवास' को लेकर बातचीत की और उन्होंने भगवान लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, माता शबरी और देवी अहिल्या के बारे में बात की है.
कुमार अभिषेक ने शकील आजमी की गजल को दोहराते हुए कहा कि धुआं-धुआ है रोशनी बहुत कम है सभी से प्यार करो जिंदगी बहुत कम है.
'रात में नहीं सोते शायर और...'
उन्होंने कहा कि हम लोग ज्यादा संवेदनशील होते हैं, शायर और उल्लू रात में कम ही सोते हैं. तो एक रात में ये गजल शुरू हो गई और वो दिन भी चल रही थी. आमतौर पर 5 शेर की गजल पूरी मानी जाती है, लेकिन ये 26 शेर की गजल है. इसमें इतने शेर हैं. ये गजल चलती रही. इस गजल का इतना सुरुर था, इतना खुमार था मुझे में. मैं इतना लीन था इस गजल में कि जब मुशायरे में कविता पाठ के लिए मेरा नंबर आया तो मैंने अपनी इसी गजल को लोगों को सुनाया.
उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर शायर लोगों अपनी पुरानी गजल से शुरुआत करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कुछ नया लोगों को पसंद नहीं आया तो लोगों आलोचना करेंगे. लेकिन मैं अपने सुनने वालों पर भरोसा करता हूं, जब हम अपने सुनने वाले पर भरोसा नहीं करते हैं तो मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री में जंगल की हसीना बना देते हैं और जब हम भरोसा करेंगे तो भाग मिल्खा भाग बनाते हैं. और इसी लिए मैं हमेशा नई गजल से शुरुआत करता हूं. पर ये गजल लोगों को इतनी पसंद आई की लोगों मंच पर मेरे पास आ गए.
'राहत इंदौरी साहब ने किया फोन'
इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं जब 3-4 दिन बाद वापस मुंबई पहुंचा तो राहत इंदौरी साहब का मुझे फोन आया कि शकील मैं तुम्हें उस गजल की दाद देने के लिए फोन किया है और हमें इस तरह का भी काम करना चाहिए.
आज भी गुम है उर्मिला: शकील
शकील आजमी ने उर्मिला के बारे में बोलते हुए कहा कि मैं आपको सच बता रहा हूं कि ये गजल इस किताब की बुनियाद थी और तब तक किताब में रामायण का ज्रिक नहीं आया था. मैंने इस किताब का नाम सोचा था जंगल यात्रा. पर उर्मिला ने मेरे दिमाग में दस्तक दी और जब तक मैंने ये नज्म पूरी नहीं कर ली तब तक मैं उर्मिला के जैसे हो गया था. सही बता रहा हूं आपको. उर्मिला और अहिल्या रामायण के दो ऐसे किरदार हैं, जिनके लिए मैं रोया हूं. पर आज भी उर्मिला गुम है.
उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास ने उर्मिला के साथ न्याय नहीं किया है. हमारे जो भी ग्रंथ है, जिन्हें हम पुण्य समझ कर पढ़ते हैं, लेकिन मैं ये बताना चाहता हूं कि मेरी रामायण है. मेरी रामायण किरदारों के जरिए लिखी गई है.
उन्होंने आहिल्या पर लिखा कि राम तुम मुझे क्यों छूकर गुजरे. तोड़कर पत्थर से क्यों निकाल मुझे, मूर्ति ही रहने देते. तो इंद्र की वो नजर और गौतम ऋषि का वो शाप. इन किरदारों में जाने बहुत जाना, बल्कि उनको अपने अंदर पिरो लेना जरूरी है. तब जानकर उनकी तरह बना पाते हैं और फिर लिख पाते हैं. राम कथा में अहिल्या का कोई किरदार नहीं होता तो किसी को नहीं पता चलता और जंगल में ये नहीं फैलता कि वो जो जंगल आया है वो पैर से छूकर पत्थर को औरत बना देता है, इसीलिए केवट उन्हें अपनी नाव में बैठाने में डरते हैं.
'मुझे कोई दवा दे जंगल'
शकील आजमी ने आगे कहा कि उर्मिला की तरह अहिल्या का भी किरदार की बात नहीं हुई है और अगर किसी किरदार के बारे में बात नहीं हुई तो वो वह छोटा नहीं होता. रामायण के सारे किरदार बहुत बड़े हैं. त्रिजटा को ही देख लीजिए. वो अंत में अपनी गजल की लाइनें बोलते हुए कहा कि मैं ही रावण भी हूं, हनुमान की सेना में भी मैं. मैं ही घायल ही, मुझे कोई दवा दे जंगल.