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'याद रखिए डुबकी लगाने से पाप नहीं धुलते...', महाकुंभ स्नान पर बोलीं जया किशोरी

जया किशोरी से महाकुंभ को लेकर कहा, 'कुंभ में कौन डुबकी लगा रहा है, वो कौन नहीं लगा रहा है. कौन अच्छा है, वो तो मुझे नहीं पता. एक बात याद रखिए, डुबकी लगाने से आपके सारे पाप नहीं धुल जाते. डुबकी लगाने से वही पाप धुलते हैं जो गलती से किए गए हैं, जो अनजाने में किए गए हैं. सोची-समझी योजनाएं नहीं धुलतीं.'

साहित्य आजतक के मंच पर जया किशोरी. साहित्य आजतक के मंच पर जया किशोरी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:31 AM IST

लखनऊ में साहित्य, कला और मनोरंजन यानी 'साहित्य आजतक 2025' का मंच सजा हुआ है. सोमवार को इसमें मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोर ने शिरकत की, जहां उन्होंने भक्ति, जीवन और माया शीर्षक पर अपने विचार रखे.

सेशन के दौरान जब जया किशोरी से महाकुंभ में स्नान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि देखिए, महाकुंभ में कौन डुबकी लगा रहा है, वो कौन नहीं लगा रहा है. कौन अच्छा है, वो तो मुझे नहीं पता. एक बात याद रखिए, डुबकी लगाने से आपके सारे पाप नहीं धुल जाते. डुबकी लगाने से वही पाप धुलते हैं जो गलती से किए गए हैं जो अनजाने में किए गए हैं. सोची-समझी योजनाएं नहीं धुलतीं.

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'कर्मों की सजा जरूर मिलेगी'

उन्होंने जोर देकर कहा कि आप जो किसी को सोच-समझकर किसी को तकलीफ पहुंचा रहे हैं, उन पाप को गंगा मैया भी नहीं धोएंगी. उस कर्म की सजा तो आपको मिलेगी-ही-मिलेगी. वो बात अलग है कि कौन डुबकी लगा रहा है, उसने अपने जीवन में क्या किया है.

सेशन में जब नवयुवकों की महाकुंभ में सक्रियता से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'हमारा देश बदल रहा है और भक्ति की ओर बढ़ रहा है. लोग खुली मानसिकता के साथ भक्ति और आध्यात्म की ओर बढ़ रहे हैं जो कि अच्छी बात है.'

साथ ही उन्होंने महाकुंभ में हुए हादसे पर अपने विचार रखते हुए कहा, जिन लोगों के साथ ये हादसा हुआ उनके लिए कोई दवाई काम नहीं करेगी. हम उन लोगों के दर्द को कम नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनका साथ जरूर निभा सकते हैं. और जो हुआ उसके लिए माफी मांग सकते हैं. इतनी संख्या में लोगों का महाकुंभ में पहुंचना अच्छी बात है, पर लोगों को थोड़ा मर्यादा और नियम में रहना चाहिए.

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'नास्तिक व्यक्ति आध्यात्मिक हो सकता है?'

वहीं, जब जया किशोरी से पूछा गया कि क्या कोई नास्तिक व्यक्ति आध्यात्मिक हो सकता है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'अगर आप आध्यात्मिक हैं तो शक्ति को मानना पड़ेगा. यहां उस शक्ति का मतलब कर्म से है. अगर आप सिर्फ अपने आप को ही सर्वोपरि मानेंगे तो आप आध्यात्मिक नहीं हैं.'

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