Advertisement

रामराज्य कैसे आएगा? साहित्य आजतक पर कवयित्रियों की तिकड़ी ने बांधा समा

Sahitya Aaj Tak Lucknow 2024:  'साहित्य आजतक-लखनऊ 2024' के 'ये समय और कवि' सत्र में कवयित्री सुशीला पुरी, कवयित्री पल्लवी विनोद और कवयित्री एवं शायर नाज़िश अंसारी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं, जिन्होंने साहित्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे.

साहित्य आजतक के मंच पर सुशीला पुरी, पल्लवी विनोद और नाज़िश अंसारी कवयित्रियां साहित्य आजतक के मंच पर सुशीला पुरी, पल्लवी विनोद और नाज़िश अंसारी कवयित्रियां
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:51 PM IST

Sahitya Aaj Tak Lucknow 2024: 'साहित्य आजतक-लखनऊ 2024' का दूसरा संस्करण आज से शुरू हो गया है, जो शनिवार 20 और रविवार 21 जनवरी 2024 को अंबेडकर मेमोरियल पार्क, गोमती नगर, लखनऊ में हो रहा है. इस मंच पर कई गणमान्य अतिथियों ने शिरकत की. इनमें 'ये समय और कवि' सत्र में कवयित्री सुशीला पुरी, कवयित्री पल्लवी विनोद और कवयित्री एवं शायर नाज़िश अंसारी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं, जिन्होंने साहित्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे और सत्र के दौरान तीनों कवयित्रि ने अपनी-अपनी रचनाएं सुनाई.

Advertisement

सुशीला पुरी की कविताओं का प्रमुख स्वर प्रेम हैं जिनकी रचनाएं देशभर के अखबारों के साथ-साथ कई प्रमुख साहित्य पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. आपकी रचनाओं में आकाशवाणी और दूरदर्शन से प्रसारण भी होता रहता है. सुशीला पुरी की कविताओं का हिंदी, बांग्ला, पंजाबी, मराठी समेत कई भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है. पल्लवी विनोद, कवयित्री, लेखिका और शिक्षका होने के साथ-साथ एक गैर सरकारी सेवा संस्था से जुड़ी हुई हैं. वहीं कवयित्रि और शायर नाजिश अंसारी की कविताओं में नारी और समाज के साथ-साथ यथार्थ नजर आता है.

'ये समय और कवि' सत्र में कविता समाज का आइना होती हैं पर चर्चा करते हुए सुशीला पुरी ने कहा कोई भी रचनाकर अपने ही समय को रचता है. उस समय की जो विसंगतियां, उथल-पथल, विश्व में जो झंझावात चलते हैं, वो हर मनुष्य को उद्वेलित करते हैं, जो संवेदनशील रचनाकर होता है वो उन चीजों को रिलेट करके लिखा है. 

Advertisement

रामराज्य कैसे आएगा?
कवयित्री पल्लवी विनोद ने कहा कि हर इंसान के अंदर राम हैं, उसी के अंदर रावण हैं, सुर्पणा और सीता है. जो इंसान अपने समाज को अच्छा बनाना चाहेगा वो रामराज्य लाएगा. फिर हमें अपनी दृष्टि को भी उतना विकसित करना होगा. जब राम की बात होगी तो केवट, शबरी, मल्लाह, शुद्र, रावण की भी बात होगी. आपको अपने समाज के हर वर्ग को स्वीकरना पड़ेगा, आगे बढ़ाना पड़ेगा. सिर्फ आप अपने उत्थान से देश का उत्थान नहीं कर सकते. रामराज्य आएगा जब हर व्यक्ति किसी दूसरे पीड़ित-शोषित को उठाने की बात सोचेगा और करेगा.

अगर कविताएं समाज का आइना है तो क्या उसमें फिल्टर लगाने की जरूरत है?
पल्लवी विनोद ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि फिलटर न लगाने की जरूरत है. जब तक हम समाज की सच्चाई को नहीं दिखाएंगे तब तक इसमें सुधार कैसे करेंगे. 

कविता में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर दबाव होता है?
कवयित्रि और शायर नाजिश अंसारी ने कहा कि अगर वो न लिख सकें जो लिखना चाहिए तो लिखने का मतलब ही क्या. मुझे लगता है कि कवि होने का मतलब यही होता है जो आवाजें धीमी हैं दबी हैं सुनाई नहीं दे रहा हैं उन्हें आवाज दें, जो सत्ता तक पहुंचनी चाहिए. सत्ता का मतलब केंद्रीय सत्ता भी होता है पितृसत्ता, कोई भी जो आपको गबन करने की कोशिश कर रहा है आप वहां तक अपनी बात रख पा रहे हैं, अगर नहीं रख पा रहे है तो कवि उन्हें कहने की कोशिश करता है. मेरे हिसाब से कवि की परिभाषा यही है.

Advertisement

आज के समय की प्रासंगिकता क्या है, एक कवयित्रि और महिला की नजर से?
इसपर पल्लवी विनोद ने कहा कि एक कवि संवेदनशील होता है तो हमारे लखनऊ शहर के जाने माने कवि नरेश सक्सेना की एक कविका कोट की 'मरना है यह तो तय है, पर कब और किसके हाथ यही संशय है, जो है सबसे नजदीक उसी से भय है इतना बुरा समय है.' समय को कौन कैसे परिभाषित करता है यह तो हर रचनाकार अपने हिसाब से करता है.

कविता में युवा कहां हैं?
नाजिश अंसारी ने कहा कि साहित्य वैसे भी सेलेक्टेड लोगों के लिए है. अगर आप युवाओं की बात करेंगे तो वे आपको स्टेंड-अप कॉमेडी देखते हुए मिल जाएंगे या इंस्टाग्राम पर रील बनाते हुए मिल जाएंगे. फिर भी कविताओं, पंक्तियों और कोटेशनंस के पोस्टर युवाओं में लोकप्रिय हो जाता है. उनमें से कुछ उन लाइनों तक पहुंचने की कोशिश करता है. यानी जिन युवाओं में संवेदनशीलता होगी वो उनकी तरफ बढ़ेगा ढूंढेगा और पढ़ेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement