साहित्य आज तक के सत्र 'प्रेम और कविता' में कवयित्री निधि नित्या ने बताया कि कोई भी कविता लिखते वक्त वे शब्दों का चुनाव नहीं करती हैं और भाव नहीं चुनती हैं. उस दौरान वो सिर्फ लिखती हैं और लिखने के बाद दोबारा पढ़कर देखती हैं. निधि के मुताबिक वे शिष्टाचार और औपचारिकता को ध्यान में रखकर कविताएं नहीं लिख सकती हैं.