साहित्य आज तक का दूसरा दिन सुर, साज, संगीत और साहित्य के नाम रहा. परो भूमि के संस्कार जब संगीत के सुरो को थामे हुए आगे बढ़े तो राजस्थानी रंग में मामे खान ने रंग लिया. लोकगायक मामे खान की खनकती आवाज में राजस्थान की माटी की खुशबू रची बसी होती है. और साहित्य आज तक के मंच पर इसे हृदय तक महसूस किया गया. देखें- कैसा रहा साहित्य आज तक का दूसरा दिन.