प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने धर्म की रक्षा और आत्मज्ञान के बीच संबंध पर गहन चर्चा की. सनातन धर्म, महावीर और हनुमान जी के उदाहरणों से समझाया गया कि सच्चा धर्म क्या है. अहंकार और आत्मज्ञान के बीच अंतर, पैगंबर और दिगंबर परंपरा की तुलना, तथा रामायण और महाभारत से लिए गए प्रसंगों द्वारा धार्मिक कथाओं का वास्तविक अर्थ समझाया गया है. धर्म के नाम पर स्पर्धा और व्यावसायिकता पर भी चर्चा की गई है.