साहित्य आजतक के दूसरे दिन सीधी बात स्टेज पर 'साहित्य में मुस्लिम समाज' विषय पर चर्चा की गई . क्या हमारा साहित्य समाज मजहब, बिरादरी में बंटा है? क्या साहित्य का भी अपना कोई समाज है? इस पर चर्चा के लिए मौजूद रहे तीन बड़े लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह, भगवानदास मोरवाल और अंजुम उस्मानी. कार्यक्रम का संचालन शम्सताहिर खान ने किया. शम्स ने सवाल किया कि क्या साहित्य में भी हिंदू-मुस्लिम होता है. इस पर अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि ये कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि हिंदी उपन्यास में प्रेमचंद के बाद किसी भी लेखक की कहानी में मुस्लिम दमदारी से नहीं दिखता.
On the second day of the Sahitya Aajtak, a discussion on the topic of Muslim society was discussed in a straight talk stage. Is our literature society divided into religion, community? Is there any community of literature also? Three great writers, Abdul Bismillah, Bhagwandas Morwal and Anjum Usmani were present to discuss this.