
साहित्य आजतक, 2017 के अंतिम दिन पहले सत्र में गीतकार और अभिनेता पीयूष मिश्रा ने शिरकत की. उन्होंने अपने सुमधुर गीतों से शुरुआत की. मिश्रा ने अपने गीत 'जब शहर हमारा सोता है...', 'एक बगल में चांद होगा...' और 'आरंभ है प्रचंड...' से समां बांधा. मिश्रा ने अपनी कविताओं का भी पाठ किया. उन्होंने 'क्यों आते हो अंकल मुझको डर लगता है' पढ़ी. मिश्रा ने अपने प्रिय म्यूजिक डायरेक्टर ओपी नैयर के नाम भी एक गाना गाया. जिसके बोल थे 'ऐसा तो होता है.'
मिश्रा ने कहा कि 'मुझे अपना पहला ब्रेक 46 की उम्र में फिल्म गुलाल से मिला. इसके बाद मेरी पहचान बनी. स्टार अभी भी नहीं हूं. स्टार वो होता है, जिस पर प्रोड्यूसर पैसा लगाता है. कई लोगों ने मुझसे पूछा कि ब्रेक नहीं मिल रहा था तो आपने फिल्में छोड़ी क्यों नहीं? लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था. गीता में लिखा है कि एक बार किया गया कर्म बिना अपना फल दिए नष्ट नहीं होता है'. मिश्रा ने अमेरिकी एक्टर मॉर्गन फ्रीमैन का उदाहरण दिया, जिन्हें 55 साल की उम्र में ब्रेक मिला.
'साहित्य आजतक' के दूसरे संस्करण के तीसरे दिन का शुभारम्भ हो चुका है. पहले दो दिनों की तरह एक बार फिर दिनभर साहित्य और कला के जगत से दिग्गजों का साहित्य आजतक के मंच पर जमावड़ा रहेगा. दूसरे दिन के अहम सत्र में साहित्य और समाज में कवि, गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर ने किया. जावेद अख्तर ने कहा कि आदमी को अपनी शोहरत और कामयाबी पर घमंड नहीं करना चाहिए. वहीं आखिरी सत्र में लोकगायक मामे खान ने अपनी प्रसिद्ध गीतों से महफिल में समां बांधा. इसके अलावा श्याम रंगीला ने अपने अंदाज में लोगों को खूब हंसाया.