Advertisement

साहित्य आजतक: जो समय के बंधन से मुक्त वह भगवान: पटनायक

'साहित्य आजतक' के अंतिम दिन छठवें सत्र में लेखक देवदत्त पटनायक ने शिरकत की. उन्होंने आज की सीता विषय पर बात की. पटनायक ने बताया कि किस तरह उन्होंने पैराणिक किरदारों अलग नजरिए के साथ देखा है.

'साहित्य आजतक' 'साहित्य आजतक'
महेन्द्र गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

'साहित्य आजतक'  के अंतिम दिन छठवें सत्र में लेखक देवदत्त पटनायक ने शिरकत की. उन्होंने 'आज की सीता' विषय पर बात की. पटनायक ने बताया कि किस तरह उन्होंने पैराणिक किरदारों अलग नजरिए के साथ देखा है.

पटनायक ने कहा, मैं हनुमान के माध्यम से वेदों और उपनिषदों में जो ज्ञान है, जो आम जन तक पहुंचाने की कोशि‍श करता हूं. ये पहले ब्राह्मणों तक सीमित था. अब इस पर रिसर्च कर मैं इसे आसान बनाना चाहता हूं.

Advertisement

आज के परिदृश्य पर पटनायक ने कहा, हम सब रस्साकशी कर रहे हैं, संवाद नहीं. हम दूसरे की सुन नहीं रहे हैं, सिर्फ अपनी बात सच साबित करने में तुले हैं. ब्राह्मण का अर्थ है, अपने अंदर के बंधे हुए को खोलना. तीन तरह के लोग होते हैं, पहले वे जो सोचते हैं पता नहीं सामने वाला क्या बोल रहा है जाने दो, दूसरे वे जो सही गलत में उलझ गए और तीसरे वे जो सुन रहे हैं.

लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा, सामान्यत: हम कहानियों के विश्लेषण करते हैं, लेकिन हनुमान चालीसा जैसा दर्शन के बारे में नहीं सोचते. इस सबका अपना महत्व और इतिहास है. महाराष्ट्र में इसका अलग इतिहास है और उड़ीसा में अलग. ये सब रिसर्च मुझे पसंद है.

पटनायक ने भगवान का विश्लेषण करते हुए कहा, जो समय और स्पेस को कंट्रोल करता है, वही भगवान है. हम एक समय में दूसरी जगह नहीं जा सकते, लेकिन भगवान भूत और भविष्य दोनों में जाते हैं. समय के बंधन से जो मुक्त होता है, जो जीव मुक्त होता है, उसे हम भगवान कहते हैं. ये हमें अपनी आत्मा की तरह लेकर जाता है. जब आप आत्मा की तरह जाते हैं तो टाइम और स्पेस का मतलब बदलता है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement