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साहित्‍य के मंच से कुमार विश्‍वास का केजरीवाल और AAP पर 'हमला'

कवि और आप पार्टी के नेता कुमार विश्‍वास ने साहित्‍य आजतक, 2017 के मंच से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर निशाना साधा.

साहित्‍य आजतक में कुमार विश्‍वास साहित्‍य आजतक में कुमार विश्‍वास
महेन्द्र गुप्ता
  • ,
  • 11 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

कवि और आप पार्टी के नेता कुमार विश्‍वास ने साहित्‍य आजतक, 2017 के मंच से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर निशाना साधा. विश्‍वास ने अपनी कविता के जरिए दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पार्टी के अन्‍य नेताओं पर हमला किया.

विश्‍वास ने कविता शुरू करने से पहले डिस्‍क्‍लेमर भी दिया कि वे सब के बारे में कह रहे हैं, किसी एक पर नहीं है. वे सब हिन्‍दुस्‍तान की राजधानी में बैठे हैं. इसे सुनने में दिल और दिमाग भी लगाना. उन्‍होंने अपनी कविता में कहा,

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पुरानी दोस्‍ती को इस नई ताकत से मत तौलो

ये संबंधों की तुरपाई है, षणयंत्रों से मत तौलो

मेरे लहजे की छैनी से गढ़े कुछ देवता तब

मेरे लफ्जों पर मरते थे, वो कहते हैं मत बोलो

विश्‍वास ने केजरीवाल का नाम लिए बिना कहा कि जो लोग उनके लफ्जों पर मरते थे, वे अब उन्‍हें बोलने के लिए मना कर रहे हैं. आगे उन्‍होंने कहा, वे दरबार सजाने को कहते हैं और बोलने से पाबंदी लगाते हैं. लेकिन वे कबीर के वंशज हैं, इसलिए इसे स्‍वीकार नहीं कर सकते. आगे कुमार विश्‍वास ने पढ़ा,

वे बोले दरबार सजाओ, वे बोले जयकार लगाओ

वे बोले हम जितना बोलें तुम केवल उतना दोहराओ

वाणी पर इतना अंकुश कैसे सहते

हम कबीर के वंशज चुप कैसे रहते

वाणी पर इतना अंकुश कैसे सहते

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हम दिनकर के वंशज चुप कैसे रहते

विश्‍वास ने कहा, पहले जनता के नाम पर व्‍यवस्‍थाएं बनाई जाती है फिर व्‍यवस्‍था के नाम पर जनता को बनाया जाता है. आगे उन्‍होंने कहा, वे जिस रास्‍ते पर चले थे, उसे उन्‍होंने बदल दिया. हमने जो सपने देखे थे, उन्‍होंने उसे राजनीति में बदल दिया.

वे बोले जो मार्ग चुना था

ठीक नहीं था, बदल रहे हैं

मुक्‍तवाह संकल्‍प गुना था

ठीक नहीं था, बदल रहे हैं

हमसे जो जयघोष सुना था

ठीक नहीं था, बदल रहे हैं

हम सबने जो ख्‍वाब बुना था

ठीक नहीं था, बदल रहे हैं

इतने बदलवों में मौलिक क्‍या कहते

हम कबीर के वंशज चुप कैसे रहते

हमने कहा अभी मत बदलो

दुनिया की आशाएं हम हैं

वे बोलो अब तो सत्‍ता की

वरदायी भाषाएं हम हैं

हमने कहा व्‍यर्थ मत बोलो

गूंगों की भाषाएं हम हैं

वे बोलो बस शोर मचाओ

इसी शोर से आए हम हैं

विश्‍वास ने कहा, 'मैं इसलिए याद नहीं रखा जाऊंगी, राजनीति के विचलन पर मैं चुप था या बोला था.'

इतने मतभेदों में मन की क्‍या कहते

हम कबीर के वंश चुप कैसे रहते

हमने कहा शत्रु से जूझो

थोड़े और वार तो सहलो

ये राजनीति है, तुम भी इसे प्‍यार से सहलो

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हमने कहा उठाओ मस्‍तक

खुलकर बोलो, खुलकर कह लो

इस पर राजमुकुट है, जो भी चाहे सह लो

इस गीली ज्‍वाला में हम कब रहते

हम करीब के वंशज चुप कैसे रहते

हम दिनकर के वंशज चुप कैसे रहते

अपनी कविता के जरिए कुमार विश्‍वास ने इशारा किया कि उन्‍होंने पार्टी के नेताओं को खुलकर बोलने को कहा, लेकिन उन्‍हें राजमुकुट का हवाला देकर सब कुछ सहन करने को कहा गया.

बता दें कि आम आदमी पार्टी के भीतर पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पार्टी के नेता कुमार विश्‍वास के बीच गहरे मतभेद हैं. दो नवंबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के लिए तैयार किए गए एजेंडे से कुमार विश्वास को गायब कर दिए गए थे. पूरे दिन चलने वाली इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है, लेकिन पार्टी की तरफ से भेजे गए एजेंडे में कुमार पूरी तरह साइडलाइन कर दिए गए. दिल्‍ली की राज्‍यसभा सीट को लेकर भी कुमार विश्‍वास के पार्टी से मतभेद हैं. दिल्‍ली की तीन सीट खाली हो रही हैं, ज‍िन पर जनवरी में चुनाव होने हैं. कुमार विश्‍वास पार्टी से राज्‍यसभा के टिकट की मांग कर चुके हैं.

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