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'सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में...' शायरों ने चांद ही नहीं, सूरज पर भी खूब लिखे हैं शेर

गजलों व कविताओं में चांद को तो खूब सुना, लेकिन सूरज पर शायरी में कितना लिखा गया है. दरअसल, लिखने वालों ने सूरज, चांद, सितारों पर खूब लिखा और रचा है. सूरज पर जब राहत इंदौरी लिखते हैं... 'दिन ढल गया तो रात गुजरने की आस में, सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में...' तो पढ़ने व सुनने वाले एक अलग रूमानियत में खो जाते हैं.

सूरज पर भी कहे गए हैं शेर. (Representational image) सूरज पर भी कहे गए हैं शेर. (Representational image)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

कवियों-शायरों ने अपनी शायरी, कविता व नज्म में चांद का जिक्र खूब किया है. लिखने वालों ने चांद की तुलना कभी महबूब से की तो कभी चांद की चमक और उसकी खूबसूरती पर बातें कहीं, लेकिन असलियत में चांद की तस्वीरें शायरों के चांद से जुदा हैं. चांद को देख करवाचौथ और ईद मनाई जाती है, लेकिन चांद और पूरी कायनात को रोशन करने वाले सूरज पर शायरों ने क्या लिखा है. आगे जानते हैं.

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शायर डॉ. राहत इंदौरी ने सूरज पर अपने अंदाज में शेर कुछ यूं कहा है...
दिन ढल गया तो रात गुजरने की आस में
सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में

अहमद नदीम कासमी ने लिखा है...
सूरज को निकलना है सो निकलेगा दुबारा 
अब देखिए कब डूबता है सुब्ह का तारा 

जी हार के तुम पार न कर पाओ नदी भी 
वैसे तो समुंदर का भी होता है किनारा 

फ़ज़्ल ताबिश ने लिखा है...
नकाब डाल दो जलते उदास सूरज पर
अंधेरे जिस्म में क्यूं रोशनी नहीं जाती

इकबाल साजिद का शेर है कि...
कल उजालों के नगर में हादसा ऐसा हुआ
चढ़ते सूरज पर दिए की हुक्मरानी हो गई

स्वप्निल तिवारी ने शेर यूं लिखा है...
'आतिश' तुझ को नाज़ बहुत था सूरज पर
शाम के ढलते ही जिस को बुझ जाना था

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अहसन इमाम अहसन ने लिखा...
आदमी जा बसेगा सूरज पर
ऐसा भी क्या क़यास रहता है.

शायर डॉ. राहत इंदौरी.

भारत ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग चांद पर सफल तरीके से करवा दी. इसके बाद चांद के साउथ पोल इलाके की तस्वीरें दुनिया के सामने आईं. इसी के साथ भारत ने सूरज की ओर सोलर मिशन भी भेजा है. इसी बीच आज हम शायरों-कवियों के चांद और सूरज की बात कर रहे हैं.

सज्जाद हैदर ने लिखा है...
आंखें रो-रो चमका ली हैं उजले मंजर तकने को
सूरज पर जो गर्द पड़ी है उस को कौन हटाएगा

शहरयार का शेर है...
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
यही तो वक्त है सूरज तेरे निकलने का

इब्न-ए-इंशा ने लिखा है...
वो रातें चांद के साथ गईं वो बातें चांद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो.

अलीना इतरत ने लिखा है...
उदासी शाम तन्हाई कसक यादों की बेचैनी
मुझे सब सौंप कर सूरज उतर जाता है पानी में

निदा फाजली लिखते हैं...
यकीन चांद पे सूरज में एतबार भी रख
मगर निगाह में थोड़ा सा इंतजार भी रख

गीतकार जावेद अख्तर ने लिखा है...

मेरे दिल में उतर गया सूरज
तीरगी में निखर गया सूरज

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दर्स देकर हमें उजाले का
खुद अंधेरे के घर गया सूरज

हम से वादा था इक सवेरे का
हाय कैसे मुकर गया सूरज

चांदनी अक्स चांद आईना
आइने में संवर गया सूरज

डूबते वक्त जर्द था इतना
लोग समझे कि मर गया सूरज

ऊंची इमारतों से मकां मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए.

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