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निशान्त जैन, एक IAS जिसकी किताब बता रही सफलता के ये टॉप 10 टिप्स

परीक्षाओं के इस दौर में युवा IAS अधिकारी निशान्त जैन की पुस्तक 'रुक जाना नहीं' के वे मोटिवेशनल अंश, जो किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता के दौरान आपकी मदद कर सकते हैं.

IAS लेखक निशान्त जैन [फाइल फोटो] IAS लेखक निशान्त जैन [फाइल फोटो]
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

ज़िंदगी की भागदौड़ और कैरियर की उलझन भरी राह पर सकारात्मकता बनाए रखने के लिए मोटिवेशन लेवल की ज़रूरत होती है और उसी ज़रूरत को पूरा करने के लिए युवा IAS अधिकारी निशान्त जैन लेखक भी बन गए. वह मोटिवेशनल बातें बता कर व किताबें लिख कर युवाओं को प्रोत्साहित करते रहते हैं. वह मानते हैं कि सफलता- असफलता के बीच सिर्फ दृढ़ निश्चय, रणनीति का हाथ होता है. उनकी ऐसी ही मोटिवेशनल किताब, ‘रुक जाना नहीं’ का लोकार्पण ‘साहित्य आज तक 19’ के दौरान हुआ था. 'हिंद युग्म-वैस्टलैंड बुक्स' के साझा प्रकाशन में छपी इस किताब में युवाओं को मोटिवेट करने वाली तमाम बातें हैं.

निशान्त इससे पहले सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी पर बेस्टसेलर किताब ‘मुझे बनना है UPSC टॉपर’ लिख चुके हैं. उन्होंने ‘रुक जाना नहीं’ किताब में पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के प्रैक्टिकल नुस्ख़ों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट पर भी विस्तार से लिखा है. यह बाक़ी मोटिवेशनल किताबों की तरह अनुवाद न होकर मूल रूप से हिंदी में लिखी गई है. यह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हिंदी मीडियम के युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई. किताब में कोशिश की गई कि हिंदी पट्टी के युवाओं की ज़रूरतों के मुताबिक़ कैरियर और ज़िंदगी दोनों की राह में उनकी सकारात्मक रूप से मदद की जाए.

इस किताब के छोटे-छोटे लाइफ़ मंत्र इस किताब को खास बनाते हैं. ये छोटे-छोटे मंत्र जीवन में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं. किताब में कोशिश की गई है कि सरल और अपनी सी लगने वाली भाषा में युवाओं के मन को टटोलकर उनके मन के ऊहापोह और उलझनों को सुलझाया जा सके. इस मोटिवेशनल किताब में असफलता को हैंडल करने और सफलता की राह पर बढ़ते जाने कुछ नुस्ख़े भी सुझाए गए हैं, साथ ही ऐसे 26 युवाओं की सफलता की शानदार कहानियां भी उन्हीं की ज़ुबानी शामिल की गई हैं, जिन्होंने तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद ‘रुक जाना नहीं’ का मंत्र अपनाकर सफलता की राह बनाई और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने.

'रुक जाना नहीं' किताब के वे मोटिवेशनल अंश, जो किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता के दौरान आपकी मदद कर सकते हैं.:

आइए, बात करते हैं 10 ऐसे संकल्पों की, जो हर युवा अभ्यर्थी के लिए प्रेरक हो सकते हैं, और जिन्हें व्यवहार में उतारना ज़्यादा मुश्किल भी नहीं है. आइए नए साल का इंतज़ार किए बग़ैर आज की इस नई सुबह से ही इन नए संकल्पों को दिल से लगाकर अपना लें:

1.    जीवन में 'निरंतरता' को अपनाने की कोशिश करें. कोई अच्छा काम या अच्छी आदत शुरू करके उसे जारी रखना भी सीखें. अच्छी आदतों को sustain करें.
2.    हल्की सी मुस्कान हमेशा बनाए रखें. इससे आपको मुसीबत का सामना करने और नित आगे बढ़ते जाने में मदद मिलेगी. 'Never Never Never Give up'.
3.    आज की ख़ुशी को आज ही enjoy करना सीखें. ख़ुशियों को कल पर न टालें. वर्तमान में जीने की आदत डालें, अतीत से सीखते रहें और भविष्य की दिशा में क़दम बढ़ाते जाएं.
4.    छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और उनके पूरा होने पर मिलने वाली ख़ुशियों को महसूस करें. इन छोटी-छोटी ख़ुशियों को सेलिब्रेट करना न भूलें.
5.    जीवन में दूसरों के विचारों का सम्मान करने की आदत विकसित करें. 'अनेकांतवाद' से उपजे धैर्य और सहिष्णुता जैसे गुण आपके व्यक्तित्व की मेच्योरिटी को बढ़ाएंगे. विचारों की अति (extreme) से बचते हुए 'मध्यम मार्ग' अपनाएं.
6.    भरपूर पुरुषार्थ करें पर फल (परिणाम) को लेकर बहुत ज़्यादा चिंतित न हों. नतीजों में आसक्त (attach) न होकर 'निष्काम कर्मयोग' को विकसित करने का अभ्यास करें.
7.    नए दोस्त बनाएं पर पुराने रिश्तों को भी निभाना सीखें. 'लाख मुश्किल ज़माने में है, रिश्ता तो बस निभाने में है.' यानी परिवार और दोस्तों के साथ 'क्वालिटी टाइम' बिताएं.
8.    एक-दूसरे के काम आएं और परस्पर सहयोग की आदत विकसित करें. तत्वार्थ सूत्र में लिखा भी है- 'परस्परोपग्रहो जीवानाम'.
9.    कोशिश करें कि किसी ज़रूरतमंद की मदद कर पाएं. 'Joy of Giving' यानी देने के सुख का कोई मुक़ाबला नहीं है. किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने पर आपको जो संतोष मिलेगा, वह अतुल्य है. मिसाल के तौर पर, वक़्त मिलने पर अगर आप किसी जरूरतमंद बच्चे को पढ़ाते हैं, तो यह उसके जीवन में बड़ा बदलाव भी ला सकता है.
10.    अपनी रूचियों/शौक़/ हॉबीज़ को जिएं. जीवन बहुत सुंदर है. ‘डियर ज़िंदगी’ से प्यार करना सीखें. हमेशा कुछ नया सीखने की ललक बनाए रखें. सीखने में हिचकिचाएं नहीं और श्रेष्ठ विचारों को सभी दिशाओं से आने दें. ऋग्वेद में लिखा भी है- 'आ नो भद्रा क्रतवो यंतु विश्वत:.'
ये दस संकल्प रातोंरात विकसित नहीं होंगे. इन्हें प्रैक्टिस में लाएं, फिर देखिए, आपका जीवन कितना ऊर्जावान, सुखमय और सहज होता जाएगा.

निशान्त जैन ने IAS की परीक्षा की तैयारी के दिनों में सकारात्मकता से भरपूर एक कविता, भी लिखी थी, जिसका शीर्षक था, सकारात्मक सोचः

सकारात्मक सोच संग उत्साह और उल्लास लिए,
जीतेंगे हर हारी बाज़ी, मन में यह विश्वास लिए.  

ऊहापोह-अटकलें-उलझनें, अवसादों का कर अवसान,
हों बाधाएं कितनी पथ में, चेहरों पर बस हो मुस्कान.

अंतर्मन में भरी हो ऊर्जा, नई शक्ति का हो संचार,
डटकर, चुनौतियों से लड़कर, जीतेंगे सारा संसार.  

लें संकल्प सृजन का मन में, उम्मीदों से हो भरपूर,
धुन के पक्के उस राही से, मंज़िल है फिर कितनी दूर.  

जगें ज्ञान और प्रेम धरा पर, गूंजे कुछ ऐसा सन्देश,
नई चेतना से जागृत हो, सुप्त पड़ा यह मेरा देश.

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