‘साहित्य आजतक’ का एक सत्र लेखिका कृष्णा सोबती और हिंदी के आलोचक नामवर सिंह को समर्पित रहा. इस सत्र में कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी, लेखिका और आलोचक निर्मला जैन और कवयित्री गगन गिल ने शिरकत की. तीनों लेखकों ने कृष्णा सोबती और नामसिंह के लेखन को याद किया और साहित्य में उनके योगदान के बारे में जानकारी दी. अशोक वाजपेयी कहते हैं कि कृष्णा सोबती और रामवर ऐसे लेखकों में से हैं, जिनके बिना हिंदी साहित्य अधूरा है. उन्होंने बताया कि मैंने पद्म पुरस्कार के लिए कृष्णा सोबती के नाम की सिफारिश की थी लेकिन जब गृह मंत्रालय से उनके पास फोन आया तो उन्होंने मुझसे कहा कि इस सम्मान को वह नहीं लेना चाहतीं. बाद में मुझे ही पत्र लिखकर कहना पड़ा कि कृष्णा सोबती पद्म पुरस्कार नहीं लेना चाहती है. आज के जमाने में कौन ऐसा है जो पद्म भूषण को लेने से इनकार कर दे. वीडियो देखें.