
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 70 साल की गैस पीड़ित महिला का आमाशय (पेट) पूरी तरह मुड़ गया था. इसकी वजह से भोजन या पानी आहार नली (Esophagus) से आगे नहीं जा पा रहा था और उन्हें तुरंत उल्टी हो जाती थी. पेट की इस दुर्लभ स्थिति के साथ वे सही समय पर बीएमएचआरसी पहुंचीं. यहां उनकी लैप्रोस्कोपिक पद्धति से निशुल्क एकसाथ दो सर्जरी हुईं. मरीज की हालत अब बेहतर है. उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है और अब वह सामान्य दिनों की तरह भोजन लेने लगी हैं.
गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रमोद वर्मा ने बताया कि यह बुजुर्ग महिला पेट से संबंधित बेहद दुर्लभ बीमारी गैस्ट्रिक वॉल्वुलस से पीड़ित थीं. हाइटस हार्निया की वजह से उनका पेट अपने स्थान से हटकर फेफड़ों के पास आ गया था और पूरी तरह मुड़ गया था. पेट का इस तरह मुड़ जाने की मामला 1 लाख में से किसी एक मरीज में सामने आता है. बीएमएचआरसी में भी इस तरह का यह पहला केस सामने आया है. मुख्य बात यह थी कि मरीज सही समय पर अस्पताल आ गईं. अगर वह आने में देर कर देती, तो उनका पेट काला पड़ जाता और यह स्थिति मरीज के लिए घातक होती.
मरीज की स्थिति को देखते हुए हमने तुरंत लैप्रोस्कोपिक सर्जरी करने का फैसला किया. सबसे पहले मुड़े हुए आमाशय (पेट) को सीधा किया और इसे वापस अपने स्थान पर लाया गया. आमाशय दोबारा अपने स्थान से न खिसक जाए, इसलिए फंडोप्लिकेशन कर पेट के ऊपरी हिस्से को एसोफैगस के आसपास लपेटकर टांके लगा दिए गए. पेट वापस न मुड़े, इसके लिए गैस्ट्रोपैक्सी की गई. गैस्ट्रोपैक्सी में अमाशय को पेट की दीवार से फिक्स कर टांके लगा दिए गए.
खास बात यह है कि इस जटिल प्रक्रिया को दूरबीन यानी लैप्रोस्कोपिक पद्धति से अंजाम दिया गया और मरीज को 5 मिमी के 2 और 1 सेमी का 1 चीरा लगाया गया. इसकी वजह से मरीज तीन दिन बाद ही अपने पैरों पर खड़ी हो गईं और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
180 डिग्री तक घूम जाता है आमाशय
डॉ वर्मा ने बताया कि पेट की नसों के ढीले हो जाने से आमाशय अपने स्थान से ऊपर खिसक जाता है. इसे हाइटल हार्निया कहते हैं. मुख्य तौर पर हाइटल हार्निया की वजह से ही गैस्ट्रिक वॉल्वुलस होता है. इसमें पेट अपने असली स्थान से 180 डिग्री से ज्यादा तक घूम जाता है, जिससे पाचन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है. बहुत ही कम मामलों में ऐसा होता है कि पेट पूरी तरह मुड़ जाए.
मरीज की उम्र की वजह से सर्जरी चुनौतीपूर्ण
डॉ प्रमोद वर्मा ने बताया कि महिला की अधिक उम्र की वजह से कई चुनौतियां थीं. मरीज को अधिक देर तक बेहोश नहीं रख सकते थे. पैन किलर्स दवाओं का भी बहुत सीमित उपयोग ही करना था. अधिक उम्र की वजह से लैप्रोस्कोपिक पद्धति से ऑपरेशन करना भी आसान नहीं था. देखें Video:-
इनका कहना
बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि गैस्टिक वॉल्वुलस एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी है. इस बीमारी से होने वाली मत्यु दर भी ज्यादा है. महिला की उम्र को देखते हुए सर्जरी करना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण था. गैस्ट्रो सर्जरी विभाग की टीम ने मुश्किल काम को अंजाम दिया है.