
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर भगवानपुरा विकासखंड की ग्राम पंचायत देवाड़ा में एक वासल्या फलिया (बस्ती) है. वास्तव ये फलिया एक ही परिवार के नाम से जाना जाता है. उसी परिवार के मुखिया के नाम पर वासल्या फलिया है. सामान्यतः एक फलिये में 8-10 परिवार रहते हैं लेकिन पूरा वासल्या फलिया एक ही परिवार से बना हुआ है.
दिवंगत वासल्या पटेल के 5 बेटे और 6 भाइयों सहित परिवार में कुल 90 सदस्य हैं. इस परिवार में 44 पुरुष और 46 महिला सदस्य हैं. जनजातीय समुदाय के नागरिकों में ये परंपरा रही है कि वे विवाह के बात अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग मकान में रहते हैं. लेकिन कई बार रसोई और कृषि सामूहिक रूप से करते हैं. इस पटेल (ब्राम्हणे) परिवार का एकजुट होकर रहने की भी कुछ ऐसी ही संस्कृति है. सभी के अलग-अलग घर और रसोई है. कुछ भाई सामूहिक रूप से कृषि करते हैं. लेकिन इससे इनकी एकजुटता पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
एक ही परिवार की 17 महिलाएं 'लाडली बहना'
मध्य प्रदेश में दो माह पहले शुरू हुई 'मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना' में इस परिवार की महिलाओं ने भी आवेदन किए थे. संभवतः प्रदेश में एक ही परिवार की सबसे अधिक लाडली बहनाएं और अन्य 2 योजनाओं के माध्यम से प्रतिमाह 62 हजार रुपये सीधे बैंक खाते में सर्वाधिक राशि प्राप्त करने वाला पहला परिवार होगा. लाडली बहना योजना के पहले चरण में परिवार की 12 महिलाओं के खाते में राशि आना शुरू हो गई है.
अब योजना के तहत पात्र महिलाओं की न्यूनतम उम्र 23 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष कर दी गई है. इससे लाडलियों के इस कुनबे में परिवार की 5 अन्य महिला सदस्य और जुड़ जाएंगी. इस तरह योजना का लाभ लेने में एक ही परिवार की कुल 17 महिलाएं लाडली बहना बन जाएंगी. परिवार के सदस्यों ने बताया योजना से मिलने वाली राशि को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च किया गया है. परिवार के मुखिया दिवंगत वासल्या के अलावा इंजनिया, रामलाल, जुरसिंग, जगदीश और कैलाश ब्राम्हणे कुल 6 भाई हैं. जबकि भूरसिंह, गिलदार, ठेवासिंह, रेलसिंघ और तेलसिंह वासल्या के 5 लड़के हैं.
अन्य योजनाओं का लाभ भी...
इसके अलावा, इसी परिवार के 5 सदस्य ऐसे हैं जो भारत शासन की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के भी हितग्राही हैं. इसमें उन्हें प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए प्रधानमंत्री की की ओर से और 4 हजार रुपए मुख्यमंत्री की ओर से मिलते हैं. इनमें परिवार की सुंदरी बाई, गिलदार, तेलसिंग, भूरसिंग और लालीबाई शामिल हैं.
104 की समिति में परिवार के 48 सदस्य
देजला-देवाड़ा तालाब भी इसी फलिये के नजदीक ही है. तालाब पर समिति बनाकर मत्स्याखेट किया जाता है. 104 सदस्यों की समिति में इस परिवार के 48 सदस्य शामिल हैं. इस तालाब से होने वाली आय में इन सदस्यों का हिस्सा 37500-37500 रुपये एक सीजन में लाभ ले रहे हैं.
इनका कहना
कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा का कहना है, इतना बड़ा परिवार शायद देश-प्रदेश में देखने को नहीं मिलता. आदिवासी समाज में 90 सदस्य एक ही परिवार में हैं. वे सब संयुक्त परिवार के रूप में रह रहे हैं. अच्छी बात यह है कि सरकार की अनेक योजनाओं का लाभ परिवार को मिल रहा है. लाड़ली बहना योजना के तहत 12 महिलाएं हैं और अभी 21 से 23 वर्ष की आयु सीमा हो जाने से 5 और जुड़ गईं. इस तरह एक ही परिवार कि 17 महिलाओं को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिल रहा है.
कलेक्टर ने बताया, प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है. एक ही परिवार को ₹62000 प्रति माह का लाभ मिल रहा है. ये एक उपलब्धि है कि एक ही परिवार के इतने लोगों को एक साथ शासन की योजना का लाभ मिल रहा है. परिवार को इतनी मदद मिल रही है कि वे इससे बेहतर काम कर रहे हैं. अनेक तरह के कम कर रहे हैं. मत्स्य पालन का काम भी वे सुदृढ़ हो सके इसके लिए कर रहे हैं.
भगवानपुरा के निर्दलीय विधायक केदार डाबर का कहना है, निश्चित ही हमारे क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवाड़ा के अंतर्गत हमारे वासल्या भाई का फ़लिया आता है. वासल्या भाई के सभी भाई संयुक्त परिवार के रूप में एक ही मोहल्ले में रहते हैं. आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी परिवार का इकट्ठा रहना दुर्लभ है. अन्य समाज में कहीं संयुक्त परिवार इतनी संख्या में देखने को नहीं मिलती है. आदिवासी समाज के लिए उदाहरण भी है, क्योंकि कई लोग आदिवासी समाज को पिछड़ा समझते हैं, लेकिन वे आज भी संयुक्त परिवार के रूप में और हंसी-खुशी रहे हैं. निश्चित रूप से आदिवासी परिवार है. आजीविका के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी परिवार को मिल रहा है.