Advertisement

MP: धार में शुक्रवार से शुरू होगा भोजशाला का सर्वे, हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने दिया था आदेश

Dhar Bhojshala: हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था. लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था. 

धार में भोजशाला को लेकर चल रहा है विवाद. धार में भोजशाला को लेकर चल रहा है विवाद.
रवीश पाल सिंह
  • धार ,
  • 21 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला को लेकर मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के बाद आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) का दल शुक्रवार को भोजशाला का सर्वे करेगा. हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पिछले हफ्ते ही आदेश दिया था कि  भोजशाला का एएसआई सर्वे करे.  

हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था. लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था. 

Advertisement

इसी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था जिस पर पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है.

ASI ने अब सर्वे से पहले धार प्रशासन, एसपी से पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध कराने को कहा है ताकि सर्वे का काम ना रुके.

29 अप्रैल से पहले सौंपनी होगी रिपोर्ट 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने आदेश में कहा था कि परिसर में कार्बन डेटिंग विधि से एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जानी चाहिए, जिससे जमीन के ऊपर और नीचे दोनों तरह की संरचना कितनी पुरानी है और उनकी  उम्र का पता लगाया जा सके. 

अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि सर्वेक्षण ये कार्यवाही दोनों पक्षों को दो प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जाए और उसकी वीडियोग्राफी होनी चाहिए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है. साथ ही कोर्ट ने ASI को 29 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.  

Advertisement

राजा भोज ने बनवाई थी भोजशाला: हिंदू पक्ष 

हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है. सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए भोजशाला को बनवाया था, लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था. इसी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था. जिस पर पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. 

क्या है भोजशाला का इतिहास?

बता दें कि हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना जाने लगा. इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते थे.  

कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया. बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी.  

1875 में यहां पर खुदाई की गई थी. इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली. इस प्रतिमा को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गया.  फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement