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मध्य प्रदेश की राजधानी में साइबर अपराधियों के निशाने पर है. बीते 10 दिनों में यहां डिजिटल अरेस्ट के तीन मामले सामने आए हैं. हाल ही में कोहेफिजा इलाके में रहने वाले एक स्कूल प्रिंसिपल फार्रुख खान ने अपराधियों की चालाकी और दबाव को न केवल समझा बल्कि अपनी सूझबूझ से खुद को ठगी का शिकार होने से बचा लिया.
क्या है मामला?
दरअसल, शनिवार की दोपहर 1:30 बजे फार्रुख के पास एक कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को DHL कंपनी का प्रतिनिधि बताया और कहा कि बैंकाक भेजा गया उनका पार्सल कस्टम में फंसा है. चौंकाने वाली बात यह थी कि फार्रुख ने कभी कोई पार्सल भेजा ही नहीं था.
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इसके बाद जालसाजों ने उनका आधार नंबर बताया और दावा किया कि उनके नाम से भेजे गए पार्सल में बाघ की खाल, नाखून, दर्जनों पासपोर्ट और एटीएम कार्ड शामिल हैं. मामला गंभीर बनाने के लिए कॉल एक कथित 'कस्टम अधिकारी' और फिर 'साइबर सेल अधिकारी' से जोड़ दिया गया.
डराने-धमकाने की साजिश
साइबर सेल के फर्जी अधिकारी ने फार्रुख को यह कहकर डराने की कोशिश की कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल देश के 8-10 राज्यों में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फार्रुख के नाम से खोले गए बैंक खातों में 1.5 मिलियन डॉलर का लेन-देन हो चुका है.
आरोपों की पुष्टि के बहाने जालसाजों ने फार्रुख से उनकी बैंक डिटेल्स और अन्य व्यक्तिगत जानकारी मांगी. इसके लिए उन्हें स्क्रीन के सामने बैठाकर Skype इंस्टॉल कराया गया और वीडियो कॉल के जरिए निगरानी में रखा गया.
कैसे बचाया खुद को?
वहीं, इस तनावपूर्ण स्थिति में फार्रुख ने सूझबूझ से काम लिया. उन्होंने जालसाजों को गलत बैंक डिटेल्स दीं. कुछ समय बाद मौका पाकर बाथरूम जाने का बहाना बनाया और इंटरनेट पर 'डिजिटल अरेस्ट' के बारे में जानकारी जुटाई. समझदारी दिखाते हुए उन्होंने तुरंत इंटरनेट कनेक्शन बंद किया और पुलिस के पास पहुंच गए.
केस दर्ज करने की मांग
फार्रुख की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच शुरू कर दी है. जब पुलिस ने जालसाजों से संपर्क किया, तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों को धमकाने की कोशिश की. असली पुलिस को वीडियो कॉल पर देखकर जालसाज तुरंत कॉल काटकर फरार हो गए. वहीं, सोमवार को फारुख ने अपने साथ हुई ठगी की कोशिश को लेकर क्राइम ब्रांच को आवेदन दिया और केस दर्ज करने की मांग की है.
10 दिनों में डिजिटल अरेस्ट का तीसरा मामला
बता दें कि राजधानी में पिछले 10 दिनों में डिजिटल अरेस्ट का यह तीसरा मामला है. इससे पहले अरेरा कॉलोनी में रहने वाले दुबई के कारोबारी को डिजिटली गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद एक निजी टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर को भी डिजिटली गिरफ्तार कर उसके साथ ठगी करने की कोशिश की गई थी. लेकिन सतर्कता के चलते सभी को ठगी का शिकार होने से बचा लिया गया.