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'केंद्र ने अपना रुख साफ कर दिया है, विपक्ष राजनीति कर रहा', Bharat Bandh पर बोले BJP के आदिवासी नेता

MP की मंडला (ST) लोकसभा सीट से BJP सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से 60-70 सांसदों के साथ इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था. पीएम ने हमें बताया कि एससी और एसटी के बीच क्रीमी लेयर प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा.

बीजेपी के प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते. (फाइल फोटो) बीजेपी के प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • भोपाल ,
  • 21 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते ने भारत बंद को लेकर विपक्षी दलों को घेरा. कहा कि विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिकरण कर रहा है, जबकि  केंद्र सरकार ने इस पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया था. 

मध्य प्रदेश की मंडला (ST) लोकसभा सीट से सांसद ने कहा, "न्यायाधीशों ने अपनी राय दी है. मैं व्यक्तिगत रूप से 60-70 सांसदों के साथ इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था. पीएम ने हमें बताया कि एससी और एसटी के बीच क्रीमी लेयर प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा."

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फग्गन सिंह कुलस्ते ने भोपाल में मीडिया से कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी फैसला किया है कि 'शीर्ष अदालत की राय' लागू नहीं की जाएगी. सरकार की इतनी स्पष्टता और फैसले के बावजूद लोगों ने भारत बंद का आह्वान किया है... यानी वे राजनीति कर रहे हैं.  कांग्रेस ने एससी और एसटी के नाम पर राजनीति की और बीएसपी प्रमुख मायावती भी यही कर रही हैं.

उन्होंने कहा,  न्यायाधीशों की राय हो सकती है, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट है, क्योंकि इसे लागू नहीं किया जाएगा.  

बता दें कि देशभर के 21 संगठनों ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त के फैसले के खिलाफ बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है. संगठनों ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे आरक्षण के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा. 

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को कहा था कि राज्यों को सामाजिक रूप से विषम वर्ग बनाने वाली अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह साफ किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ''मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि सनक और राजनीतिक लाभ के आधार पर.''

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