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PM मोदी के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' को सच करने वाले चीता एक्सपर्ट की मौत, रियाद के अपार्टमेंट में मिला शव

दुनिया के महशूर चीता एक्सपर्ट और 'द मेटापॉपुलेशन इनिशिएटिव' (TMI) के फाउंडर विन्सेंट वैन डेर मेरवे का शव रियाद के एक अपार्टमेंट में पाया गया है. उनके निधन के बाद से दुनियाभर के वन्यजीव संरक्षणवादियों में शोक की लहर दौड़ गई है.

चीता एक्सपर्ट विन्सेंट वैन डेर मेरवे की मौत. (फाइल फोटो) चीता एक्सपर्ट विन्सेंट वैन डेर मेरवे की मौत. (फाइल फोटो)
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल ,
  • 20 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

दुनिया के प्रसिद्ध चीता विशेषज्ञ और 'द मेटापॉपुलेशन इनिशिएटिव' (TMI) के संस्थापक विन्सेंट वैन डेर मेरवे का शव सऊदी अरब की राजधानी रियाद के एक अपार्टमेंट में मिला है. उनके निधन की खबर से दुनियाभर के वन्यजीव संरक्षणवादियों में शोक की लहर दौड़ गई है.

विन्सेंट वैन डेर मेरवे मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका के निवासी थे और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ एशिया में चीता संरक्षण एवं पुनर्वास के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते थे. उनकी संस्था 'द मेटापॉपुलेशन इनिशिएटिव' इन दिनों सऊदी अरब सरकार के साथ मिलकर वहां चीतों को बसाने की योजना पर काम कर रही थी. इसी सिलसिले में वह रियाद गए थे, जहां उनका शव बरामद हुआ.

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PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से जुड़े थे विन्सेंट
विन्सेंट वैन डेर मेरवे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट चीता' से भी गहरे तौर पर जुड़े थे. इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को फिर से बसाने का प्रयास किया जा रहा है. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल ढालने में उनकी भूमिका बेहद अहम थी.

वह उन चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों में से एक थे, जिन्होंने इस परियोजना को दिशा-निर्देश प्रदान किए. यह परियोजना भारतीय घास के मैदानों में अफ्रीकी चीतों को बसाने की एक अनूठी पहल है. चुनौतियों के बावजूद, विन्सेंट ने इस प्रोजेक्ट में अपनी आस्था जताई थी और इसके शुरुआती चरणों की सफलता में उनका बड़ा योगदान रहा.

चीता संरक्षण में वैश्विक योगदान
विन्सेंट ने अफ्रीका और एशिया में चीतों के पुनर्वास से जुड़े कई परियोजनाओं में सक्रिय रूप से काम किया था. उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने चीता संरक्षण के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़ी. उनके असामयिक निधन से न केवल 'प्रोजेक्ट चीता', बल्कि वैश्विक संरक्षण समुदाय को भी गहरा आघात पहुंचा है.

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