
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार मौत पर सरकार ने एक्शन लिया है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्डलाइफ पीसीसीएफ) जसबीर सिंह चौहान पर गाज गिरी है. उनको वाइल्डलाइफ से हटाकर उत्पादन शाखा में भेजे दिया गया है. जसबीर चौहान की जगह असीम श्रीवास्तव को नया प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वाइल्डलाइफ) बनाया गया है.
दरअसल, कूनो नेशनल पार्क में अब तक 5 चीतों और 3 शावकों की मौत हो चुकी है. पिछले हफ्ते मंगलवार और शुक्रवार को ही 2 नर चीतों (तेजस और सूरज) की मौत हो गई थी. इसके बाद चीतों के गले में बंधे रेडियो कॉलर को लेकर सवाल उठने लगे. क्योंकि, दक्षिण अफ्रीका के एक चीता एक्सपर्ट ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए दावा किया था कि रेडियो कॉलर के कारण चीते सेप्टीसीमिया के शिकार हो रहे हैं.
चीतों की गर्दन पर क्यों लगाए जाते हैं 'रेडियो कॉलर'
इसको लेकर सरकार का भी बयान आया है, जिसमें सरकार की तरफ से कहा गया है कि रेडियो कॉलर से चीतों की मौत के दावे किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं. यह बातें अटकलों और अफवाहों पर आधारित हैं. अधिकारियों के मुताबिक, चीतों के सुरक्षा और अन्य मुद्दों के लिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए स्थानांतरित चीतों की गर्दन के चारों ओर रेडियो कॉलर लगाए गए हैं.
कूनो नेशनल पार्क में कब किस चीते की हुई मौत?
अब तक 5 चीता समेत 3 शावकों की मौत हो चुकी है. कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से कुल 20 चीते लाए गए थे, इनमें से नामीबियाई मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया था. यहां 26 मार्च 2023 को नामीबियाई मादा चीता साशा की मौत किडनी संक्रमण के चलते हो गई थी. वहीं नर चीता उदय की मौत 23 अप्रैल 2023 को कार्डियो पल्मोनिरी फेलियर के चलते हुई थी.
इसके बाद दक्षा की मौत 9 मई 2023 को नर चीतों के साथ हिंसक इंट्रक्शन के चलते हो गई थी. नामीबियाई मादा चीता सियाया (ज्वाला) के 4 शावकों में से एक की मौत 23 मई को, इसके बाद दो की मौत 25 मई को डिहाइड्रेशन से हो गई थी. मंगलवार 11 जुलाई को एक और साउथ अफ्रीकी चीता तेजस की मौत नामीबियाई मादा चीता नाभा (सवाना) के साथ हिंसक इंट्रक्शन के चलते हो गई थी.