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'गामिनी' और 4 शावकों को मिली आजादी... Kuno के खुले जंगल में अब 17 चीते, 9 बाड़े में रह रहे

Kuno National Park में दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता गामिनी और उसके 4 शावकों को पार्क के खजूरी वन क्षेत्र में खुले जंगल में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया. 

चीता गामिनी और उसके 4 शावकों को खुले जंगल में छोड़ा गया. चीता गामिनी और उसके 4 शावकों को खुले जंगल में छोड़ा गया.
खेमराज दुबे
  • श्योपुर ,
  • 17 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST

भारत की महत्वाकांक्षी चीता संरक्षण परियोजना के तहत सोमवार को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में एक और बड़ा कदम उठाया गया. दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता गामिनी और उसके 4 शावकों को पार्क के खजूरी वन क्षेत्र में खुले जंगल में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया. 

सिंह परियोजना के डायरेक्टर ने बताया कि मां और चारों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं. खजूरी वन क्षेत्र अहेरा पर्यटन जोन का हिस्सा है, जिसके कारण अब पर्यटकों को सफारी के दौरान चीतों को देखने का मौका मिल सकता है.

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17 चीते अब खुले जंगल में
गामिनी और उसके चार शावकों को जंगल में छोड़े जाने के बाद अब कूनो नेशनल पार्क में 17 चीते खुले में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं. अधिकारियों ने पुष्टि की कि सभी चीते स्वस्थ हैं. देखें Video:- 

गामिनी ने 10 मार्च, 2024 को छह शावकों को जन्म दिया था, लेकिन बाद में दो शावकों की मौत हो गई. इससे पहले, 21 फरवरी 2025 को नामीबियाई मादा चीता ज्वाला और उसके चार शावकों को भी केएनपी के जंगल में छोड़ा गया था.

चीता परियोजना की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों (पांच मादा और तीन नर) को कूनो नेशनल पार्क में छोड़कर इस ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत की थी. इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 अतिरिक्त चीतों को केएनपी में स्थानांतरित किया गया. इस परियोजना का उद्देश्य भारत में चीतों की विलुप्त प्रजाति को पुनर्जनन करना और वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देना है.

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KNP में चीतों की कुल संख्या 26
वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में चीतों की कुल संख्या 26 हो गई है, जिसमें भारतीय धरती पर जन्मे 14 शावक शामिल हैं. यह परियोजना न केवल जैव विविधता को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही है. गामिनी और उसके शावकों को जंगल में छोड़ने से चीता संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिली है.

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