
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एमपी एमएलए कोर्ट से जुड़ा एक मामला इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल अवैध हथियार खरीद के मामले में पुलिस ने पूर्व रेल मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रयाद यादव को ही आरोपी बना दिया.
एमपी एमएलए कोर्ट ने भी पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. खासबात यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने इस बात की तस्दीक ही नहीं की कि वो लालू प्रसाद यादव ही हैं या फिर उसी नाम का कोई दूसरा व्यक्ति है.
सांसद-मंत्री और विधायकों की सुनवाई के लिए गठित एमपी एमएलए कोर्ट में इसलिए सुनवाई की जा रही थी क्योंकि यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़ा है जब कि हकीकत में ऐसा नहीं था. मिलते-जुलते नामों की वजह से ऐसा हुआ.
सरकारी वकील मानने को तैयार नहीं
हैरानी की बात यह है कि इस मामले में सरकारी वकील अभी भी यह मानने को तैयार नहीं है कि यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़ा हुआ नहीं है. वो असल मुजरिम लालू प्रसाद यादव को ही मान रहे हैं जबकि कानपुर निवासी एक आरोपी विष्णु कनोडिया के वकील अभिषेक शर्मा ने दावा किया है कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.
उन्होंने कहा कि चालान में सिर्फ लालू प्रसाद यादव बिहार लिखा हुआ है, इससे यह सिद्ध नहीं होता कि मामला पूर्व मुख्यमंत्री से जुड़ा है. यदि ऐसा होता तो अस्पताल में इलाज करा रहे लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी कभी की हो चुकी होती है.
ग्वालियर में हथियार बेचने वाले प्रवेश चतुर्वेदी ने 1997 में शहर के इंदर गंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उत्तर प्रदेश के महोबा शहर में एक अन्य हथियार विक्रेता राजकुमार शर्मा ने ग्वालियर की तीन फर्म से फर्जीवाड़ा करके 2 साल के भीतर हथियार और कारतूस खरीदे और उन्हें बिहार में बेच दिया.
जिन लोगों को यह हथियार बेचे गए थे उनमें एक व्यक्ति का नाम लालू प्रसाद यादव था और उसके पिता का नाम कुंद्रिका सिंह यादव था. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पिता का नाम कुंदन राय है, लेकिन पुलिस और कोर्ट ने यह मान लिया कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ही यह हथियार खरीदे हैं.
यह घटना 1995 से लेकर 1997 के बीच की है. इस मामले में दो दर्जन आरोपी बनाए गए थे जिनमें छह के खिलाफ कोर्ट में सुनवाई हो रही है. दो आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि अभी तक 14 लोग फरार हैं.
लालू प्रसाद यादव को भी 1998 में कोर्ट ने फरार घोषित कर दिया था. जिन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था उनमें सुनील शुक्ला, कमलकांत, विष्णु, रविकांत, अनिल कुमार ,सुनील कुमार बृजमोहन, सुरेंद्र सिंह ,लालू प्रसाद यादव, शशिकांत, मुरारी लाल शर्मा, जेपी यादव, मूसा मियां, मोहन सोनी, उपेंद्र कुमार, रंजीत कुमार, कन्हैयालाल कृष्णानंद, श्रवण शर्मा, जनार्दन शर्मा, बादल और सुजीत नामक व्यक्ति शामिल हैं.
इनमें बृजमोहन और सुरेंद्र की मौत हो चुकी है. जो हथियार खरीदे गए थे उनमें 315 बोर की 16 राइफल 12 बोर की डबल बैरल की 20 राइफल, एनपी बोर राइफल के 20,000 से ज्यादा कारतूस 12 बोर बंदूक के साढे़ सात हजार कारतूस 32 बोर रिवाल्वर के 15 सौ कारतूस, 25 बोर पिस्टल के ढाई सौ कारतूस बताए गए थे.
पुलिस ने 1998 में लालू प्रसाद यादव के मामले में चालान पेश किया था जिसमें उनके पिता का नाम कुंद्रिका सिंह लिखा है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री के पिता का नाम कुंदन राय है.