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मध्य प्रदेश: चुनावी मोड में कांग्रेस, बीजेपी को मात देने के लिए उसी के फॉर्मूले पर संगठन संवारेंगे कमलनाथ

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से अधिक समय बाकी है लेकिन विपक्षी कांग्रेस अभी से ही चुनावी मोड में आ गई है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को उसी के फॉर्मूले से मात देने की तैयारी में हैं. कांग्रेस ने हर जिले में संगठन को दुरूस्त करने के लिए बीजेपी की तर्ज पर एक संगठन मंत्री की नियुक्ति करने का मन बना लिया है.

कमलनाथ (फाइल फोटो) कमलनाथ (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अभी डेढ़ साल का वक्त बचा है लेकिन कांग्रेस ने मिशन-2023 की तैयारी शुरू कर दी है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मात देने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उसी के फॉर्मूले को अपनाकर संगठन को दुरुस्त करने का दांव चल दिया है. कांग्रेस एक तरफ तो अपना सामाजिक समीकरण बनाने में जुटी हैं तो दूसरी तरफ पार्टी ने बीजेपी की तरह ही अब जिला संगठन मंत्री बनाने का मन भी बना लिया है. कांग्रेस जमीनी स्तर पर फीडबैक लेने के लिए संगठन मंत्री का फॉर्मूला लेकर आई है.

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संगठन मंत्री नियुक्त करेगी कांग्रेस

कांग्रेस के प्रवक्ता देवाशीष जरारिया ने aajtak.in से बताया कि 2023 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए संगठन को मजबूत बनाने के लिए कई तरह के सियासी प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में पार्टी ने हर जिले में एक संगठन मंत्री बनाने की रणनीति भी बनाई है. प्रदेश के हर जिले में जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, सह प्रभारी और संगठन मंत्री मिलकर काम करेंगे. जिला संगठन मंत्री का काम सिर्फ संगठन का नहीं होगा बल्कि जमीनी स्तर पर होने वाली राजनीतिक गतिविधियों का फीडबैड संगठन मंत्री से लिया जाएगा. संगठन मंत्री सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगे. 

देवाशीष ने बताया कि बीजेपी और संघ के मॉडल को हम नहीं अपना रहे हैं बल्कि हम अपने संगठन को मजबूत करने के लिए अपनी पार्टी के पुराने फॉर्मूले को फिर से अंगीकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ संगठन के पुराने नेता हैं और संजय गांधी से लेकर राजीव गांधी और सोनिया गांधी तक के साथ काम करने का अनुभव रखते हैं. देवाशीष ने कहा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की अगुवाई में बीजेपी को मात खानी पड़ी थी. इस बार भी जिस तरह से कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत कर रही है, 2023 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को सत्ता से बेदखल होना पड़ेगा.

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बीजेपी के संगठन मंत्री का फॉर्मूला

गौरतलब है कि बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक, एक संगठन मंत्री की नियुक्ति जरूर की जाती है. बीजेपी में संगठन मंत्री, संघ के एक दूत के रूप में नियुक्त किया जाता है. यह संगठन मंत्री संघ का प्रचारक होता है. संगठन मंत्री पार्टी के फैसलों में और निचले स्तर से मिलने वाले फीडबैक को पार्टी नेतृत्व के साथ साझा करने में अहम भूमिका निभाता है. इतना ही नहीं, पार्टी संगठन के गठन में भी संगठन मंत्री की भूमिका अहम होती है.

कांग्रेस भी अब बीजेपी के उसी फॉर्मूले से संगठन को मजबूत बनाने में जुटी है ताकि वो भी जमीनी स्तर पर फीडबैक जुटाकर पार्टी संगठन से जुड़े बड़े फैसले ले सके. इतना ही नहीं, कांग्रेस की ओर से जिस तरह से संगठन मंत्री से सीधे रिपोर्ट लेने की बात कही जा रही है, उससे साफ जाहिर होता है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ चुनाव अभियान की कमान पूरी तरह से अपने हाथ में रखना चाहते हैं. हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि कमलनाथ चाहे जितनी भी नकल कर लें, लेकिन बीजेपी की तरह निष्ठावान कार्यकर्ता तैयार नहीं कर पाएंगे.

सियासी समीकरण बनाने में जुटी कांग्रेस

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कांग्रेस संगठन के साथ-साथ सामाजिक समीकरणों को भी मजबूत करने में जुटी है. कांग्रेस ने अलग-अलग समाज के सम्मेलन आयोजित कर उन्हें साधने की योजना बनाई है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने 28 अगस्त को सिंधी समाज का सम्मेलन किया जिसमें सिंधी समाज के प्रबुद्ध जन शामिल हुए थे. सिंधी समाज बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. राजधानी भोपाल और इंदौर सहित मध्य प्रदेश के कई शहरों में सिंधी समाज काफी प्रभावी स्थिति में है.

2 महीने में होंगे चार सम्मेलन
 
कांग्रेस का फोकस केवल सिंधी या किसी एक समाज के वोटबैंक पर नहीं है. पार्टी सिंधी समाज का सम्मेलन आयोजित करने के बाद चार अन्य समाज के सम्मेलन भी आयोजित करेगी. कांग्रेस ने अगले दो महीने में कोरी, रजक, सोनी और विश्वकर्मा समाज के सम्मेलन आयोजित करने की रणनीति बनाई है. माना जा रहा है कि इन सम्मेलनों के जरिये कांग्रेस हर समाज को आश्वस्त करेगी कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. इसके अलावा इन सम्मेलनों से जो भी बातें निकलकर सामने आएंगी, पार्टी उनको अपने वचन पत्र में भी शामिल कर सकती है. कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ ने प्रदेश 89 आदिवासी बाहुल्य विकास खंड में भी कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है.

कांग्रेस बनाएगी अलग-अलग वॉर रूम

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कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ खुद हर काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं जिसमें सामाजिक समीकरण को साधने से लेकर संगठन मंत्री की नियुक्ति तक शामिल हैं. विधानसभा चुनाव में जीत के लिए स्थानीय स्तर पर योजना बनाने की रणनीति पर भी कांग्रेस काम कर रही है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर अलग-अलग वॉर रूम बनाने की योजना है. कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का नया वॉर रूम पार्टी के एक बड़े नेता के घर में बनाने की तैयारी है.

निकाय चुनाव में वॉर रूम का मिला था लाभ
 
कांग्रेस ने शहरी निकाय चुनाव में स्थानीय स्तर पर गोपनीय रूप से वॉर रूम बनाया था. पार्टी ने नई रणनीति पर काम शुरू किया था जिसका चुनाव में फायदा भी मिला था. ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में उसे और विस्तार देने की रणनीति है. कांग्रेस पार्टी ने इसके बाद अब भोपाल में नए वॉर रूम के लिए जगह की तलाश भी कर ली है. माना जा रहा है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह के बंगले को विधानसभा चुनाव के लिए वॉर रूम में तब्दील किया जा सकता है.

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