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कूनो में लगातार हो रही चीतों की मौत, उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने जांच के लिए बनाया उच्च स्तरीय पैनल

केंद्र सरकार ने चीता परियोजना की देख-रेख के लिए उच्च स्तरीय संचालन समिति का गठन किया है. गुरुवार को ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव राजेश गोपाल की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्णय लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी चीतों को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2023,
  • अपडेटेड 7:49 PM IST

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार हो रही मौत के बाद केंद्र सरकार ने उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है. परिचय कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा और निगरानी के लिए 11 सदस्यीय उच्च-स्तरीय संचालन समिति बनाई गई है. साथ ही ईको-टूरिज्म के लिए चीता निवास स्थान खोलने पर सुझाव दिया है.

गुरुवार को ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव राजेश गोपाल की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्णय लिया गया है. दरअसल, कूनो नेशनल पार्क में करीब दो महीने में तीन वयस्क चीतों और नामीबिया की मादा चीता, सिसाया से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की मौत हो गई है. इसी कारण कई विशेषज्ञों ने आवास और वन्यजीव प्रबंधन की उपयुक्तता पर सवाल उठाए हैं.

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समिति में इन विशेषज्ञों को किया गया शामिल 

बनाई गई समिति के अन्य 10 सदस्यों में राजस्थान के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरएन मल्होत्रा, पीआर सिन्हा, भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व निदेशक, एचएस नेगी, पूर्व एपीसीसीएफ, पीके मलिक और डब्ल्यूआईआई में पूर्व संकाय शामिल हैं.

इसके अलावा जीएस रावत, डब्ल्यूआईआई के पूर्व डीन, अहमदाबाद स्थित सामाजिक कार्यकर्ता मित्तल पटेल, कमर कुरैशी, WII वैज्ञानिक, NTCA के महानिरीक्षक, एमपी के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव और मुख्य वन्यजीव वार्डन अन्य सदस्य हैं.

साथ ही एड्रियन टोरडिफ, पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ, प्रिटोरिया विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका सहित अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों का एक परामर्श पैनल, लॉरी मार्कर, चीता संरक्षण कोष, नामीबिया, एंड्रयू जॉन फ्रेजर, फार्म ओलिवेनबॉश, दक्षिण अफ्रीका और विन्सेंट वैन डैन मर्व और चीता मेटापोपुलेशन प्रोजेक्ट के लोग जरूरत पड़ने पर सलाह देंगे.

ईको-टूरिज्म के लिए चीता आवास खोलने पर सुझाव देगी समिति 

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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि मध्य प्रदेश वन विभाग और एनटीसीए को चीता परिचय पर समीक्षा, प्रगति, निगरानी और सलाह देने के लिए उच्च स्तरीय समिति की स्थापना की गई है. यह ईको-टूरिज्म के लिए चीता आवास खोलने और इस संबंध में नियमों पर सुझाव देगा.

यह पैनल दो साल के लिए प्रभावी होगा और हर महीने कम से कम एक बैठक करेगा. सामुदायिक इंटरफेस और परियोजना गतिविधियों में उनकी भागीदारी के लिए सुझाव भी देगा. वहीं, दक्षिण अफ्रीका के वन्य जीव विशेषज्ञ विन्सेंट वैन डेर मर्व ने गुरुवार को देश में हाल ही में पेश की गई बड़ी बिल्लियों के लिए समग्र खतरे को कम करने की सिफारिश की थी.

इसके अलावा उनके अत्यधिक व्यवहार को रोकने और मानवजनित दबावों से शिकार की रक्षा करने के लिए चीता आवासों की बाड़ लगाने की सिफारिश भी की थी. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कूनो पार्क में जगह की कमी और रसद समर्थन पर चिंता व्यक्त की है. साथ ही चीतों को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है.

मध्य प्रदेश वन विभाग ने भी लिखा था पत्र 

अप्रैल में मध्य प्रदेश वन विभाग ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को एक पत्र लिखा था, जिसमें कूनो में चीतों के लिए "वैकल्पिक" साइट का अनुरोध किया गया था. महत्वाकांक्षी पुन: परिचय कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर नामीबिया से कूनो में एक संगरोध बाड़े में आठ चित्तीदार बिल्लियों के पहले बैच को जारी किया था. इस तरह के दूसरे स्थानान्तरण में 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया और 18 फरवरी को कूनो में छोड़ा गया.

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