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भोपाल गैस कांड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने की तैयारी पर आपत्ति, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर की एक औद्योगिक इकाई में नष्ट किए जाने की तैयारी है. हालांकि, अब इस काम पर तुरंत रोक लगाए जाने के लिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.

भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके. (फाइल फोटो) भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • भोपाल,
  • 31 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

भोपाल में हुए गैस त्रासदी के चार दशक बाद कार्बाइड फैक्ट्री से 377 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को हटाने की तैयारी चल रही है. इस बीच, खबर है कि इस काम पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में फैक्ट्री से निकले 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर की एक औद्योगिक कचरे निपटान इकाई में नष्ट किए जाने के काम पर जल्दी रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.

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न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये जनहित यात्रा डॉक्टरों के समूह द्वारा दर्ज करवाई गई है. याचिका पर 9 जनवरी को सुनवाई हो सकती है. अभिनव पी धनोदकर ने बताया कि हमने हाईकोर्ट से एक विशेष पीठ गठित करने और इस याचिका पर तुरंत सुनवाई करने का आग्रह किया है.

लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता

याचिका में कहा गया है कि इससे पीथमपुर और इंदौर में कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ सकती हैं. साथ ही डॉक्टरों का मानना है कि इससे सांस संबंधी समस्या भी इलाके में बढ़ सकती है. महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय लोंढे़, ऑन्कोलॉजिस्ट एसएस नायर और विनीता कोठारी ने राज्य सरकार की तैयारियों पर कई सवाल उठाए हैं और लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई है.

यह भी पढ़ें: भोपाल गैस कांड: 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड के 377 टन जहरीले कचरे को 250 KM दूर भेजने की तैयारी, बनेगा ग्रीन कॉरिडोर, 100 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात

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जहरीली गैस निकलने से हजारों लोगों की जान चली गई थी
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी. अदालत ने कहा था कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अधिकारी निष्क्रिय स्थिति में है, जिससे एक और त्रासदी हो सकती है.

गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र प्रताप सिंह का कहना है कि 2015 के ट्रायल रन की रिपोर्ट अनुकूल थी. उस समय पीथमपुर में 10 टन के नमूने का निपटान किया गया था. कचरे का निपटान केंद्रीय और एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोनों की देखरेख में पीथमपुर में रामकी कारखानों के भस्मक का उपयोग करके किया जाना है. हम कल रात तक कचरे को पीथमपुर ले जाने की कोशिश करेंगे. वायु प्रदूषण की संभावना लगभग शून्य है क्योंकि जहरीला कचरा भस्मीकरण के 4 चरणों से गुजरता है. हम रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेंगे. एक लैंडफिल साइट भी बनाई गई है. यदि हमें अच्छी फ़ीड दर मिलती है तो हम 3-3.5 महीनों में कचरे का निपटान कर सकते हैं. अन्यथा इसमें 9 महीने तक का समय लग सकता है. कचरा कीटनाशक अवशेष है और लोगों को इसके निपटान के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है. मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और निपटान के फुटेज को लाइव देखा जा सकता है.
 

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बता दें कि 4 दशक पहले 2-3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट लीक होने की वजह से 5 हजार 479 लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख से अधिक लोग सेहत संबंधी समस्याओं और विकलांगताओं से ग्रसित हो गए थे.

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