
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित एम्स के डॉक्टरों ने एक ऐसी जटिल सर्जरी की है, जिसके पूरे विश्व में 10 से भी कम मामले हैं. एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक युवक के सिर के अंदर नाक के ऊपरी हिस्से में धंसी हुई आंख को सर्जरी करके सफलतापूर्वक निकाला है. डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके मरीज की आंख को सही जगह पर फिट कर दिया है. इस जटिल सर्जरी की मदद से युवक की आंखों की रोशनी वापस आ गई है.
दरअसल, भोपाल के पास जैतवारा गांव का एक युवक बाइक दुर्घटना का शिकार हो गया था और उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. मरीज का पहले 10 दिन तक एक निजी अस्पताल में इलाज चला. मगर, हालत बिगड़ने पर उसे एम्स भोपाल रेफर कर दिया गया. मरीज को तेज सिरदर्द, आंखों की रोशनी कम होना और नाक से खून बहने की समस्या थी.
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'परिजनों को लगा था कि आंख बाहर निकल गई है'
वहीं, परिवार को पता नहीं था कि उसकी बाईं आंख ऑर्बिटल कैविटी में है और उन्हें लगा कि दुर्घटना में आंख बाहर निकल गई है. एम्स भोपाल में किए गए एनसीसीटी स्कैन से पता चला कि मरीज के दिमाग में हवा भर गई थी (न्यूमोसेफालस) और उसकी बाईं आंख एथमॉइड साइनस में फंस गई थी.
'मरीज की हालत स्थिर और डॉक्टरों की निगरानी में है'
चोट की गंभीरता और सर्जरी के लिए न्यूरोसर्जरी, नेत्र रोग, ट्रॉमा, इमरजेंसी मेडिसिन और एनेस्थीसिया विभागों के विशेषज्ञों की आवश्यकता को देखते हुए एम्स भोपाल के डॉ. अमित अग्रवाल (न्यूरोसर्जरी), डॉ. भावना शर्मा (नेत्र रोग), डॉ. बीएल सोनी (मैक्सिलोफेशियल सर्जन) और डॉ. वैशाली वेंडेस्कर (एनेस्थीसिया) की टीम ने मरीज की न्यूरोलॉजिकल स्थिति को स्थिर करने के बाद माइक्रोस्कोपी की मदद से बायीं आंख को एथमॉइड साइनस से सफलतापूर्वक निकालकर सही जगह पर फिट कर दिया. फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है और वह डॉक्टरों की निगरानी में है.
AIIMS के डॉक्टर ने कही ये बात
एम्स भोपाल की डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि इस केस की जटिलता इसलिए और बढ़ गई थी, क्योंकि दुर्घटना में उसकी बायीं आंख एथमॉइड साइनस (आंखों के बीच छोटी हड्डी के अंदर का खोखला हिस्सा) में पहुंच गई थी. दुनियाभर में इस तरह के 10 से भी कम केस हैं. यह बेहद जटिल केस था, जिसमें कई विभागों के विशेषज्ञों के सहयोग की जरूरत थी. मरीज की हालत गंभीर थी, लेकिन बहुआयामी दृष्टिकोण के कारण हम इस सर्जरी को सफलतापूर्वक करने में सक्षम रहे.