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52 Kg सोना और 234 Kg चांदी जब्ती केस: पूर्व RTO कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की जान को खतरा, सरकार से मांगी सुरक्षा

पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की जान को खतरा बताया जा रहा है. सौरभ के सहयोगी शरद जायसवाल के वकील सूर्यकांत भुजाडे ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार के इस मामले में सौरभ और अन्य छोटे आरोपियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि असली मास्टरमाइंड बड़े अधिकारी और राजनेता हैं. वकील ने सरकार से सौरभ शर्मा और अन्य आरोपियों के लिए सुरक्षा की मांग की है.

पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा अपनी पत्नी के साथ. (File) पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा अपनी पत्नी के साथ. (File)
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 18 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:15 AM IST

Bhopal News: आरटीओ विभाग से जुड़े भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में घिरे पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की जान को खतरा बताया जा रहा है. सौरभ शर्मा के सहयोगी शरद जायसवाल के वकील सूर्यकांत भुजाडे ने कहा कि सरकार को सौरभ शर्मा और अन्य आरोपियों को सुरक्षा देनी चाहिए.

वकील सूर्यकांत भुजाडे ने कहा कि उनके क्लाइंट शरद जायसवाल हैं. उनकी अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट में लगाई थी, जो खारिज हो गई. सूर्यकांत ने कहा कि उनकी अब तक सौरभ शर्मा से बात नहीं हुई है. यह बहुत बड़ा केस है और सौरभ हो, शरद हो या अन्य आरोपी, यह सभी बहुत छोटे लोग हैं. 

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वकील ने कहा कि जांच एजेंसियों ने ऐसा माहौल बना दिया है कि जैसे यही सबसे बड़े मास्टरमाइंड हों. सूर्यकांत ने कहा कि यह सब बड़े लोगों का किया धरा है, जो इन छोटे लोगों पर डाल दिया है. इसलिए इनकी जान को खतरा है. मेरी सरकार से दरख्वास्त है कि इन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

यह भी पढ़ें: 'करोड़पति सिपाही' सौरभ शर्मा रेड मामले के बीच MP सरकार का बड़ा एक्शन, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को हटाया

शरद के वकील ने कहा कि जांच में यह सामने आना चाहिए कि मुख्य आरोपी कौन हैं. जो ब्यूरोक्रेट्स या राजनीतिक लोग हैं, वो कौन हैं, इसका खुलासा होना चाहिए. जब हम लोगों ने शरद जायसवाल की जमानत के लिए एप्लिकेशन लगाई थी, तब हमने कोर्ट को यही बताया था कि यह लोग जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, इसलिए इन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए और बेल दी जाए, लेकिन बेल नहीं मिली.

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शरद के वकील ने कहा कि सौरभ सिर्फ 7 साल कॉन्स्टेबल रहा है, जबकि एजेंसियों को जो अकूत दौलत मिली है, वो 7 साल में बनाना असंभव है. यह एक बड़ा सिंडिकेट है, जिसमें पुराने ब्यूरोक्रेट और नेता शामिल हैं, इसकी जांच होनी चाहिए. बता दें कि इससे पहले सौरभ के वकील राकेश पराशर ने भी भोपाल जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी, जो खारिज हो गई थी. उस समय एडवोकेट राकेश पाराशर ने भी सौरभ के एनकाउंटर की आशंका जताई थी. हालांकि उस समय भी बेल एप्लिकेशन रिजेक्ट हो गई थी.

करोड़ों रुपये की मिली थी संपत्ति

लोकायुक्त पुलिस के छापे में पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के पास करोड़ों की संपत्ति मिली थी. इसमें भोपाल में खड़ी कार से 52 किलोग्राम सोना और 234 किलोग्राम चांदी भी मिली थी. लोकायुक्त की विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (SPE) ने पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा से जुड़े कई परिसर से संपत्तियां बरामद की थीं. भ्रष्टाचार निरोधक लोकायुक्त पुलिस के शीर्ष अधिकारी ने बताया था कि लोकायुक्त पुलिस ने 18 और 19 दिसंबर 2024 को सौरभ शर्मा के आवास और कार्यालय की तलाशी ली थी. 

लोकायुक्त पुलिस महानिदेशक जयदीप प्रसाद ने बताया था कि सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे और उनकी साल 2015 में मृत्यु हो गई थी. इसके बाद सौरभ शर्मा को 2015 में अनुकंपा के आधार पर राज्य परिवहन विभाग में कॉन्स्टेबल के पद पर नियुक्ति मिली और उसने 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. सौरभ शर्मा ने भ्रष्ट तरीकों से धन अर्जित किया, जिसमें अपनी मां, पत्नी, रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल स्थापित करना शामिल है.

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