
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने प्रदेश भर में भारतीय संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है. राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर 'गीता भवन' बनाए जाएंगे, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह घोषणा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में बजट भाषण के दौरान की.
सरकार की ओर से बताया गया कि प्रस्तावित गीता भवन में एक हॉल, लाइब्रेरी, पार्किंग और कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. लाइब्रेरी में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े संस्मरणों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को दर्शाने वाली पुस्तकें रखी जाएंगी. इसके अतिरिक्त, ई-लाइब्रेरी, सभागार और साहित्य सामग्री विक्रय केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे, ताकि लोग धार्मिक और सांस्कृतिक साहित्य का आसानी से अध्ययन कर सकें.
योजना का उद्देश्य
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट भाषण में कहा, "मौजूदा समय में धार्मिक ग्रंथों, साहित्य और वैज्ञानिक अनुसंधानों के सुलभ अध्ययन को प्रोत्साहित करने और जनसाधारण में अध्ययन के प्रति घटती रुचि को बढ़ाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया जा रहा है. प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में सर्वसुविधायुक्त वैचारिक अध्ययन केंद्र के रूप में 'गीता भवन' बनाए जाएंगे." उन्होंने बताया कि यह योजना भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी.
100 करोड़ रुपए का बजट
इस योजना को लागू करने के लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है. गीता भवन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में काम करेंगे, बल्कि सामुदायिक गतिविधियों और वैचारिक चर्चाओं के लिए भी एक मंच प्रदान करेंगे. यह कदम मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार की उस सोच को दर्शाता है, जो आधुनिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को संजोने पर जोर देती है.
प्रदेश में उत्साह
इस घोषणा के बाद प्रदेश भर में लोगों ने इसे सकारात्मक कदम बताया है. धार्मिक संगठनों और साहित्य प्रेमियों ने सरकार के इस फैसले की सराहना की है. गीता भवन के निर्माण से न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि यह युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने में भी मदद करेगा.