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कूनो और गांधी सागर के बीच बनेगा सबसे बड़ा चीता कॉरिडोर, MP के 8, राजस्थान के 7 और UP के 2 जिलों के जंगल होंगे शामिल

इस साल के अंत तक गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों का एक नया ग्रुप लाए जाने की संभावना है और उन्हें अगले पांच साल तक खुले माहौल में छोड़ा जाएगा.

(फाइल फोटो) (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • भोपाल/नई दिल्ली ,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

भारत का लक्ष्य अगले 25 साल के भीतर मध्य प्रदेश और राजस्थान के कूनो-गांधी सागर परिक्षेत्र में एक अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर ( Inter-State Cheetah Conservation Complex) का निर्माण करना है. इसमें मध्य प्रदेश के 8, राजस्थान के 7 और यूपी के 2 जिलों को शामिल किया जाएगा. इसके साथ ही 5 साल के भीतर कूनो से गांधी सागर के बीच चीता कॉरिडोर बनाने का काम भी शुरू किया जाएगा. 'प्रोजेक्ट चीता' की 2023-24 की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

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'प्रोजेक्ट चीता' के दो साल पूरे होने पर 17 सितंबर को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष के अंत तक गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों का एक नया ग्रुप लाए जाने की संभावना है और उन्हें अगले पांच साल तक खुले माहौल में छोड़ा जाएगा. 

'गांधी सागर में चीता लाने की कार्य योजना' के अनुसार, पहले चरण में 5 से 8 चीतों को 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी-रोधी बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा, जिसमें प्रजनन पर ध्यान दिया जाएगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की अंतरराज्यीय सीमा पर ये दोनों स्थल एक-दूसरे से सटे हुए हैं. इसमें कहा गया है कि 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत देश का लक्ष्य अगले 25 वर्ष के भीतर मध्य प्रदेश और राजस्थान के कूनो-गांधी सागर परिक्षेत्र में एक अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर का निर्माण करना है.

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यह कूनो-गांधी सागर परिक्षेत्र मध्य प्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना, गुना, अशोकनगर, मंदसौर और नीमच जिलों और राजस्थान के बारां, सवाई माधोपुर, करौली, कोटा, झालावाड़, बूंदी और चित्तौड़गढ़ जिलों में स्थित है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र से सटे मध्य प्रदेश के भिंड और दतिया जिले, राजस्थान के धौलपुर तथा उत्तर प्रदेश के ललितपुर और झांसी को इस परिसर का हिस्सा बनाया जाएगा जो इस बात पर निर्भर करेगा कि चीते इस क्षेत्र का किस प्रकार इस्तेमाल करते हैं.

अधिकारी 368 वर्ग किलोमीटर के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के अगले समूह के लिए तैयार करने में व्यस्त हैं, जबकि कूनो में चीते केवल 0.5 से 1.5 वर्ग किलोमीटर के आकार वाले बाड़ों के अंदर ही रह रहे हैं.

अधिकारियों के अनुसार, 3 चीतों एक मादा टिबिलिसी (नामीबिया से) और 2 दक्षिण अफ्रीकी नर चीतों तेजस और सोराज की 'सेप्टीसीमिया' से मौत के बाद जानवरों को उनके बाड़ों में वापस लाया गया था. 'सेप्टीसीमिया' एक संक्रमण है जो तब होता है जब बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं और फैलते हैं.

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