
MP News: श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में बीते दो माह के भीतर 3 चीतों और 3 शावकों की मौत से छाई मायूसी के बीच एक राहत भरी खबर है. दरअसल मादा चीता ज्वाला (पहले सियाया) के चौथे बीमार शावक की सेहत में अब तेजी से सुधार हो रहा है. उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है. पार्क के पालपुर अस्पताल में वेटेरियन चिकित्सकों की देखरेख में शावक भर्ती है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द मां ज्वाला के साथ शावक पहले की तरह कूनो पार्क में पहुंच जाएगा.
कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट को लॉन्च हुए करीब 9 महीने का समय बीत चुका है. इस दौरान नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 20 चीते भारत को मिले थे. जिनमें से एक नामीबियाई मादा चीता सियाया (भारतीय नाम ज्वाला) ने भारत की सरजमीं पर बीती 25 मार्च को 4 शावक जन्मे थे. इनमें से 3 की मौत हो जाने के बाद अब केवल एक शावक बचा है, जिसकी तबीयत भी खराब थी. लेकिन कूनो प्रबंधन की रणनीति और वेटेरियन चिकित्सकों की दिन-रात की मेहनत के बाद शावक के स्वास्थ्य में काफी सुधार है.
अब जल्द उसकी मां ज्वाला के पास छोड़ने को लेकर भी कूनो अधिकारी जल्द ही प्रयास करने वाले हैं. यह शावक पूरी तरह भारतीय है जो कि भारत की धरती पर जन्मा है. पता हो कि सात दशक पहले भारत में चीता प्रजाति मौजूद थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद दोबाराा बसाया गया है.
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जसवीर सिंह चौहान ने बताया कि मादा चीता ज्वाला के चौथे शावक की तबीयत पूरी तरह ठीक है. उसे वेटेरियन चिकित्सकों की निगरानी में पूरी सुरक्षा के साथ रखा जा रहा है. जल्द ही उसे मां ज्वाला के पास छोड़ा जाएगा.
शावक की निगरानी में 24 घंटे वेटेरियन तैनात
कूनो नेशनल पार्क के अंदर मौजूद पालपुर अस्पताल में बेहतर संसाधन और चीता एक्सपर्ट वेटेरियन की निगरानी में मादा चीता ज्वाला के आखिरी शावक को बचाने के लिए पूरी ताकत कूनो प्रबंधन ने झोंक दी और उसे हैल्थी फूड सिरप, बकरी का दूध सहित अन्य पोषक तत्व पिलाए गए. जिसका बेहतर रिजल्ट मिला है.
शावक के ट्रीटमेंट को लेकर नामीबिया और साउथ अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों की सलाह भी ली जा रही थी, जिसके बाद शावक अब पूरी तरह ठीक है. स्वस्थ हो रहे शावक को बीते दो दिनों से बाड़े में मौजूद उसकी मां के पास भी कुछ देर के लिए ले जाया जाता है और फिर वापस अस्पताल में लाकर निगरानी में रखा जा रहा है.
यहां बता दें कि पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीते आए (5 मादा और 3 नर) को बाड़ों में रिलीज कर चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. वहीं 18 फरवरी 2023 को साउथ अफ्रीका से 12 नए चीते की दूसरी खेप लाई गई थी. जिनमें 7 नर और 5 मादा चीता शामिल थे है. प्रोजेक्ट चरणबद्ध तरीके से चल रहा था कि इसी साल 26 मार्च को पहली नामीबियाई मादा चीता साशा की किडनी संक्रमण से मौत हो गई. फिर 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीकी चीता उदय ने कार्डियोपल्मोनरी फेलियर से दम तोड़ दिया. इसके बाद 09 मई को साउथ अफ्रीकी मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान हिंसक झड़प से मौत हो गई थी. फिर इस माह 23 मई को नामीबिया चीता सियाया (ज्वाला) के 4 शावकों में से पहले शावक की कमजोरी और बीमारी से मौत हो गई.
इसके बाद 25 मई को नामीबियाई चीता सियाया (ज्वाला) के शेष 3 शावकों में से दो शावकों की डिहाड्रेशन से मौत हो गई. वहीं ज्वाला के चौथे शावक की हालत भी नाजुक थी. लेकिन अब उपचार के बाद उसकी सेहत में तेज़ी से सुधार आया है. 3 चीते और तीन शावकों की मौत के बाद टेंशन में आए कूनो प्रबंधन ने ज्वाला के आखिरी शावक की सेहत में सुधार आने से राहत की सांस ली है. वहीं, पार्क में बचे 17 चीतों और एक बीमार शावक की सलामती के लिए पिछले दिनों पाठ-पूजा और प्रार्थना करने वाले ग्रामीणों के लिए भी खुशी की बात है.