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ओंकारेश्वर और खांडव वन से प्रभु श्री राम का है गहरा नाता, महामंडलेश्वर विवेकानंद पुरी को अयोध्या से आया न्यौता

अयोध्या के रघुकुल का MP के खंडवा जिले गहरा नाता है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम से चौदह पीढ़ी पूर्व राजा मान्धाता ने ओंकारेश्वर में कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ साकार रूप में प्रकट हुए थे.

ओंकारेश्वर के महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी. ओंकारेश्वर के महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी.
जय नागड़ा
  • खंडवा ,
  • 12 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

प्रभु श्रीराम की चरण रज से खंडवा भी पुण्यभूमि बनी है. यहां से वनवास के दौरान वे जिस खांडव वन से गुज़रे थे, वही वर्तमान में खंडवा है. यहां उस युग के प्रमाण के रूप में रामेश्वर कुंड  मौज़ूद है. किवदंती है कि वनवास के दौरान माता-सीता को जब प्यास लगी तो लक्ष्मण जी ने धरती को भेदते हुए तीर चलाया, जिससे जल धारा फूट पड़ी. वही, आज रामेश्वर कुंड के रूप में जाना जाता है. इससे भी पुराना नाता खंडवा जिले के ओंकारेश्वर  ज्योतिर्लिंग का रघुकुल से है. यहां मान्यता है कि प्रभु श्रीराम से चौदह पीढ़ी पूर्व राजा मान्धाता ने यहां कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ साकार रूप में प्रकट हुए थे और यहां हर रात्रि में विश्राम करने का उन्होंने वचन दिया था. यही स्वयंभू ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर  के रूप में प्रतिष्ठित है. 

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इस समय अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के लोकार्पण  लेकर तरफ हर्षोल्लास है. निमाड़ पूर्वी अंचल भी इस उल्लास में शामिल है. इस समारोह में निमाड़ के आध्यत्मिक प्रतिनिधि के तौर पर ओम्कारेश्वर  के महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी शामिल होंगे जिन्हें अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने भी अपना आध्यात्मिक प्रतिनिधि घोषित किया है.

अब स्वामी विवेकानंद ने ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद खण्डवा के दादाजी धाम में भी दर्शन कि. धूनी में हवन -पूजन किया और वे अयोध्या के लिए रवाना हो गए. वे अपने साथ मां नर्मदा का जल, ओमकारेश्वर का प्रसाद, खण्डवा के दादाजी धूनीवाले के आश्रम की भभूत भी लेकर गए हैं और निमाड़वासियों की शुभकामनायें भी.

इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी ने बताया कि खंडवा-ओंकारेश्वर  का आयोध्या से किस तरह सीधा संबंध है.  प्रभु श्रीराम के पुण्य कदम ने इस भूमि को भी पुण्य कर दिया. यह निमाड़ का पूर्वी अंचल धार्मिक और आध्यत्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है जिसके चलते यहां अनेक संत - महापुरुष अवतरित हुए , इसे अपनी कर्मभूमि बनाया. संत सिंगाजी महाराज के साथ ही दादाजी धूनीवाले की इस नगरी का अपना अलग महत्व है.

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स्वामी विवेकानंद पुरी ने पहली बार यह प्रकट भी किया कि पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपना न केवल आध्यत्मिक प्रतिनिधि बनाया है, बल्कि अपना मानस पुत्र ही घोषित कर दिया है. निमाड़ और आयोध्या के बीच ये रिश्ते और प्रगाढ़ता देंगे. 

 

 महत्वपूर्ण बात यह है कि इन दोनों संतों को जोड़ने में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही. स्वामी विवेकानंद बताते हैं कि आमने -सामने परिचय तो उनका दस -बारह बरस पूर्व हुआ था लेकिन संबंधों में गहराई आई सोशल मीडिया के चलते जिससे उनकी नियमित चेटिंग होती है. 

स्वामी विवेकानंद के विचारों में दृढ़ता और स्पष्टता से योगी जी भी प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें अपना मानस पुत्र ही मान लिया. स्वामी पुरी का कहना है कि संतों को समाज के कल्याण में अपना योगदान देना चाहिये. उन्हें समय के साथ नई तकनीक से भी जुड़ना चाहिये जिससे युवा भी धर्म और आध्यात्म से जुड़ पाएंगे. स्वामी जी ने योगी आदित्यनाथ के साथ की कुछ महत्वपूर्ण चैट भी शेयर की जिसमें उन्होंने उन्हें अपना पुत्र कहा है.  

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