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रामायण पाठ में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से रात में सो नहीं पाया: कांग्रेस नेता गोविंद सिंह

एमपी विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने लाउडस्पीकर विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उनके मुताबिक रामायण पाठ में जब लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है, वे रात में सो नहीं पाते हैं.

कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कांग्रेस नेता गोविंद सिंह
सर्वेश पुरोहित
  • ग्वालियर,
  • 29 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 9:52 PM IST
  • कमलनाथ के इस्तीफे के बाद बने नेता प्रतिपक्ष
  • सिंधिया मेरे लिए कोई चैलैंज नहीं

मध्य प्रदेश विधानसभा के नए नेता प्रतिपक्ष बनाए गए गोविंद सिंह ने आते ही लाउडस्पीकर विवाद पर बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने बताया है कि जब उनके भाई ने रामायण पाठ के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया, तो वे पूरी रात नहीं सो पाए.

इस बारे में वे कहते हैं कि हम देखते हैं कि गांव में रामायण होती है तो हम रात भर सो नहीं पाते हैं. खुद हमारे भाई ने रामायण कराने के लिए लाउडस्पीकर लगाया तो रात भर नहीं सो पाए थे. ये सब कुछ दिखना चाहिए. केवल चुनाव के लिए किसी एक समुदाय को टारगेट नहीं करना चाहिए. बदनाम करने की साजिश जो भारतीय जनता पार्टी कर रही है, यह देश की जनता समझ गई है. अब उनकी बातों में नहीं आने वाली है.

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उन्होंने आगे कहा कि सभी धर्म के लोग लाउडस्पीकर बजाते हैं और अपनी बात कहते हैं, लेकिन वास्तव में आम जनता को अगर परेशानी है तो सभी से अपील है कि लाउडस्पीकर की आवाज को धीमी कर लें.चाहे किसी भी धर्म के हों. लाउडस्पीकर विवाद के अलावा गोविंद सिंह ने नई जिम्मेदारी लेने पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी.

उनकी मानें तो वे तो कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता की तरह काम करते हैं और पार्टी जनता की सेवा करते रहे, इस पर उनका जोर रहता है. वे बताते हैं कि हमारी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मिलकर आगामी विधानसभा 2023 के चुनाव में इस सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे.  इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में महंगाई और जन समस्याओं को लेकर कांग्रेस पार्टी प्रदर्शन करेगी.

जब गोविंद सिंह से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कह दिया वे सिंधिया को अपना चैलेंज नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि अगर सिंधिया जी इतने बड़े होते तो एक साधारण से कार्यकर्ता से बुरी तरह नहीं हारते.

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जानकारी के लिए बता दें कि कमलनाथ के नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद गोविंद सिंह को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. वे हमेशा से दिग्विजय सिंह के करीबी माने गए हैं, ऐसे में प्रदेश की राजनीति कई बदलाव होते दिख सकते हैं.

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