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पहले अग्नि-वायु और अब वीरा... कूनो नेशनल पार्क में नर चीतों के बाद अब होगा मादा चीता का भी दीदार

तीन दिन पहले ही दो नर चीतों अग्नि और वायु को भी नेशनल पार्क के अहेरा पर्यटन क्षेत्र के अंतर्गत पारोंड वन रेंज में छोड़ा गया है. अब मादा चीता वीरा को नयागांव वन रेंज में छोड़ दिया गया है. पर्यटक अब कूनो के जंगलों में तीन चीतों का दीदार कर सकेंगे.

वीरा नाम की एक मादा चीता को कूनो के जंगल में छोड़ दिया गया है (फाइल फोटो) वीरा नाम की एक मादा चीता को कूनो के जंगल में छोड़ दिया गया है (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • भोपाल,
  • 21 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:42 AM IST

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क में अब पर्यटक मादा चीता को भी देख सकेंगे. कारण, यहां वीरा नाम की एक मादा चीता को जंगल में छोड़ दिया गया है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि चीता को नयागांव वन रेंज में छोड़ दिया गया है. यह पिपलबावड़ी पर्यटन क्षेत्र के अंतर्गत आता है. मादा चीता का स्वास्थ्य अच्छा है.

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दरअसल, तीन दिन पहले ही दो नर चीतों अग्नि और वायु को भी नेशनल पार्क के अहेरा पर्यटन क्षेत्र के अंतर्गत पारोंड वन रेंज में छोड़ा गया है. चीतों को जंगल में छोड़ा जाना 'चीता पुनरुत्पादन परियोजना' का हिस्सा है. इसके चलते अब पर्यटकों निर्दिष्ट क्षेत्र में इन चीतों को देख सकेंगे. कूनो नेशनल पार्क विध्याचल पर्वत के उत्तरी किनारे पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल 344.686 वर्ग किमी का है. इसका नाम चंबल नदी की एक सहायक नदी के नाम पर रखा गया है.

कूनो में बनेगी देश की पहली चीता सफारी

बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में देश की पहली चीता सफारी बनने बनने जा रही है. यहां पर पर्यटकों के लिए सेसईपुरा में कूनो नदी क्षेत्र को शामिल कर चीता सफारी विकसित की जाएगी. इसका प्रस्ताव सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास भेजा गया था, जिसे कूनो फेस्टिवल के पहले स्वीकृति मिल गई है. अब जल्द ही इस पर काम शुरू किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट पर करीब 50 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

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181.17 हेक्टेयर क्षेत्र में बनेगी चीता सफारी

केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसी साल 6 जून को कूनो पार्क का भ्रमण कर सेसईपुरा में चीता सफारी तैयार करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे. इसके लिए 181.17 हेक्टेयर क्षेत्र में चीता सफारी तैयार किए जाने का प्रस्ताव बनाकर सेंट्रल जू अथॉरिटी आफ इंडिया के पास भेजा गया था. जिसे सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है. जिस जगह पर ये सफारी बनाई जाएगी उसमें 124.94 हेक्टेयर वन भूमि और 56.23 हेक्टेयर भूमि राजस्व की शामिल रहेगी. 

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