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मध्य प्रदेश की अदालतों के पास जल्द होगा खुद का OTT प्लेटफॉर्म, लाइव स्ट्रीम होगी सुनवाई

मध्य प्रदेश की हाई कोर्ट जल्द ही अपनी सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बकायद एक ओटीटी प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है, जिसके जरिए कार्यवाही का लाइव प्रसारण देखा जा सकेगा. इस प्लेटफॉर्म में एमपी की 2 हजार अदालतें जुड़ी रहेंगी. फिलहाल कोर्ट्स यूट्यूब और एनआईसी प्लेटफॉर्म के जरिए लाइव स्ट्रीमिंग करती हैं.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर (File Photo) मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर (File Photo)
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

कोरोनाकाल के बाद से लोगों ने ऑनलाइन सर्विसेज को तेजी से अपनाया है. आम जनता के साथ-साथ अदालतें भी इसमें पीछे नहीं रहीं. एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण के समय अदालतों ने ऑनलाइन सुनवाई की तो वहीं अब सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की प्रोसेस भी तेज कर दी गई है.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इस पहल को सबसे पहले अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहा है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपना खुद का ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की तैयारी कर ली है. 

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अधिकारियों के मुताबिक, प्लेटफॉर्म को विकसित करने के लिए टेंडर पिछले साल मुंबई की एक कंपनी औरियनप्रो सॉल्यूशंस लिमिटेड को दिया गया था. यह प्रोजेक्ट 190 करोड़ रुपये का है. अगर तय योजना के मुताबिक चीजें होती हैं, तो कुछ महीनों में अंतिम प्रोडक्ट लॉन्च हो जाएगा.

बता दें कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पास एक मोबाइल ऐप भी होगा, जिसमें मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा के साथ और भी कई फीचर भी होगी. 

प्लेटफॉर्म राज्य की सभी 2000 अदालतों (हाई कोर्ट और निचली अदालतों) को किसी भी बाहरी संसाधन पर निर्भर किए बिना 60 दिनों तक लाइव स्ट्रीम करने की सुविधा देगा. इस प्लेटफॉर्म का परीक्षण पहले ही कुछ अदालतों में किया जा चुका है. अभी तक कहीं से भी कोई परेशानी की सूचना नहीं मिली है.

बता दें कि वर्तमान में हाई कोर्ट अपनी रोजाना कार्यवाही का लाइव प्रसारण यूट्यूब या एनआईसी (National Informatics Centre) के जरिए कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी लाइव स्ट्रीमिंग के लिए इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहा है.

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देश की बाकी अदालतों में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग का विस्तार करना एक कठिन काम है. क्योंकि लाइव स्ट्रीमिंग के लिए बुनियादी ढांचे के साथ स्टोरेज के लिए ज्यादा बैंडविड्थ की जरूरत होती है. दरअसल, इंटरनेट प्लान की स्पीड Kbps/Mbps/Gbps से नापी जाती है. इशमें Upto का इस्तेमाल होता है. मतलब आप निश्चित स्पीड तक ही इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे ही बैंडविड्थ कहा जाता है.

बता दें कि पिछले हफ्ते भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने एक सुनवाई में वकीलों को मौखिक रूप से कहा था कि लाइव स्टीमिंग के लिए जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का अपना पोर्टल होगा. शीर्ष अदालत के अधिकारियों के मुताबिक, टीम पहले से ही उस निजी कंपनी के संपर्क में है, जो एमपी हाई कोर्ट की परियोजना विकसित कर रही है. ताकि भविष्य में शीर्ष अदालत के लिए भी इसी तरह की तकनीक विकसित की जा सके.

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की सफलता का विश्लेषण इस बात से लगाया जा सकता है कि संविधान पीठ के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू होने के पहले दिन 8 लाख लोगों ने यह कार्यवाही देखी थी.

2020 में एक संसदीय पैनल ने भी सिफारिश की थी कि राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के मामलों में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग समय की जरूरत है.

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रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के बाद भी कई मामलों की सुनवाई ऑनलाइ जारी रखने की सिफारिश की गई. 103वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइव स्ट्रीमिंग से न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

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