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एक समय था जब बेटी के पैदा होने पर माता-पिता के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा जाती थीं, लेकिन आज स्थिति एकदम उलट है. आज बेटी के पैदा होने पर मातम नहीं बल्कि जश्न मनाया जाता है. स्थितियों को पलटने और लोगों की मानसिकता को बदलने लाडली लक्ष्मी योजना ने बड़ी भूमिका निभाई है. आज इस योजना ने 16 साल पूरे कर लिए हैं. आज ही के दिन यानी 2 मई 2007 में इस योजना को शुरू किया गया था. इस योजना के जरिए बेटियों के भविष्य की नींव को मजबूत कर और उनकी शैक्षिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की दिशा में क्रांति आई है.
जब इस योजना की शुरुआत की गई थी उस समय महिला एवं बाल विकास विभाग की कमिश्नर आईएएस कल्पना श्रीवास्तव थीं. उनके कार्यकाल में इस योजना को लॉन्च किया था. ई -लाडली लक्ष्मी योजना के लिए ई-गवर्नेस 2014-15 में उत्कृष्टता के लिए कल्पना श्रीवास्तव को मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया और लाडो अभियान के लिए लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार 2013-14 दिया गया था.
क्यों हुई इस योजना की शुरुआत?
आईएएस कल्पना श्रीवास्तव ने आजतक से बात करते हुए बताया कि इस योजना का नाम लाडली या लक्ष्मी इसलिए रखा गया क्योंकि लड़की लाडली है और लक्ष्मी इसलिए क्योंकि कुछ लोग लड़की को बोझ मानते थे. योजना का मकसद था कि लड़की को लखपति बनाएंगे ताकि वह बोझ ना समझी जाए. वह लक्ष्मी मानी जाए, घर में उसका स्वागत किया जाए.
कल्पना श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि पहले साल में इसके लिए 30 करोड़ का बजट रखा था. पूरा कार्यक्रम महिला बाल विकास विभाग के कमिश्नर के देखरेख में होता था. मॉनिटरिंग और अप्रूवल भी कमिश्नर को ही करना होता था. टीम ने योजना की लॉन्चिंग के बाद 3 साल तक मेहनत कर इस योजना को गांव-गांव तक पहुंचाया जिसके बाद हर घर में इसका नाम हो गया की एक लाडली लक्ष्मी है और लक्ष्मी का स्वागत किया जाना शुरू हुआ.
इस योजना के पीछे कई ऑब्जेक्टिव थे. पहला ऑब्जेक्टिव था कि लड़कियों को मारने की परंपरा को कम करना है. दूसरा लड़कियों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना ताकि जब लड़की पैदा होती है तो उसकी मृत्यु दर को रोकना. तीसरा यह है कि जनसंख्या पर भी इस योजना से कहीं ना कहीं नियंत्रण हो रहा था. चौथा जब लड़कियां बड़ी होती हैं तो उनकी पढ़ाई और आगे बढ़ने के लिए स्कॉलरशिप देना.
वह लखपति कब बनेंगी?
जब उनकी शादी की उम्र होगी और वो शादी करेंगी तभी उनको 10,0000 रुपये मिलेंगे. स्टेट गवर्नमेंट ही आश्वस्त करती है कि जब बेटी इस आयु को पूरा करेगी तो उसको यह राशि दी जाएगी. इस प्रकार से लड़कियां पढ़ भी रही हैं और बढ़ भी रही हैं. इस योजना की शुरुआत 30 करोड़ से की गई थी जो अब कई सौ करोड़ तक पहुंच गई है. पहले साल में 30000 लड़कियां थी, अब 4800000 हो गई हैं.
कैसे काम करती है योजना?
इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा हर साल लड़की के नाम पर 6000 मूल्य राशि के राष्ट्रीय बचत पत्र, प्रमाण पत्र खरीदे जाते हैं जो उसके जन्म के बाद 30000 तक पहुंच जाते हैं. जब लड़की छठी क्लास में एडमिशन लेती है तो 2000, 9वीं क्लास में एडमिशन लेने पर 4000 और 11वीं क्लास में एडमिशन लेने पर 7500 रुपये दिए जाते हैं. वहीं, 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ाई के दौरान उसे हर महीने 200 रुपये दिए जाते हैं और जब लड़की 21 वर्ष की हो जाती है और 18 वर्ष की आयु से पहले उसकी शादी नहीं की जाती है तो उसे एकमुश्त एक लाख रुपये की राशि का भुगतान किया जाता है.
सीएम हाउस में मनाया गया लाडली उत्सव
लक्ष्मी योजना के 16 साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बेटियों के साथ पौधारोपण किया. वहीं, कार्यक्रम में पहुंचने पर सीएम ने कार्यक्रम में मौजूद बेटियों पर गुलाब के फूलों की वर्षा की. कार्यक्रम को लाडली लक्ष्मी उत्सव नाम दिया गया. कार्यक्रम में भोपाल शहर की 1100 लड़कियां और माता पिताओं को आमंत्रित किया गया. कार्यक्रम में भोपाल के अलावा सीहोर, विदिशा, राजगढ़, एवं रायसेन से भी 100-100 लड़कियों को बुलाया गया. कुल मिलाकर कार्यक्रम में 2000 लाडली लक्ष्मियां मौजूद रहीं.