
India Today-Axis My India के एग्जिट पोल में बीजेपी मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर क्लीन स्वीप करती नजर आ रही है. शनिवार को जारी एग्जिट पोल में बीजेपी को सूबे में 28-29 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. जबकि कांग्रेस 0-1 सीट के आंकड़े पर रह सकती है.
वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 61 फीसदी वोट मिलते दिखाई दे रहे हैं. वहीं, I.N.D.I.A. के वोट प्रतिशत में 2 फीसदी की गिरावट हो सकती है. विपक्षी खेमे को 33% वोट मिलते नजर आ रहे हैं. साथ ही बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा का वोट प्रतिशत एमपी में 2 प्रतिशत और अन्य का 4 फीसदी है. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश में 58%, कांग्रेस को 34% और बसपा को 2 फीसदी वोट मिले थे.
इसके अलावा, प्रदेश की हॉट सीट गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी के टिकट पर 'वापसी' करते दिखाई दे रहे हैं. पिछली बार कांग्रेस में रहते सिंधिया को बीजेपी के केपी यादव से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, रुझानों में बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली विदिशा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फतह होती नजर आई.
पता हो कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट हासिल हुई थी. कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में ही पार्टी जीत पाई थी. इसके अलावा, बीजेपी ने 28 सीटों पर परचम लहराया था.
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इस बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बेहद कांटे का मुकाबला है. इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को अपना उम्मीदवार बनाया था और बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतारा था.
साल 2019 के चुनाव के बाद से ही छिंदवाड़ा को टारगेट बनाकर चल रही बीजेपी ने खास रणनीति के तहत अपने दिग्गज नेताओं को उतारकर कमलनाथ से यह सीट छीनने की कोशिश की और उधर दिग्गज राजनीतिज्ञ कमलनाथ ने अंतिम समय में कमान अपने हाथों लेकर चुनावी प्रचार कांटे का बना दिया.
कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं जबकि 2019 में उनके बेटे नकुल नाथ सांसद बने हैं. 1977 के लोकसभा चुनावों में उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था पर छिंदवाड़ा से कांग्रेस को जीत मिली थी.
बीजेपी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट महज एक बार 1997 के उपचुनाव में जीत दर्ज की है और सुंदर लाल पटवा सांसद चुने गए थे. मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट पर कांग्रेस को मात नहीं दे सकी है.
BJP ने मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को कमलनाथ से छीनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया. चुनावी सरगर्मी के माहौल के बीच खास रणनीति के तहत छिंदवाड़ा के असंतुष्ट और प्रभावशाली नेताओं सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को बीजेपी में लाया गया ताकि छिंदवाड़ा की जमीन कमजोर पड़ जाए.
दरअसल, छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस का दबदबा छिंदवाड़ा जिले में दिखा था. कमलनाथ खुद विधायक हैं और उनके बेटे सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेरने की कोशिश कर रही है ताकि वो अपने क्षेत्र से बाहर न निकल सके.
हैरानी की बात यह है कि बहुचर्चित छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक उठापटक का माहौल लोकसभा चुनाव की वोटिंग के दिन तक जारी रहा. छिंदवाड़ा नगर निगम के महापौर विक्रम अहाके दो बार लोगों को चौंकाया. चुनावी सरगर्मी के बीच 1 अप्रैल को छिंदवाड़ा नगर निगम महापौर विक्रम अहाके ने राजधानी भोपाल पहुंचकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. फिर यू-टर्न लेते हुए विक्रम वापस कांग्रेस में लौट गए थे.
इसके पहले छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह बीजेपी में शामिल हुए थे. यही नहीं, कमलनाथ के करीबी विश्वासपात्र और साल 2019 में कमलनाथ के लिए अपनी सीट खाली करने वाले दीपक सक्सेना और उनके बेटे अजय सक्सेना बीजेपी में शामिल हो गए थे. कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी सैयद जफर भी बीजेपी में शामिल हो गए थे.
मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटें:-