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पेशाब लगी तो वंदे भारत ट्रेन में चढ़ गया युवक... भोपाल से पहुंचा उज्जैन, लगा 6 हजार का चूना

कादिर के मुताबिक वह शाम के 7:24 पर ट्रेन में दाखिल हुआ था और 7:25 पर वंदे भारत चल दी. वह घबरा गया और जैसे ही बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि ट्रेन के गेट लॉक हो गए हैं. वंदे भारत के गेट ऑटोमैटिक लॉक होने के कारण कादिर उन्हें खोल नहीं सका. ट्रेन भोपाल स्टेशन से आगे बढ़ गई.

Vande Bharat Express (Photo-PTI). Vande Bharat Express (Photo-PTI).
इज़हार हसन खान
  • भोपाल,
  • 19 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:32 PM IST

एमपी के सीधी जिले में हुआ पेशाब कांड खूब चर्चा में रहा था. अब एक और मामला राजधानी भोपाल से सामने आया है. हालांकि, यह थोड़ा अलग और अजीब मामला है. दरअसल, प्लेटफॉर्म पर खड़ी वंदे भारत ट्रेन में पेशाब करने चढ़ा शख्स ट्रेन में फंसा रह गया. वहीं, उसका परिवार भोपाल स्टेशन पर ही खड़ा रह गया. ट्रेन में फंसे व्यक्ति के किसी और गाड़ी में आगे की यात्रा के टिकट थे. वंदे भारत में बिना टिकट पकड़े जाने पर युवक पर एक हजार का जुर्माना लगाया गया. उसे कुल 6 हजार रुपए की चपत लगी.  

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दरअसल, सिंगरौली के बैढन के रहने वाले 32 साल के अब्दुल कादिर की हैदराबाद के बेगम बाज़ार में ज़ाफ़रान हाउस के नाम से ड्रॉई फ्रूट की दुकान है. साथ ही सिंगरोली में भी एक ड्राई फ्रूट की दुकान है. 14 जुलाई को कादिर अपनी पत्नी और 8 साल के बेटे के साथ दक्षिण एक्सप्रेस ट्रेन से हैदराबाद से सिंगरौली के लिए रवाना हुए थे. उनका रिजर्वेशन सेकेंड एसी कोच में था.

पेशाब करने वंदे भारत में चढ़ गया कादिर

15 जुलाई की शाम 5.20 पर वह भोपाल स्टेशन पहुंचे. यहां से रात के 8.55 बजे ट्रेन सिंगरौली के रवाना होती थी. ट्रेन के चलने में 2 घंटे से ज्यादा का समय होने पर अब्दुल ने परिवार सहित खाना खाने के लिए बाहर जाने का सोचा. पूरा परिवार प्लेटफॉर्म पर उतर आया. इतने में अब्दुल को पेशाब लगी. वह दूसरे प्लेटफॉर्म पर खड़ी इंदौर जाने वाली वंदे भारत ट्रेन की बाथरूमें चला गया. 

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गेट हुए बंद और चल दी वंदेभारत

कादिर के मुताबिक वह शाम के 7:24 पर ट्रेन में दाखिल हुआ था और 7:25 पर वंदेभारत चल दी. वह घबरा गया और जैसे ही बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि ट्रेन के गेट लॉक हो गए हैं. वंदेभारत के गेट ऑटोमैटिक लॉक होने के कारण कादिर उन्हें खोल नहीं सका. ट्रेन भोपाल स्टेशन से आगे बढ़ गई.

टीटी और पुलिसकर्मियों ने नहीं की मदद

कादिर का कहना है कि उसने अलग-अलग बोगियों में मौजूद तीन टीटी, दो महिलाओं और 2 पुरूष पुलिस कर्मियों से मदद मांगी और ट्रेन रुकवाने का कहा, लेकिन उन लोगों ने कहा कि गेट केवल ड्राइवर ही खोल सकता है. जब वह ड्राइवर के पास जाने के लिए बढ़ा तो उसे रोक लिया गया. कादिर ने कहा कि टीटी ने मेरा 1020 रुपए का टिकट (फाइन के साथ) बनाया गया. इसके बाद उज्जैन से भोपाल आने के लिए 750 रुपये खर्च कर बस का टिकट खरीदा.

वंदे भारत में कटी पर्ची.

पत्नी के साथ बीमार बेटा, 6 हजार की लगी चपत

वहीं, कादिर के ट्रेन में फंसने के बाद उसकी पत्नी बेटे को लेकर भोपाल स्टेशन पर ही बैठी रही. बेटे को बुखार आ रहा था, ऐसे में दंपत्ति की और परेशान हो रहे थे. कादिर के ना होने पर पत्नी ने सिंगरौली जाने वाली दक्षिण एक्सप्रेस छोड़ दी. इस तरह कादिर को 4 हजार रुपए का ट्रेन के टिकट का नुकसान हुआ, 1000 रुपए का फाइन वंदे भारत में लगा और करीब 800 रुपए की टिकट उज्जैन से भोपाल आने के लिए खर्चा हुआ. यूं 6 हजार रुपए से ज्यादा की चपत कादिर को अपनी एक गलती के कारण लग गई. 

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मेरे परिवार को झेलनी पड़ी मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना

कादिर का आरोप है कि वंदे भारत ट्रेन में इमरजेंसी सिस्टम नहीं होने के कारण पूरे परिवार को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा ह.  उनकी इस घटना ने वंदे भारत में इमरजेंसी सिस्टम की खामियों को उजागर किया है कि अगर इमरजेंसी में वंदे भारत ट्रेन को रोकना हो तो कैसे रोकी जाएगी. कादिर का कहना है कि जहां पर जानमाल का नुकसान होने की आशंका हो वहां पर इमरजेंसी सिस्टम तो होना ही चाहिए, लेकिन मुझे इस ट्रेन में वह नहीं दिखाई दिया. 

कादिर का कहना है कि मेरे भोपाल से उज्जैन पहुंचने पर मेरे भाई ने जल्दी से टिकट बुक करा दिया, अगर कोई गरीब आदमी होता और पढ़ा-लिखा नहीं होता तो वह क्या करता. मेरे बच्चे और बीवी भोपाल स्टेशन पर परेशान होते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की. 

गेट लॉक होने से पहला होता है अनाउंसमेंट

वहीं इस मामले में भोपाल रेल मंडल के पीआरओ सूबेदार सिंह का कहना है कि ट्रेन चलने से पहले अनाउंसमेंट किया जाता है कि गेट किस तरफ खुलेगा, दरवाजा लॉक हो रहा है. और फिर ट्रेन चलने से पहले गेट को लॉक कर दिया जाता है. मैं खुद वंदे भारत ट्रेन में यात्रा करके आया हूं. मैंने खुद अनाउंसमेंट को सुना है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह सिस्टम बनाया गया है. जिससे कि चलती ट्रेन में चढ़ने के दौरान कोई गिरकर हादसे का शिकार ना हो. अगर ट्रेन को रोकने की बात की जाए तो ट्रेन को ऊपर से आदेश मिलने के बाद ही रोका जाता है.

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