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Indore में महिला मरीज को चढ़ना था दुर्लभ 'बॉम्बे' ग्रुप का ब्लड, 400 Km दूर शिरडी से देवदूत बनकर आया डोनर, बचा ली जान

MP News: महाराष्ट्र के शिरडी में फूलों का थोक कारोबार करने वाले 36 साल के रविन्द्र अष्टेकर 25 मई को मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे. उन्होंने शासकीय महाराजा यशवंतराव अस्पताल में भर्ती महिला को रक्तदान किया. तब जाकर महिला मरीज की हालत में सुधार हुआ है.

शिरडी से इंदौर रक्तदान करने आए रविंद्र अष्टेकर. शिरडी से इंदौर रक्तदान करने आए रविंद्र अष्टेकर.
aajtak.in
  • इंदौर ,
  • 29 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST

MP News: इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती महिला मरीज को ब्लड देने एक शख्स 400 किलोमीटर की यात्रा करके आ गया. गंभीर रूप से बीमार महिला के लिए दुर्लभ 'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप की जरूरत थी. किसी तरह वॉट्सएप के जरिए यह सूचना मिलने पर महाराष्ट्र  निवासी ब्लड डोनर अपनी कार से मध्य प्रदेश पहुंचा और मरीज की जान बचाने में मदद की.  

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महाराष्ट्र के शिरडी में फूलों का थोक कारोबार करने वाले 36 साल के रविन्द्र अष्टेकर 25 मई को मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे. उन्होंने शासकीय महाराजा यशवंतराव अस्पताल में भर्ती महिला को रक्तदान किया. तब जाकर महिला मरीज की हालत में सुधार हुआ है.

ब्लड डोनर अष्टेकर ने कहा, ''मुझे एक वॉट्सएप पर रक्तदाताओं के एक ग्रुप के माध्यम से इंदौर की महिला की गंभीर स्थिति के बारे में पता चला, तो मैं बिना देर किए एक मित्र की कार से लगभग 440 किलोमीटर की यात्रा करके इंदौर के लिए निकल पड़ा. अब मुझे अच्छा लग रहा है, क्योंकि मैं महिला की जान बचाने में अपनी ओर से कुछ योगदान दे सका.''

दुर्लभ 'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप वाले अष्टेकर ने कहा कि पिछले 10 साल में वह अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के साथ-साथ गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के तमाम शहरों में जरूरतमंद मरीजों को 8 बार रक्तदान कर चुके हैं. 

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गलती से चढ़ा दिया 'O' पॉजिटिव ब्लड  

शासकीय महाराजा यशवंतराव अस्पताल में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक यादव ने बताया कि महिला को दूसरे अस्पताल में प्रसूति संबंधी बीमारी के ऑपरेशन के दौरान गलती से 'o' पॉजिटिव ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया था. इसके कारण उनकी हालत बिगड़ गई और किडनी पर भी असर पड़ा. 

डॉक्टर के मुताबिक, जब महिला की हालत बिगड़ने पर उसे इंदौर के रॉबर्ट्स नर्सिंग होम भेजा गया, जहां जांच में उसका हीमोग्लोबिन स्तर गिरकर करीब 4 ग्राम प्रति डेसीलीटर रह गया था, जबकि एक स्वस्थ महिला का हीमोग्लोबिन स्तर 12 से 15 ग्राम प्रति डेसीलीटर होना चाहिए. 

डॉ यादव ने बताया कि 4 यूनिट 'बॉम्बे' रक्त चढ़ाने के बाद महिला की हालत बेहतर हो गई है. उन्होंने बताया कि यदि महिला को समय पर इस दुर्लभ ग्रुप का रक्त नहीं दिया जाता तो उसकी जान को खतरा हो सकता था.  

दामोदर युवा संगठन की अहम भूमिका 

इंदौर के सामाजिक संगठन दामोदर युवा संगठन के ब्लड कॉल सेंटर के प्रमुख अशोक नायक ने महिला मरीज के लिए 'बॉम्बे' ग्रुप का ब्लड जुटाने में मदद की. नायक ने बताया कि महिला के लिए इस ग्रुप का दो यूनिट ब्ल्ड नागपुर से हवाई मार्ग से इंदौर लाया गया था और उसकी बहन ने भी इंदौर में एक यूनिट रक्तदान किया था. 

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बता दें कि 'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप की खोज 1952 में डॉ. वाईएम भेंडे ने की थी. एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप है. इसमें H-एंटीजन नहीं होता और एंटी-H एंटीबॉडी की मौजूदगी होती है. इस ग्रुप के रोगियों को केवल इसी ग्रुप के व्यक्ति का ब्लड चढ़ाया जा सकता है. 

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