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'जानवरों जैसा बर्ताव...' मणिपुर में महिलाओं से दरिंदगी के वीडियो पर दिल्ली तक उबाल

मणिपुर में पिछले 78 दिनों से हिंसा जारी है. इसे दबाने में केंद्र सरकार और राज्य सरकार फिलहाल नाकाम है. अब प्रदेश का माहौल और गर्म हो गया है. दरअसल वहां से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दो महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि यह घटना 4 मई का है, जिसका वीडियो अब सामने आया है. इस घटना पर कांग्रेस ने सरकार को घेर लिया है. 

4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं के साथ हुई थी दर्दनाक घटना 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं के साथ हुई थी दर्दनाक घटना
aajtak.in
  • भोपाल,
  • 20 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र सड़क पर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद माहौल फिर से बिगड़ गया है. इस घटना से लोगों में भारी गुस्सा है. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से इस मामले का संज्ञान लेने और दोषियों को कानून के सामने की मांग की है. वहीं सीएम एन बीरेन सिंह ने इस मामले में जांच के आदेश भी दे दिए हैं.

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इस मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर कहा कि मणिपुर से दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भयावह वीडियो निंदनीय और पूरी तरह से अमानवीय है. सीएम से बात की, जिन्होंने मुझे बताया कि मामले में अभी जांच चल रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाएगी.

वहीं कांग्रेस ने इस घटना पर बीजेपी को घेर लिया है. उसका कहना है कि इस घटना के 63 दिन बाद भी अपराधी फरार हैं. स्मृति ईरानी ने इस घटना पर सीएम से बात करने और बयान जारी करने में 76 दिन ले लिए. वहीं विपक्ष की मांग है कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बिना देरी के मणिपुर भेजा जाए.

मणिपुर में मानवता मर गई: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मणिपुर में मानवता मर गई है. मोदी सरकार और बीजेपी ने राज्य के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करके लोकतंत्र और कानून के शासन को भीड़तंत्र में बदल दिया है. पीएम नरेंद्र मोदी, भारत आपकी चुप्पी को कभी माफ नहीं करेगा. अगर आपकी सरकार में जरा भी विवेक या शर्म बची है, तो आपको संसद में मणिपुर के बारे में बोलना चाहिए और केंद्र और राज्य दोनों में अपनी दोहरी अक्षमता के लिए दूसरों को दोष दिए बिना, देश को बताना चाहिए कि क्या हुआ. आपने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी छोड़ दी है. संकट की इस घड़ी में हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं.

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इंटरनेट बैन के कारण घटी घटना: जयराम

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मणिपुर हिंसा पर पीएम नरेंद्र मोदी को घेरा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मणिपुर में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा भड़के 78 दिन हो गए हैं. उस भयावह घटना को 77 दिन हो गए हैं, जिसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और कथित तौर पर बलात्कार किया गया. अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के 63 दिन बाद भी अपराधी अभी भी फरार हैं.

शेष भारत को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि मणिपुर में जारी इंटरनेट बैन के कारण इतनी भयानक घटना घटी, लेकिन यह बिल्कुल अक्षम्य है कि महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मणिपुर के सीएम से बात करने या बयान जारी करने के लिए 76 दिनों तक इंतजार किया.

क्या केंद्र सरकार, गृह मंत्री या प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी नहीं थी? मोदी सरकार 'सब कुछ ठीक है' जैसी बातें करना कब बंद करेगी? कब बदला जाएगा मणिपुर का सीएम? ऐसी और कितनी घटनाओं को दबाया गया है? जैसे ही आज से मॉनसून सत्र शुरू होगा, भारत जवाब मांगेगा. चुप्पी तोडिये प्रधानमंत्री जी!

अबतक नहीं हुई गिरफ्तारी: स्वाति मालिवाल

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने भी वायरल वीडियो पर कहा कि मणिपुर से एक बहुत की खतरनाक वीडियो सामने आया है, जिसको देखकर मैं सहम गई और पूरी रात मुझे नींद नहीं आई. वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह से दो लड़कियों को आदमियों का झुंड घेर लेता है और उनके साथ सबसे बड़ी अभद्र हरकत करते हैं. लड़कियों को निर्वस्त्र करके परेड कराया जाता है. इस दौरान उन्हें नोंच जाता है. उनके साथ घटना ढाई महीने पहले की है लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. मुझे शर्म आती है कि किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. केंद्र सरकार चुप है. पीएम ने एक भी बयान नहीं दिया है. मैं आज मणिपुर के सीएम और पीएम मोदी को मणिपुर में हिंसा खत्म करने और आरोपियों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिख रही हूं."

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घटना के एक महीने बाद दर्ज हुआ केस

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के मुताबिक इस घटना को लेकर 21 जून को FIR दर्ज कराई गई थी. IPC की धारा के तहत धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376, 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. वहीं बी.फेनोम गांव के 65 साल के प्रमुख थांगबोई वैफेई द्वारा सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि भीड़ ने तीसरी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया था.

शिकायत के अनुसार मणिपुर में पहली बार हिंसा भड़कने के एक दिन बाद यानी 4 मई की दोपहर करीब 1 हजार लोग AK राइफल्स, SLR, इंसास और .303 राइफल्स जैसे हथियारों के साथ बी. फेनोम गांव में घुस गए थे. इस दौरान उन्होंने गांव में तोड़फोड़ की, संपत्तियां लूटीं और घरों को जला दिया. शिकायत के अनुसार, लोग जान बचाने के लिए भागने लगे. इस दौरान पांच लोग खुद को बचाने के लिए जंगल की ओर भाग गए. इनमें दो पुरुष और तीन महिलाएं शामिल थीं. उनमें  56 वर्षीय एक व्यक्ति, उसका 19 वर्षीय बेटा और 21 वर्षीय बेटी के अलावा 42 वर्षीय और 52 वर्षीय महिलाएं भी शामिल थीं.

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शिकायत में कहा गया है कि उन्हें नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक टीम ने जंगल से रेस्क्यू किया. हालांकि, शिकायत में आरोप लगाया गया है कि भीड़ ने नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन से दो किलोमीटर दूर टूबू के पास से पुलिस टीम की कस्टडी से उन्हें छीन लिया. भीड़ ने 56 वर्षीय व्यक्ति की हत्या कर दी. इसके बाद तीनों महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया. फिर 21 वर्षीय महिला का गैंगरेप किया गया. इस दौरान जब युवती के छोटे भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उसकी हत्या कर दी. इस दौरान एक महिला परिचित लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रही. वहीं गैंगरेप के बाद दोनों महिलाओं को सड़क पर घुमाया गया.

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