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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम के तहत बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. लेकिन पीएम ने इसके लिए मध्य प्रदेश को ही क्यों चुना? दरअसल में पीएम मोदी ने साल 1998 में एमपी में बूथ विस्तारक कार्यक्रम की शुरुआत की थी और इसके बाद बीजेपी ने मध्य प्रदेश को अपना सबसे मजबूत किला बना लिया.
अब आगामी विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अधिकतम सीटें हासिल करने के लिए एमपी के इस सफल बूथ मॉडल को अपनाना चाहती है.
मेरा बूथ, सबसे मजबूत का मायना क्या?
हर बूथ कमेटी का कार्यकर्ता दस परिवारों के साथ संपर्क करे. उनके साथ करीबी बढ़ाए और मतदान के दिन उनका वोट बीजेपी को दिलाने का काम करे. इसके लिए पांच साल में केंद्र सरकार के कामकाज का ब्योरा उन्हें देना होगा. साथ ही लोगों को यह समझाना जरूरी है कि एक चूक से तंत्र पर भ्रष्टाचारी फिर से हावी हो सकते हैं.
13 सदस्यों की टीम करेगी बूथ को मजबूत
बूथ को मजबूत करने पर भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. इसके तहत सभी बूथों पर बूथ कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें अध्यक्ष, बूथ एजेंट और महामंत्री के अलावा दस सदस्यों की टीम भी होती है. पार्टी ने अब मंडल के स्थान पर बूथ को इकाई माना है.
बूथ कमेटी के नीचे पन्ना और अर्द्ध पन्ना कमेटी
बता दें, बूथ कमेटी के नीचे पन्ना कमेटी, अर्द्ध पन्ना कमेटी बनाई गई है. इस कमेटी की जिम्मेदारी बूथ को मजबूत करने की है. बूथ का मतलब होता है मतदान केंद्र जहां उस क्षेत्र के लोग वोट डालने जाते हैं. इसी बूथ के माध्यम से भाजपा उस क्षेत्र के लोगों से संपर्क करना चाहती है. भाजपा ने इसे सबसे छोटी इकाई मानते हुए चुनाव प्रबंधन कैसे किया जाए इस पर काम किया है.
इस बूथ में लोग वोट डालने जाते हैं उनकी जानकारी उस एरिये की वोटिंग लिस्ट में होती है. बूथ के प्रबंधन को और माइक्रो लेवल पर ले जाते हुए भाजपा इस लिस्ट के हर पन्ने पर जिन लोगों की जानकारी दर्ज है उन तक पहुंचना चाहती है. उन्हें भाजपा की योजनाएं बताकर उन्हें अपने पक्ष में वोट डालने के लिए प्रेरित करना चाहती है. एक पन्ने पर लगभग 30 परिवारों का विवरण दर्ज होता है. इनसे बूथ और पन्ना कमेटी के माध्यम से संपर्क साधा जाता है.
चार राज्यों में तीन हजार बूथ विस्तारक हैं
देशभर के तीन हजार कार्यकर्ता मोदी का मंत्र लेकर चार राज्यों में जाएंगे. जहां इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होना है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में सात दिनों तक से कार्यकर्ता बूथ विस्तारक बनकर काम करेंगे. हर कार्यकर्ता को एक मंडल की जिम्मेदारी दी गई है. जहां विस्तारक बूथ की मजबूती के लिए बैठक करेंगे और समीक्षा करेंगे. बूथ पर काम करने का एक दिवसीय प्रशिक्षण भी इन्हें दिया गया है.
मोदी ने मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान के लिए MP को क्यों चुना?
बीजेपी के संगठनात्मक लिहाज से देशभर में मध्य प्रदेश सक्सेस पॉलिटिकल लेबोरेटरी माना जाता है और इसके पीछे की अहम वजह बूथ मैनेजमेंट है. प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा बताते हैं कि मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 39 लाख लोग एनरोल किए है. हमने संगठन एप भी बनाया है और रीयल टाइम पर ही कार्यकर्ताओं को इनरोल किया गया है.
मध्य प्रदेश संगठन में 64634 बूथ और प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पन्ना समिति तक कार्यकर्ता डिजिटल है. हमारे सभी कार्यकर्ता ओटीपी वेरीफाई भी है और डिजिटल एनरोल्ड भी है. हर कार्यकर्ता को पन्ना प्रमुख और अर्ध पन्ना प्रमुख बनाया है और 2 तीन लोगों की कमेटी के साथ केडर बेस भी बने. मध्य प्रदेश को पीएम मोदी ने इसलिए चुना क्योंकि यहां पर बूथ लेवल तक भाजपा बेहद माइक्रो प्लान बनाकर कैडर बनाती है. तीन लाख से ज्यादा ओटीपी वेरीफाई कार्यकर्ता को तीस-तीस वोटरों को पार्टी से जोड़ने का काम मिला है.
नरेंद्र मोदी साल 1998 में बतौर चुनाव प्रभारी मध्य प्रदेश आए थे
दरअसल, नरेंद्र मोदी साल 1998 में बतौर चुनाव प्रभारी मध्य प्रदेश आए थे तब उन्होंने कार्यकर्ताओं को शक्ति स्थल से नीचे यानि बूथ स्तर तक जाने के लिए संरचना तैयार की थी. तब 250 पूर्णकालिक विस्तारक चुने गए जिन्हें 1 महीने तक घर जाने की मनाही थी और इनका काम था इलाके के घरों में जाकर वहां परिवार के लोगों से मेलजोल बढ़ाना और उनके कामों में उनकी मदद करना. उस समय नरेंद्र मोदी ने लगभग सभी विधानसभा सीटों का दौरा कर लिया था. 1998 विधानसभा चुनाव में बीजेपी भले जीत न पाई लेकिन नरेंद्र मोदी की मेहनत ने मध्य प्रदेश में भाजपा को उस मुकाम तक पहुंचा दिया जहां से उसे वापस निचे लाना लगभग मुश्किल है.
मध्य प्रदेश में बूथ को मजबूत किला बनाने के लिए बीजेपी ने त्रिदेव बनाए हैं. ये त्रिदेव यानी बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री और बीएलए हैं. प्रदेश भर में बूथों की संख्या 64634 है, बीजेपी ने करीब 1 लाख 75 हजार त्रिदेव बनाए. साथ ही 25 हजार ऐप विस्तारक साइबर से जुड़े कार्यकर्ताओं भी तैनात है.
बूथ को मजबूत किला बनाने के लिए बीजेपी ने त्रिदेव बनाए
बीजेपी ने बूथ समिति बनाई है जिसमें 11 लोग हैं. 30 मतदाताओं पर एक पेज प्रमुख बनाया गया है, हर बूथ पर पन्ना समिति बनाई गई है जिसमे 2 से 3 लोग शामिल है. बीजेपी ने संगठन एप्प बनाया जिसके जरिये प्रत्येक बूथ से जीवंत संपर्क रखा जाता है. कहीं से भी किसी बूथ की रचना को देखा जा सकता है, एप्प में बूथ समिति, पन्ना समिति और की-वोटर्स के रजिस्ट्रेशन है.
चुनाव परिणामों के आधार पर बूथों का ग्रेडेशन भी किया गया है, बीजेपी ने ए, बी और सी कैटेगरी में बांटा है. ए कैटेगरी में बीजेपी के वह बूथ हैं जो बेहतर स्थिति में हैं. बी वाले बूथ वह हैं जो थोड़ा कम मुश्किल वाले हैं. जबकि सी कैटेगरी में कमजोर बूथ को रखा गया है.
शक्ति केंद्रों पर 5 लोगों की टोली है
आठ से 10 बूथों को मिलकर एक शक्ति केंद्र बना है चुनाव की तैयारियों की जिम्मेदारी इन्हीं शक्ति केंद्रों के पास है, शक्ति केंद्रों पर 5 लोगों की टोली है. उस टोली के अंदर संयोजक, सहसंयोजक, सोशल मीडिया का इंचार्ज, आईटी और हितग्राही प्रभारी तैनात है. बीजेपी दावा करती है कि प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मंडल और बूथ स्तर तक इस पूरी रचना में लगे करीब 39 लाख कार्यकर्ता संगठन एप के जरिये डिजिटल सिस्टम से जुड़े है
ऐसा माना जाता है कि चुनाव जीतने के लिए बेहद जरूरी है कि वोटर को मतदान स्थल तक लाना जिसमें भाजपा को मास्टरी हासिल है. भाजपा के तमाम बूथ कार्यकर्ता घर- घर जाकर अपने वोटरों को साधते है जो चुनाव में उनका नेचुरल वोट बैंक बन जाता है. प्रधानमंत्री मोदी अपने इन्हीं कार्यकर्ताओं की शक्ति समझते हैं यही वजह है कि भोपाल में आकर उन्हें जीत के टिप्स देकर चुनावी इलाकों में रवाना किया.
देशभर में बूथों पर 10 लाख कार्यकर्ता काम कर रहे हैं
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड से देशभर के तमाम बूथों पर काम कर रहे 10 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं से बात कर उन्हें कैसे मैदान में उतरकर उन्हें डिजिटल और मैनुअल काम करना है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बताते हैं कि 'कार्यकर्ता को सेवा का सुशासन का गरीब के कल्याण का गांव के कल्याण का किसान के कल्याण का जनहितकारी योजनाएं जो लाभान्वित हमारे लोग हैं उनको जानकारी देना यही भाजपा है. इसकी शुरुआत भी नरेंद्र मोदी ने साल 1998 में इसी मध्यप्रदेश से की थी जब कुल 250 कार्यकर्ता प्रस्तावक बनाए गए थे.