Advertisement

'विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा...', विद्या भारती के कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

MP की राजधानी भोपाल में आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्‍यास वर्ग के शुभारंभ पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि विश्‍व भारत की ओर देख रहा है, उसे मानवता की दिशा देनी होगी.

RSS प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन. RSS प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन.
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल ,
  • 04 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने राजधानी भोपाल में मंगलवार को विद्या भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग को संबोधित किया. इस अवसर पर अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि आज विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है और भारत को मानवता की दिशा देने की जिम्मेदारी निभानी होगी.

उन्होंने विद्या भारती की भूमिका को समाज को सही दिशा प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण माध्यम बताते हुए कहा कि यह केवल शिक्षा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाने का कार्य भी करती है.

Advertisement

भागवत ने कहा, "शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. इसका दायरा व्यापक होना चाहिए, जो समाज के हर वर्ग तक पहुंचे और छात्रों में जीवन मूल्यों व संस्कारों का निर्माण करे. विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप यह कार्य कर रही है."

उन्होंने परिवर्तन को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि परिवर्तन की दिशा सकारात्मक होनी चाहिए. "मानव अपने मस्तिष्क के बल पर समाज में बदलाव लाता है और यह सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है कि यह बदलाव रचनात्मक हो."

तकनीक के प्रभाव पर बोलते हुए भागवत ने कहा, "आज तकनीक हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है. हमें इसके लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी, जिसमें विज्ञान और तकनीक के अच्छे पहलुओं को अपनाया जाए और गलत को त्यागा जाए." भारत की सांस्कृतिक विशेषता पर जोर देते हुए भागवत ने कहा, "हमारी संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है. विविधता में एकता बनाए रखना हमारा कर्तव्य है. 'सब में मैं हूँ, मुझ में सब हैं' के भारतीय दर्शन को अपनाकर हमें अपने कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए."

Advertisement

उन्होंने विद्या भारती से ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करने का आह्वान किया जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक हो. "समाज में परिवर्तन लाने के लिए पहले व्यक्ति में परिवर्तन आवश्यक है. हमारे प्रयास संपूर्ण समाज के कल्याण के लिए होने चाहिए, न कि किसी एक वर्ग तक सीमित." उन्होंने यह भी कहा कि समाज में विभिन्न विचारधाराओं के बीच समन्वय जरूरी है. "हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं. मत भिन्न हो सकता है, लेकिन कार्य की दिशा सही होनी चाहिए."

RSS चीफ भागवत ने विमर्श के स्वरूप को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया. "सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना चाहिए."

इस संबोधन के जरिए उन्होंने विद्या भारती के कार्यकर्ताओं को समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया और भारत को वैश्विक पटल पर एक मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने का संदेश दिया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement